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रासिस्ज्म की निंदा की जानी चाहिए-रिपोर्ट:वर्क बेस्ड इमीग्रेशन के प्रति फिन्स का रवैया पहले की तुलना में सकारात्मक हुआ है

फ़िनलैंड में कुछ लोगों में रासिस्ज्म यानि की विदेशियों ( खास तौर पर एशिया और अफ्रीका के लोगों के प्रति ) हिन् भावना पाई जाती रही हैऐसे काफी लोग हैं , जो ये समझते हैं की ये लोग यहाँ आकर उनकी नौकरी पर असर डाल रहे हैं या फिर उनकी आय में कमी का कारण हैं , या फिर कई तरह के और भी सामाजिक कारणों सेपर इतना तो है की फ़िनलैंड में फिन्स की आबादी का एक हिस्सा किसी  किसी कारणों से इनलोगों को अच्छी नजर से नहीं देखते रहे हैं

 

बदल रही है सोच।

विदेशी पृष्ठभूमि वाले श्रमिकों के लिए सकारात्मक सोच के परिणामों के विकास के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के मकसद से STTK ने देशभर में एक सर्वे कराया था। अक्टूबर 2022 में कराये गए इस सर्वे में 21 प्रतिशत लोगों का जवाब बहुत सकारात्मक और 40 प्रतिशत लोगों का जवाब सकारात्मक था। 2018 मेंइसी तरह के कराये गए सर्वे में ये संख्या 12 और 39 थी। सर्वे के रिजल्ट से साफ है की फिन्स की सोच में पिछले चार सालों में काफी सकारात्मकता आई है , पर अभी भी यह कम है।

 

फ़िनलैंड को काफी विदेशी वर्कर्स की जरुरत है।

 

ये रिपोर्ट इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्यों कीकुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले कुछ वर्षों में फ़िनलैंड को वर्क बेस्ड इमीग्रेशन को तीन गुना तक बढ़ाने की बात कही गई हैकारन है युवाओं की कमी है, जो रिटायर होते लोगों की जगह ले सकें। साथ ही साथ फ़िनलैंड में बुजुर्गों की देखभाल के लिए नर्सों की कमी का मामला भी काफी महत्वपूर्ण हैसरकार के साथ साथ अब जनता भी इस बात को समझ रही है की बिना इमीग्रेशन बढ़ाये इस समस्या का समाधान नहीं होगा।

 

और क्या कहती है रिपोर्ट।

STTK  के रिपोर्ट के अनुसार फ़िनलैंड में 2030 तक वर्किंग उम्र की आबादी सिकुड़कर 130000 तक पहुँच सकती हैऐसा जन्म दर में लगातार गिरावट के कारण हैइस गैप को भरने के लिए वर्क बेस्ड इमीग्रेशन के तेजी से बढ़ोतरी के सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट में कई और देशों का उदाहरण भी दिया गया है।

 

क्या कहते हैं विदेशी कामगार

subkuz.com ने इस रिपोर्ट पर कुछ भारतीयों की राय जाननी चाहीइसी कर्म में हमारी बात कुछ लोगों से हुईउनकी रिकवेस्ट पर हम उनका नाम नहीं लिख रहे हैं ,  subkuz.com ने 4 अलग अलग लोगों से बात की , सबने ही इस सकारात्मक रिपोर्ट को अच्छी बात बताई , पर एक बात जो सबके अंदर सामान थी वो ये थी की सबको ऐसा लगता है की फ़िनलैंड में टैक्स प्रणाली को सुधारा जाना चाहिएखासकर के उन विदेशी कामगारों के लिए जो यहाँ कुछ समय के लिए वर्क परमिट पर काम करने आते हैं। साथ ही साथ सबने ही इंग्लिश को भाषा के रूप में स्वीकार करने से फ़िनलैंड को बड़ा फायदा होने की बात कहीउनका कहना है की बहोत से लोग इसलिए फ़िनलैंड छोड़कर चले जाते हैं क्यों की यहाँ टैक्स बहोत ज्यादा है और बच्चों को इंग्लिश मीडियम  में पढ़ाने के  विकल्प ना के बराबर। यह कुछ ऐसा है की फ़िनलैंड को कामगार तो चाहिए उनसे भरी टैक्स भी चाहिए पर उन्हें अपनी फॅमिली और  बच्चों के पढाई के लिए विकल्प काफी कम नजर आता हैं।फ़िनलैंड में कुछ लोगों में रासिस्ज्म यानि की विदेशियों ( खास तौर पर एशिया और अफ्रीका के लोगों के प्रति ) हिन् भावना पाई जाती रही हैऐसे काफी लोग हैं , जो ये समझते हैं की ये लोग यहाँ आकर उनकी नौकरी पर असर डाल रहे हैं या फिर उनकी आय में कमी का कारण हैं , या फिर कई तरह के और भी सामाजिक कारणों सेपर इतना तो है की फ़िनलैंड में फिन्स की आबादी का एक हिस्सा किसी  किसी कारणों से इनलोगों को अच्छी नजर से नहीं देखते रहे हैं

 

बदल रही है सोच।

विदेशी पृष्ठभूमि वाले श्रमिकों के लिए सकारात्मक सोच के परिणामों के विकास के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के मकसद से STTK ने देशभर में एक सर्वे कराया था। अक्टूबर 2022 में कराये गए इस सर्वे में 21 प्रतिशत लोगों का जवाब बहुत सकारात्मक और 40 प्रतिशत लोगों का जवाब सकारात्मक था। 2018 मेंइसी तरह के कराये गए सर्वे में ये संख्या 12 और 39 थी। सर्वे के रिजल्ट से साफ है की फिन्स की सोच में पिछले चार सालों में काफी सकारात्मकता आई है , पर अभी भी यह कम है।

 

फ़िनलैंड को काफी विदेशी वर्कर्स की जरुरत है।

 

ये रिपोर्ट इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्यों कीकुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले कुछ वर्षों में फ़िनलैंड को वर्क बेस्ड इमीग्रेशन को तीन गुना तक बढ़ाने की बात कही गई हैकारन है युवाओं की कमी है, जो रिटायर होते लोगों की जगह ले सकें। साथ ही साथ फ़िनलैंड में बुजुर्गों की देखभाल के लिए नर्सों की कमी का मामला भी काफी महत्वपूर्ण हैसरकार के साथ साथ अब जनता भी इस बात को समझ रही है की बिना इमीग्रेशन बढ़ाये इस समस्या का समाधान नहीं होगा।

 

और क्या कहती है रिपोर्ट।

STTK  के रिपोर्ट के अनुसार फ़िनलैंड में 2030 तक वर्किंग उम्र की आबादी सिकुड़कर 130000 तक पहुँच सकती हैऐसा जन्म दर में लगातार गिरावट के कारण हैइस गैप को भरने के लिए वर्क बेस्ड इमीग्रेशन के तेजी से बढ़ोतरी के सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट में कई और देशों का उदाहरण भी दिया गया है।

 

क्या कहते हैं विदेशी कामगार

subkuz.com ने इस रिपोर्ट पर कुछ भारतीयों की राय जाननी चाहीइसी कर्म में हमारी बात कुछ लोगों से हुईउनकी रिकवेस्ट पर हम उनका नाम नहीं लिख रहे हैं ,  subkuz.com ने 4 अलग अलग लोगों से बात की , सबने ही इस सकारात्मक रिपोर्ट को अच्छी बात बताई , पर एक बात जो सबके अंदर सामान थी वो ये थी की सबको ऐसा लगता है की फ़िनलैंड में टैक्स प्रणाली को सुधारा जाना चाहिएखासकर के उन विदेशी कामगारों के लिए जो यहाँ कुछ समय के लिए वर्क परमिट पर काम करने आते हैं। साथ ही साथ सबने ही इंग्लिश को भाषा के रूप में स्वीकार करने से फ़िनलैंड को बड़ा फायदा होने की बात कहीउनका कहना है की बहोत से लोग इसलिए फ़िनलैंड छोड़कर चले जाते हैं क्यों की यहाँ टैक्स बहोत ज्यादा है और बच्चों को इंग्लिश मीडियम  में पढ़ाने के  विकल्प ना के बराबर। यह कुछ ऐसा है की फ़िनलैंड को कामगार तो चाहिए उनसे भरी टैक्स भी चाहिए पर उन्हें अपनी फॅमिली और  बच्चों के पढाई के लिए विकल्प काफी कम नजर आता हैं।

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