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Delhi: बयानबाजी में फंसे जयराम रमेश, मानी ट्रंप-मोदी कॉल पर गलती

Delhi: बयानबाजी में फंसे जयराम रमेश, मानी ट्रंप-मोदी कॉल पर गलती

जयराम रमेश ने पीएम मोदी-ट्रंप बातचीत पर पुराना बयान पढ़कर सरकार पर सवाल खड़े किए। बीजेपी ने उन्हें घेरा, जिसके बाद रमेश ने सोशल मीडिया पर अपनी गलती मानी।

Delhi: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुई 35 मिनट की बातचीत को लेकर भ्रमित बयान दिया था। उन्होंने व्हाइट हाउस जारी प्रेस नोट और विदेश सचिव विक्रम मिस्री की जानकारी में अंतर बताया। बीजेपी ने उनके आरोप को गलत बता दिया और रमेश को अपनी भूल माननी पड़ी।

जयराम रमेश ने क्या कहा?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी और ट्रम्प की बातचीत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस नोट जारी किया, लेकिन अमेरिकी प्रेस नोट में मोदी-ट्रम्प की बातचीत की जानकारी नहीं है। रमेश ने ट्रम्प द्वारा द्विपक्षीय व्यापार और हथियार सौदों का जेहन में लाकर कहा कि इसमें सरकार ने स्पष्ट जानकारी क्यों नहीं दी।

रमेश के शब्दों में भ्रम

रमेश ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रम्प ने द्विपक्षीय व्यापार और हथियारों की बातचीत का जिक्र किया, लेकिन विदेश सचिव की प्रेस नोट में यह बातें नहीं हैं।” उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री को सर्वदलीय बैठक बुला कर स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि बातचीत में क्या कहा गया।

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने रमेश पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि रमेश ने व्हाइट हाउस के पुराने प्रेस नोट (जनवरी 2025 का) को हालिया बातचीत का बताकर भारतीय जनता को गुमराह किया। मालवीय ने दावा किया कि ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने रमेश और कांग्रेस पर भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया।

आखिरकार जयराम रमेश को अपनी गलती स्वीकार करनी पड़ी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले Twitter) पर लिखा: “मैं नॉन-बायोलॉजिकल नहीं हूं। मुझसे एक गलती हुई और मैंने उसे तुरंत सुधार लिया।” इससे साफ है कि वे भ्रामक जानकारी पर विश्वास कर बैठे थे और बाद में स्पष्टता लेकर आए।

विदेश नीति पर रमेश ने दूसरा हमला

रमेश ने फिर एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाया गया जबकि भारत का प्रतिनिधिमंडल केवल उप राष्ट्रपति से मिला। उनका कहना था कि ट्रम्प ने कहा है कि उनकी मध्यस्थता से भारत-पाकिस्तान युद्ध रुका, जो भारत के लिए एक झटका है।

 

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