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हेलीकॉप्टर पायलट कैसे बनें: कोर्स, फीस और करियर जानकारी

हेलीकॉप्टर पायलट कैसे बनें: कोर्स, फीस और करियर जानकारी

देश की सेवा हो या निजी कंपनियों में शानदार करियर की चाह, हेलीकॉप्टर पायलट की भूमिका आज के समय में बेहद महत्वपूर्ण और आकर्षक मानी जाती है।

नई दिल्ली: आसमान की ऊंचाइयों को छूना और रोमांच से भरा जीवन जीना हर युवा का सपना होता है। कुछ लोग इस सपने को पंख देने के लिए पायलट बनना चाहते हैं, और इसमें भी हेलीकॉप्टर पायलट बनना एक विशेष और चुनौतीपूर्ण विकल्प है। चाहे प्राकृतिक आपदा के समय राहत बचाव अभियान हो या फिर किसी वीआईपी को उनके गंतव्य तक पहुंचाना, हेलीकॉप्टर पायलट की भूमिका हर जगह महत्वपूर्ण होती है। आज हम विस्तार से जानेंगे कि हेलीकॉप्टर पायलट कैसे बना जा सकता है, इसके लिए क्या पढ़ाई करनी होती है, कितनी फीस लगती है और नौकरी के अवसर व वेतन कैसा मिलता है।

हेलीकॉप्टर पायलट की भूमिका क्यों है खास

हेलीकॉप्टर पायलट वह पेशेवर होता है जो विभिन्न परिस्थितियों में उड़ान भरने में सक्षम होता है। उनकी सेवाएं सरकारी अभियानों, कारपोरेट यात्राओं, मेडिकल इमरजेंसी, पर्यटन, और सैन्य अभियानों में बेहद उपयोगी होती हैं। पहाड़ी इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाना हो या एयर एंबुलेंस चलाना, हेलीकॉप्टर पायलट हर मुश्किल घड़ी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

शैक्षणिक योग्यता और प्रारंभिक शर्तें

हेलीकॉप्टर पायलट बनने के लिए सबसे पहले कैंडिडेट को 12वीं कक्षा भौतिकी, गणित और अंग्रेजी विषयों के साथ उत्तीर्ण करनी होती है। यह न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता है। इसके अतिरिक्त उम्मीदवार की आयु कम से कम 17 वर्ष होनी चाहिए। कई फ्लाइंग स्कूलों में दाखिला लेने के लिए डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) द्वारा निर्धारित मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट (क्लास I या क्लास II) अनिवार्य होता है।

कोर्स और ट्रेनिंग की जानकारी

हेलीकॉप्टर उड़ाने की योग्यता हासिल करने के लिए दो प्रमुख कोर्स होते हैं:

  • प्राइवेट पायलट लाइसेंस (PPL-H): यह शुरुआती स्तर का लाइसेंस होता है। इसके तहत कम से कम 40 से 60 घंटे की उड़ान प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कोर्स के बाद पायलट व्यक्तिगत उड़ानों के लिए अधिकृत होता है, लेकिन व्यावसायिक उड़ानों के लिए नहीं।
  • कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL-H): यह व्यावसायिक उड़ानों के लिए आवश्यक लाइसेंस होता है। इसके लिए उम्मीदवार को कुल 150 घंटे की फ्लाइंग ट्रेनिंग लेनी होती है। इस दौरान सोलो फ्लाइंग, नेविगेशन, नाइट फ्लाइंग, और इमरजेंसी हैंडलिंग की ट्रेनिंग शामिल होती है।

भारत में कुछ प्रमुख संस्थान हेलीकॉप्टर पायलट प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स, चंडीगढ़
  • राजीव गांधी एविएशन एकेडमी, हैदराबाद
  • पवन हंस हेलीकॉप्टर्स लिमिटेड ट्रेनिंग सेंटर, मुंबई व दिल्ली
  • इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन साइंसेज, रायबरेली
  • हिमालयन एविएशन एकेडमी, देहरादून

इन संस्थानों में प्रवेश लेने से पहले उम्मीदवारों को प्रवेश परीक्षा या इंटरव्यू से गुजरना पड़ सकता है।

कोर्स की लागत और फीस ढांचा

हेलीकॉप्टर पायलट बनने के लिए आवश्यक कोर्स की फीस काफी अधिक होती है। प्राइवेट पायलट लाइसेंस की लागत लगभग 10 लाख से 20 लाख रुपये तक हो सकती है। वहीं, कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए यह खर्च बढ़कर 25 लाख से 40 लाख रुपये तक पहुंच सकता है। इसमें फ्लाइंग ट्रेनिंग, ग्राउंड क्लास, सिम्युलेटर ट्रेनिंग, और अन्य जरूरी शुल्क शामिल होते हैं।

नौकरी के अवसर और करियर संभावनाएं

कोर्स और लाइसेंस प्राप्त करने के बाद उम्मीदवारों के सामने अनेक करियर विकल्प खुल जाते हैं। हेलीकॉप्टर पायलट को निम्नलिखित क्षेत्रों में रोजगार मिल सकता है:

  • सरकारी सेवाएं जैसे ओएनजीसी, इंडियन कोस्ट गार्ड, स्टेट पुलिस विभाग
  • प्राइवेट चार्टर्ड हेलीकॉप्टर कंपनियां
  • एयर एंबुलेंस सेवाएं
  • पर्यटन और यात्रा कंपनियां
  • रक्षा मंत्रालय और अर्धसैनिक बल (आर्मी एविएशन विंग, एनएसजी)
  • आपदा प्रबंधन एजेंसियां
  • कुछ अनुभवी पायलट प्रशिक्षक (फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर) के रूप में भी करियर बना सकते हैं।

पायलट की सैलरी और ग्रोथ

शुरुआती स्तर पर एक फ्रेशर हेलीकॉप्टर पायलट को 40 हजार से 80 हजार रुपये प्रति माह तक वेतन मिल सकता है। अनुभव और संगठन के अनुसार यह वेतन तेजी से बढ़ सकता है। दो से तीन वर्षों के अनुभव के बाद यह वेतन 2 लाख से 5 लाख रुपये प्रति माह तक पहुंच सकता है। सरकारी सेवाओं में यह वेतनमान अन्य भत्तों और सुविधाओं के साथ और भी आकर्षक हो सकता है।

महत्वपूर्ण सुझाव और तैयारी के टिप्स

  • हेलीकॉप्टर पायलट बनने की योजना बनाने वाले छात्रों को भौतिकी और गणित में मजबूत पकड़ बनानी चाहिए
  • मेडिकल फिटनेस के लिए समय रहते DGCA मेडिकल टेस्ट करवा लें
  • अच्छे फ्लाइंग स्कूल का चयन करते समय उसकी डीजीसीए मान्यता और प्लेसमेंट रिकॉर्ड की जांच करें
  • इंग्लिश भाषा की दक्षता बढ़ाना जरूरी है क्योंकि उड़ान संचालन और तकनीकी प्रशिक्षण में इसका उपयोग प्रमुख रूप से होता है
  • मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रहना आवश्यक है क्योंकि उड़ान के दौरान उच्च स्तर का एकाग्रता और स्थिरता चाहिए होती है

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