भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग 2025 से एक नई दिशा में अग्रसर हो रहा है, जिसे 'स्मार्टफोन युग' कहा जा रहा है। इस परिवर्तन के तहत, देश में निर्मित कारों में 5G मशीन-टू-मशीन (M2M) कनेक्टिविटी, ऑन-डिवाइस जनरेटिव AI (GenAI), और क्लाउड कनेक्टिविटी जैसी उन्नत तकनीकों का समावेश किया जाएगा। यह बदलाव उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं, गुणवत्ता और अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
5G और AI: कारों में नई तकनीकी क्रांति
2025 से, भारत में अधिकांश यात्री कारों में 5G M2M कनेक्टिविटी, ऑन-डिवाइस GenAI, और क्लाउड कनेक्टिविटी जैसी उन्नत तकनीकों का समावेश किया जाएगा। इन तकनीकों के माध्यम से कारें रीयल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग, ऑडियो/वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ओटीटी एंटरटेनमेंट, म्यूजिक स्ट्रीमिंग, पॉडकास्ट, ऑनलाइन शॉपिंग, वाहन रखरखाव और सेवा जैसी सुविधाएं प्रदान करेंगी।
कीमत और उपलब्धता
इन उन्नत तकनीकों से युक्त कारें मुख्य रूप से ₹20 लाख और उससे अधिक की कीमत वाली श्रेणी में उपलब्ध होंगी। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आने वाले वर्षों में ये तकनीकें विभिन्न मूल्य श्रेणियों में उपलब्ध हो सकती हैं, जिससे अधिक उपभोक्ता इनका लाभ उठा सकें।
प्रमुख निर्माता और बाजार की स्थिति
भारत में 22 ऑटोमोबाइल निर्माता सालाना लगभग 50 लाख यात्री वाहन उत्पादन करते हैं। इनमें से कई निर्माता, जैसे कि MG मोटर्स, किआ मोटर्स, और टाटा मोटर्स, पहले से ही कनेक्टेड कारों के क्षेत्र में अग्रणी हैं। क्वालकॉम और मीडियाटेक जैसी कंपनियां ऑटोमोटिव चिपसेट बाजार में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं, जिनकी संयुक्त राजस्व पहले ही 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो चुकी है।
इस तकनीकी परिवर्तन से भारत न केवल घरेलू स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ऑटोमोटिव तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है। उपभोक्ताओं के लिए यह बदलाव बेहतर अनुभव, सुरक्षा, और मनोरंजन की नई संभावनाएं लेकर आएगा।