15 जून 2025 का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष रूप से धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस दिन मिथुन संक्रांति है, जब सूर्य वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करता है। इस खगोलीय घटना को वैदिक ज्योतिष में एक शुभ संक्रांति माना जाता है, जो दान, स्नान, तर्पण और सूर्य उपासना के लिए अत्यंत फलदायक मानी जाती है।
आज का दिन केवल संक्रांति के कारण ही नहीं, बल्कि श्रवण नक्षत्र, इंद्र योग और चंद्रमा की मकर राशि में स्थिति के कारण भी विशेष बन गया है। ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन का दैनिक पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, और कौन से उपाय करने से मिलेगा लाभ।
15 जून 2025: आज का पंचांग और प्रमुख काल विवरण
- तिथि: चतुर्थी (दोपहर 12:51 तक), इसके बाद पंचमी
- वार: रविवार
- नक्षत्र: श्रवण (पूरे दिन)
- योग: इंद्र योग
- सूर्योदय: सुबह 5:23 बजे
- सूर्यास्त: शाम 8:46 बजे
- चंद्रोदय: रात 10:46 बजे
- चंद्रास्त: सुबह 6:23 बजे
- चंद्र राशि: मकर
- सूर्य राशि: मिथुन (सूर्य का गोचर इसी दिन मिथुन राशि में हुआ)
राहुकाल और अशुभ समय
- राहुकाल: शाम 5:36 बजे से रात 7:20 बजे तक
- यमगण्ड काल: दोपहर 12:22 बजे से 2:06 बजे तक
- गुलिक काल: दोपहर 3:51 बजे से शाम 5:36 बजे तक
- विडाल योग: प्रातः 1:00 बजे से सुबह 5:23 बजे तक (अशुभ समय)
शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय (शुभ मुहूर्त)
- विवाह, गृह प्रवेश, वाहन खरीद, नया व्यवसाय आरंभ, संपत्ति निवेश जैसे कार्य आज दिन के प्रथम पहर (सुबह 7 से 10 बजे तक) अत्यंत शुभ माने गए हैं।
- श्रवण नक्षत्र और इंद्र योग के कारण आज किए गए कार्यों में स्थायित्व और सकारात्मकता का संचार होता है।
मिथुन संक्रांति का धार्मिक महत्व
मिथुन संक्रांति वह काल होता है जब सूर्य उत्तरायण के द्वितीय चरण में प्रवेश करता है। इस संक्रांति पर सूर्य की उपासना विशेष फलदायी होती है और सूर्य दोष, पितृ दोष व रोजगार संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए आदर्श समय माना जाता है। इस दिन तीर्थ जल से स्नान करने और सूर्य को अर्घ्य देने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या जल का दान करता है, उसके घर में दरिद्रता नहीं आती।
क्या करें इस दिन?
- सुबह जल्दी उठकर तीर्थ जल या गंगाजल से स्नान करें।
- सूर्य को जल में तांबे का सिक्का, लाल फूल और गुड़ डालकर अर्घ्य दें।
- पिता या पितरों की स्मृति में गरीबों को भोजन कराएं।
- गेहूं, गुड़, तांबा, जलपात्र, छाता, चप्पल आदि का दान विशेष पुण्यकारी होता है।
- सूर्य मंत्र ॐ घृणिः सूर्याय नमः का जाप कम से कम 108 बार करें।
क्या न करें इस दिन?
- देर तक न सोएं, विशेषकर सूर्योदय के बाद तक सोना अशुभ माना गया है।
- नुकीली वस्तुएं जैसे चाकू, ब्लेड या कैंची दान में न दें। इससे धन और संबंधों में कटाव का योग बनता है।
- क्रोध और झूठ से बचें, ये सूर्य की शांति में बाधा उत्पन्न करते हैं।
ग्रहों की स्थिति
- ग्रह - राशि
- सूर्य - मिथुन
- चंद्रमा - मकर
- मंगल - सिंह
- बुध - मिथुन
- गुरु - मिथुन
- शुक्र - मेष
- शनि - मीन
- राहु - कुंभ
- केतु - सिंह
15 जून 2025 को पड़ रही मिथुन संक्रांति केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, पितृ पूजन और सूर्य वंदना का विशेष अवसर है। इस दिन धर्म, ध्यान और दान का समन्वय करके न सिर्फ पुण्य प्राप्त किया जा सकता है बल्कि ग्रह दोषों की शांति और मानसिक शांति भी पाई जा सकती है।