Columbus

बांग्लादेश में बड़ा बदलाव! 'जॉय बांग्ला' अब राष्ट्रीय नारा नहीं, SC ने हाई कोर्ट का फैसला किया रद्द

देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को 5 अगस्त को पद छोड़कर देश छोड़ना पड़ा। उनकी जगह मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार 8 अगस्त को अस्तित्व में आई। अंतरिम सरकार शेख हसीना की सरकार द्वारा लिए गए कई बड़े फैसलों को पलटने में जुटी है।

Bangladesh: बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक बदलावों के बीच एक और बड़ा फैसला सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को पलट दिया है जिसमें शेख मुजीबुर रहमान के लोकप्रिय नारे 'जॉय बांग्ला' को देश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था। यह फैसला बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार द्वारा दायर याचिका के बाद आया है।

शेख हसीना सरकार का पतन और नए बदलाव

देश में छात्रों और जनता के बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा और देश से भागना पड़ा। इसके बाद 8 अगस्त को मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। यह सरकार शेख हसीना सरकार के समय लिए गए कई बड़े फैसलों को बदलने में जुटी है।

'जॉय बांग्ला' पर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती

2020 में हाईकोर्ट ने 'जॉय बांग्ला' को बांग्लादेश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया था। इस आदेश में सरकार को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे कि यह नारा सभी सरकारी समारोहों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रयोग किया जाए। 2022 में शेख हसीना सरकार ने इसे लागू करते हुए आधिकारिक गजट अधिसूचना भी जारी की थी।

हालांकि, तख्तापलट के बाद अंतरिम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय अपीलीय खंडपीठ ने आदेश देते हुए कहा कि यह मामला सरकार की नीतियों से संबंधित है और न्यायपालिका इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

नए बदलावों की शुरुआत

अंतरिम सरकार ने हाल ही में कई बड़े फैसले बदले हैं। 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस और सार्वजनिक अवकाश को रद्द कर दिया गया है। साथ ही बांग्लादेश बैंक नए नोट छाप रहा है, जिन पर अब 'बंगबंधु' शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर शामिल नहीं होगी। यह कदम भी पूर्व सरकार के फैसलों से हटकर है।

अंतरिम सरकार के फैसलों पर विपक्ष का रुख

इन बदलावों ने बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है। विपक्ष ने इन फैसलों को जनता के अधिकारों और देश की विरासत पर हमला बताया है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह बदलाव देश के इतिहास और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश है।

Leave a comment