सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने क्रिप्टोकरंसी में निवेश करके आय छुपाने और टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।
नई दिल्ली: डिजिटल युग में निवेश के नए साधनों में क्रिप्टोकरंसी सबसे चर्चित विकल्प बनकर उभरा है। लेकिन इस आधुनिक निवेश माध्यम के साथ-साथ टैक्स चोरी की भी नई चालें सामने आ रही हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी सीबीडीटी ने अब उन करदाताओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जो क्रिप्टोकरंसी में भारी मुनाफा कमाने के बावजूद सरकार को उसका जायज़ टैक्स नहीं दे रहे। हाल ही में सीबीडीटी ने हजारों ऐसे लोगों को नोटिस भेजे हैं, जिन्होंने वर्चुअल डिजिटल असेट्स से कमाई की जानकारी आयकर रिटर्न में नहीं दी या फिर जानबूझकर छिपाई।
डेटा एनालिटिक्स से पकड़े गए टैक्स चोर
सरकार के पास अब ऐसे तकनीकी टूल्स उपलब्ध हैं, जिनसे टैक्स चोरी का पता लगाना पहले से आसान हो गया है। आयकर विभाग ने इनकम टैक्स रिटर्न और क्रिप्टो एक्सचेंज द्वारा फाइल किए गए टीडीएस रिटर्न का मिलान किया। इस क्रॉस वेरिफिकेशन में पाया गया कि कई लोगों ने अपने रिटर्न में क्रिप्टो से हुई कमाई को छुपाया है। विभाग ने विशेष रूप से असेसमेंट वर्ष 2023-24 और 2024-25 को लेकर ये विश्लेषण किया है।
अधिकारियों के अनुसार, इनकम टैक्स के शेड्यूल वी डी ए यानी वर्चुअल डिजिटल असेट से संबंधित विवरण कई लोगों ने अपने रिटर्न में जोड़े ही नहीं। कुछ लोगों ने टैक्स की दर गलत लगाई तो कुछ ने ऐसे कटौती या छूट का दावा किया जो कानून में मान्य नहीं है। इससे सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान हुआ।
क्रिप्टो आय पर है सख्त टैक्स नियम
वित्त अधिनियम 2022 के तहत इनकम टैक्स एक्ट 1961 में जोड़े गए सेक्शन 115 बी बी एच के अनुसार, वर्चुअल डिजिटल असेट्स के ट्रांसफर से हुई आय पर सीधा तीस प्रतिशत टैक्स देना होता है। इसके अलावा लागू सरचार्ज और सेस भी जोड़ना अनिवार्य है। खास बात यह है कि इस तरह की आय पर होने वाले घाटे को न तो किसी अन्य आय के साथ समायोजित किया जा सकता है और न ही इसे अगले वर्षों के लिए आगे ले जाया जा सकता है।
इस प्रावधान का मतलब यह है कि क्रिप्टो ट्रेडिंग से हुए घाटे का कर लाभ लेने की अनुमति नहीं दी गई है। सरकार ने साफ संकेत दे दिया है कि क्रिप्टो को लेकर टैक्स नीति बेहद सख्त और स्पष्ट है।
CBDT की NUDGE रणनीति
सीबीडीटी ने करदाताओं में स्वेच्छा से अनुपालन की भावना बढ़ाने के लिए NUDGE नामक पहल शुरू की है। इस रणनीति का उद्देश्य यह है कि टैक्स विभाग पहले करदाताओं को जानकारी और चेतावनी देकर उन्हें सही मार्ग पर लाने का प्रयास करे। इसके तहत इनकम टैक्स विभाग पहले संभावित टैक्स चोरों को ईमेल या मैसेज के माध्यम से सतर्क करता है, ताकि वे स्वेच्छा से अपनी गलती सुधार लें।
बीते छह महीनों में यह तीसरा NUDGE कैंपेन है। इससे पहले विदेशी आय और संपत्ति का खुलासा करने तथा 80GGC के अंतर्गत गलत डिडक्शन के मामलों में यह रणनीति अपनाई गई थी। अब इसे क्रिप्टो ट्रांजैक्शंस के लिए लागू किया गया है।
क्यों जरूरी है सख्ती
भारत में पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टो निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। छोटे निवेशक से लेकर बड़े व्यापारी तक इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। लेकिन इस अनियमित और छुपे हुए बाजार में टैक्स चोरी करना आसान रहा है। क्रिप्टोकरंसी का कारोबार अक्सर ऑफ-रेडार रहता है क्योंकि इसमें कोई भौतिक दस्तावेज नहीं होता और ट्रांजैक्शंस डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए होते हैं।
सरकार को इस बात की चिंता रही है कि बड़ी संख्या में लोग क्रिप्टो से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन उसकी जानकारी आयकर विभाग को नहीं देते। ऐसे में एक पारदर्शी और टैक्स-फ्रेंडली इकोसिस्टम के निर्माण के लिए नियमों का कड़ाई से पालन अनिवार्य हो गया है।
ई-मेल नोटिस के बाद क्या करना होगा
जिन लोगों को सीबीडीटी की तरफ से ई-मेल या नोटिस मिले हैं, उन्हें अपने पुराने रिटर्न की समीक्षा करनी चाहिए। यदि उन्होंने क्रिप्टो से कमाई की जानकारी नहीं दी थी या गलत टैक्स दर का उपयोग किया था, तो उन्हें संशोधित रिटर्न फाइल करना होगा। यदि विभाग को संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो आगे चलकर इन मामलों में जुर्माना, ब्याज और यहां तक कि अभियोजन की कार्रवाई भी की जा सकती है।
कर विशेषज्ञों के अनुसार, संशोधित रिटर्न फाइल करना एक सुरक्षित विकल्प है, जिससे करदाता भविष्य की कानूनी कार्यवाही से बच सकते हैं।
बाजार और निवेशकों पर क्या असर
क्रिप्टो बाजार में पारदर्शिता लाने की यह कोशिश निवेशकों को डराने की नहीं, बल्कि जिम्मेदार निवेश की ओर ले जाने की है। जब निवेशक नियमों का पालन करेंगे, तो बाजार में विश्वास बढ़ेगा। यह दीर्घकालीन निवेश को प्रोत्साहित करेगा और भारतीय क्रिप्टो इंडस्ट्री को कानूनी रूप से सशक्त बनाएगा।
हालांकि कुछ निवेशकों में यह डर जरूर है कि सरकार की सख्ती से निवेश का रुझान कम हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पारदर्शिता और नियमों का पालन एक मजबूत डिजिटल अर्थव्यवस्था की बुनियाद है।
सरकार का रुख और संभावित कदम
सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह क्रिप्टोकरंसी को मुद्रा के रूप में मान्यता नहीं देगी। हालांकि, सरकार इसका प्रयोग निवेश और संपत्ति वर्ग के रूप में स्वीकार कर रही है, लेकिन इसके लिए नियमों और टैक्स कानूनों का पालन करना अनिवार्य होगा।
भविष्य में यह संभव है कि सरकार और क्रिप्टो एक्सचेंजों के बीच डेटा साझेदारी को और सशक्त किया जाए। इसके अलावा क्रिप्टो लेनदेन की निगरानी के लिए एक केंद्रीयकृत पोर्टल अथवा निगरानी तंत्र भी स्थापित किया जा सकता है।