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लिवर की गंभीर बीमारी: जानिए हेपेटाइटिस के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

लिवर हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो दिन-रात बिना रुके काम करता है। यह न केवल हमारे खून को साफ करता है बल्कि भोजन को पचाने में भी मदद करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। लेकिन जब लिवर प्रभावित होता है, खासकर हेपेटाइटिस जैसी बीमारी के कारण, तो यह पूरी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। आज हम बात करेंगे हेपेटाइटिस नामक बीमारी के बारे में, जो लिवर को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा सकती है, इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके।

हेपेटाइटिस क्या है?

हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें हमारे शरीर का लिवर सूज जाता है और सही तरीके से काम नहीं कर पाता। यह बीमारी ज्यादातर वायरस के कारण होती है, जो लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं। जब लिवर सूज जाता है, तो उसका काम प्रभावित हो जाता है, जिससे शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। अगर इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह लिवर फेलियर, लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकती है। इसलिए हेपेटाइटिस को गंभीरता से लेना और सही समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है।

हेपेटाइटिस के प्रकार

एक्यूट हेपेटाइटिस: इस प्रकार के हेपेटाइटिस में लक्षण अचानक प्रकट होते हैं। यह संक्रमण छह महीने के भीतर ठीक हो जाता है। आमतौर पर इसमें बुखार, थकान, पेट दर्द, उल्टी या भूख में कमी जैसे लक्षण कुछ दिनों या हफ्तों तक रहते हैं और फिर खत्म हो जाते हैं।

क्रॉनिक हेपेटाइटिस: यह तब होता है जब संक्रमण छह महीने से अधिक समय तक बना रहता है। धीरे-धीरे लिवर की सूजन बढ़ती जाती है, जिससे लिवर का कामकाज प्रभावित होता है। इलाज न मिलने पर यह लिवर फेलियर या कैंसर तक पहुंच सकता है।

हेपेटाइटिस के लक्षण

हेपेटाइटिस के लक्षण शुरुआत में बहुत हल्के या सामान्य हो सकते हैं, इसलिए अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं:

  • बार-बार दस्त होना
  • थकान और कमजोरी महसूस होना
  • भूख कम लगना या पूरी तरह खत्म हो जाना
  • पेट के दाईं ओर दर्द या बेचैनी
  • हल्का बुखार और शरीर में जकड़न
  • मतली या उल्टी आना
  • जब हेपेटाइटिस गंभीर रूप ले लेता है, तब निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
  • त्वचा और आंखों का पीलापन (जैण्डिस)
  • पेशाब का रंग गहरा और मल का रंग हल्का होना
  • त्वचा पर खुजली और जलन महसूस होना
  • सोचने-समझने में परेशानी या भूलने लगना
  • नींद आना या मानसिक भ्रम की स्थिति

हेपेटाइटिस के कारण

  1. वायरल संक्रमण: हेपेटाइटिस मुख्य रूप से वायरस के कारण होता है। इसके अलग-अलग प्रकार हैं जैसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर गंदे पानी या संक्रमित भोजन के जरिए फैलते हैं। वहीं, हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमित खून या निकट शारीरिक संपर्क से शरीर में प्रवेश करते हैं।
  2. अस्वच्छता: स्वच्छता की कमी भी हेपेटाइटिस का बड़ा कारण है। गंदा पानी पीना या साफ-सफाई न रखने वाले खाने से यह बीमारी फैल सकती है। इसलिए साफ-सुथरा खाना और पानी पीना बहुत जरूरी है।
  3. संक्रमित सुई या उपकरण: यदि सुई, टांके या अन्य चिकित्सा उपकरण ठीक से साफ न किए गए हों, तो इनसे भी हेपेटाइटिस फैल सकता है। खासकर अस्पतालों या क्लीनिकों में ध्यान रखना चाहिए कि उपकरण पूरी तरह साफ और सुरक्षित हों।
  4. रक्त संक्रमण: संक्रमित रक्त चढ़ाने से भी हेपेटाइटिस हो सकता है। इसलिए खून का परीक्षण करना और साफ-सुथरे उपकरणों का इस्तेमाल करना आवश्यक है।
  5. अधिक शराब सेवन: शराब का अधिक सेवन लिवर को कमजोर करता है। इससे लिवर की सूजन बढ़ती है और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए शराब का सेवन सीमित करना चाहिए।

हेपेटाइटिस से बचाव के आसान उपाय

  • स्वच्छता का खास ध्यान रखें: हमेशा साफ और सुरक्षित पानी पीना चाहिए। पानी को उबालकर या फिल्टर करके ही पिएं। साथ ही बाहर के खुले और अस्वच्छ खाने से बचना चाहिए क्योंकि ये हेपेटाइटिस फैलाने वाले वायरस का कारण बन सकते हैं।
  • वैक्सीन जरूर लगवाएं: हेपेटाइटिस बी और ए से बचाव के लिए प्रभावी टीके उपलब्ध हैं। बच्चे हों या बड़े, सभी को यह वैक्सीन लगवानी चाहिए ताकि यह बीमारी शरीर में न हो।
  • अपनी निजी वस्तुएं साझा न करें: यदि घर में कोई हेपेटाइटिस से संक्रमित है तो उसके टूथब्रश, रेजर, नाखून काटने के उपकरण या अन्य निजी सामान को साझा करने से बचें। इससे संक्रमण फैलने का खतरा होता है।
  • साफ-सुथरे चिकित्सा उपकरणों का इस्तेमाल करें: चिकित्सा प्रक्रियाओं के दौरान उपयोग होने वाली सुई, ब्लेड और अन्य उपकरण पूरी तरह से साफ और सेनेटाइज्ड होने चाहिए। बिना साफ किए उपकरणों के इस्तेमाल से वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है।
  • सुरक्षित यौन संपर्क बनाए रखें: हेपेटाइटिस बी और सी यौन संपर्क से भी फैल सकते हैं। इसलिए यौन संबंध बनाते समय कंडोम का प्रयोग जरूर करें ताकि संक्रमण का खतरा कम हो।
  • गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच जरूरी: गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस बी की जांच करानी चाहिए। यदि संक्रमण पाया जाता है तो समय रहते इलाज करवाना जरूरी है ताकि बच्चे को यह बीमारी न हो और वह स्वस्थ जन्म ले सके।

लिवर की सही देखभाल कैसे करें?

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है संतुलित और पौष्टिक आहार लेना। अपने भोजन में ताजे फल, सब्जियां, और प्रोटीन युक्त चीजें शामिल करें। तला-भुना, ज्यादा मसालेदार या फैटी खाना कम से कम खाएं क्योंकि इससे लिवर पर भारी दबाव पड़ता है और वह ठीक से काम नहीं कर पाता। साथ ही, शराब का सेवन बहुत कम करें या पूरी तरह बंद कर दें क्योंकि ज्यादा शराब पीने से लिवर की सेहत खराब हो जाती है और यह कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

इसके अलावा, रोजाना थोड़ी-थोड़ी देर के लिए व्यायाम करना भी जरूरी है। इससे आपका वजन नियंत्रण में रहता है और लिवर पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। साथ ही, डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन न करें, खासकर उन दवाओं का जो लिवर पर असर डालती हैं। दवाओं का गलत इस्तेमाल लिवर की बीमारी को बढ़ा सकता है, इसलिए हमेशा डॉक्टर से सही मार्गदर्शन लेकर ही दवाएं लें।

हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है जो लिवर को बर्बाद कर सकती है और यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह जीवन के लिए खतरा बन सकती है। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना और उचित सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। स्वच्छता बनाए रखना, वैक्सीन लगवाना, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे प्रभावी उपाय हैं। यदि आप या आपके परिवार के किसी सदस्य को हेपेटाइटिस के कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और समय पर इलाज करवाएं। सही जानकारी और सावधानी से आप इस बीमारी को रोक सकते हैं और अपने लिवर को स्वस्थ रख सकते हैं।

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