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जून 2025 में प्राइवेट सेक्टर की ग्रोथ, रोजगार और उत्पादन में बढ़ोतरी

जून 2025 में प्राइवेट सेक्टर की ग्रोथ, रोजगार और उत्पादन में बढ़ोतरी

एक तरफ जहां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर आई है, वहां फुलटाइम और पार्टटाइम दोनों तरह की नौकरियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए जून 2025 का महीना एक नई कामयाबी की कहानी लेकर आया है। प्राइवेट सेक्टर ने इस महीने में बीते 14 महीनों की तुलना में सबसे तेज विकास दर दर्ज की है। HSBC और S&P Global की हालिया फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार, जून में मांग, ऑर्डर और रोजगार के स्तर पर उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। यह रिपोर्ट बताती है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में वृद्धि से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों क्षेत्रों में मजबूती आई है।

क्या है पीएमआई और इसका महत्व

परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी पीएमआई एक आर्थिक संकेतक होता है, जो निजी कंपनियों के उत्पादन, नए ऑर्डर, रोजगार और सप्लाई चेन जैसी गतिविधियों के आधार पर तैयार किया जाता है। यदि पीएमआई का आंकड़ा 50 से ऊपर होता है, तो इसे ग्रोथ का संकेत माना जाता है, वहीं 50 से नीचे जाने पर गिरावट मानी जाती है।

एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, मई में कंपोजिट पीएमआई 59.3 था, जो जून में बढ़कर 61 पहुंच गया है। यह लगातार 47वां महीना है जब यह इंडेक्स 50 के ऊपर बना हुआ है। यह दर्शाता है कि भारत का प्राइवेट सेक्टर निरंतर विकास की राह पर है और इसमें स्थायित्व बना हुआ है।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती

जून में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई भी बढ़कर 58.4 तक पहुंच गया, जो मई में 57.6 पर था। अप्रैल 2024 की तुलना में यह आंकड़ा बेहतर है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में सुधार की बड़ी वजह इनवेंट्री का बेहतर प्रबंधन, उत्पादन में वृद्धि, नई नौकरियां और नए ऑर्डर्स को माना जा रहा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनियों ने जून में उत्पादन की गति तेज की और सप्लाई चेन को और अधिक दक्ष बनाया। इससे बाजार में उपलब्धता बढ़ी और डिलीवरी टाइम में भी सुधार आया। यह भारत की औद्योगिक क्षमता और उत्पादन प्रणाली की मजबूती का प्रमाण है।

सर्विस सेक्टर में सकारात्मक रुझान

जहां मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र ने दमदार प्रदर्शन किया, वहीं सर्विस सेक्टर ने भी जून में अपनी स्थिति को काफी हद तक बेहतर किया है। हालांकि हायरिंग के मामले में यह क्षेत्र मैन्युफैक्चरिंग से थोड़ा पीछे रहा, लेकिन ऑर्डर की मांग और डिमांड के चलते इसमें भी ग्रोथ के संकेत मिले हैं।

एचएसबीसी की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी के अनुसार, बैकलॉग बढ़ने और घरेलू-विदेशी डिमांड के चलते कंपनियों को नई भर्तियां करनी पड़ीं। भले ही सर्विस सेक्टर की हायरिंग की गति थोड़ी धीमी रही हो, लेकिन इसमें निरंतर सुधार का संकेत है।

रोजगार के मोर्चे पर राहत की खबर

इस रिपोर्ट से यह साफ होता है कि प्राइवेट सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं फिर से मजबूत हो रही हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में फुल टाइम और पार्ट टाइम दोनों तरह की नौकरियों में इजाफा देखा गया है।

कंपनियों की तरफ से कहा गया है कि नए ऑर्डर्स की संख्या में वृद्धि के कारण उन्हें उत्पादन बढ़ाना पड़ा, जिसके लिए अधिक श्रमिकों की जरूरत पड़ी। इससे युवा वर्ग को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। वहीं, सर्विस सेक्टर में भी भविष्य में हायरिंग में तेजी आने की संभावना जताई गई है।

तकनीकी निवेश और आउटपुट में तेजी

रिपोर्ट में एक और अहम पहलू यह सामने आया है कि कंपनियां अब तकनीकी निवेश को प्राथमिकता दे रही हैं। इससे आउटपुट में सुधार देखने को मिला है और कार्यक्षमता भी बढ़ी है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में निवेश ने प्रोडक्टिविटी को नई ऊंचाई दी है। यही वजह है कि कंपनियों की उत्पादन क्षमता और ग्राहक संतुष्टि दोनों में वृद्धि हुई है।

एशिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं से तुलना में भारत मजबूत

फ्लैश पीएमआई डेटा यह भी दिखाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था एशिया के अन्य देशों की तुलना में कहीं ज्यादा स्थिर और विकासशील बनी हुई है। जबकि चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में उत्पादन और सेवा क्षेत्र की गति धीमी रही है, भारत ने विपरीत परिस्थितियों में भी शानदार प्रदर्शन किया है।

यह भारत की व्यापक आर्थिक नीतियों, उद्यमशीलता और डिजिटल परिवर्तन की नीति का परिणाम है, जिसने देश को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया है।

रिपोर्ट का आधार और आगे की दिशा

यह रिपोर्ट लगभग 800 कंपनियों से मिले फीडबैक पर आधारित है। इनमें से 85 से 88 प्रतिशत कंपनियों की राय को शामिल किया गया है। रिपोर्ट की अंतिम विस्तृत रूप एक जुलाई (मैन्युफैक्चरिंग) और तीन जुलाई (सर्विस व कंपोजिट) को जारी की जाएगी।

रिपोर्ट से यह संकेत मिलते हैं कि यदि यही रफ्तार बनी रही तो भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान से ऊपर जा सकती है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भारत की विकास दर पहले ही सकारात्मक रही है और यह ट्रेंड अगर आगे भी जारी रहा, तो भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर सकता है।

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