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'सर्जरी है पर्सनल चॉइस, न कि पब्लिक डिस्कशन!': कॉस्मेटिक सर्जरी पर बोलीं चित्रांगदा सिंह, ट्रोलर्स को सुनाई खरी-खोटी

'सर्जरी है पर्सनल चॉइस, न कि पब्लिक डिस्कशन!': कॉस्मेटिक सर्जरी पर बोलीं चित्रांगदा सिंह, ट्रोलर्स को सुनाई खरी-खोटी

बॉलीवुड अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह भले ही इन दिनों फिल्मों में कम नजर आती हों, लेकिन उनका बेबाक और आत्मविश्वासी अंदाज हमेशा सुर्खियों में रहता है। वह उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में शामिल हैं जो अपनी बात खुलकर और स्पष्टता के साथ रखने से पीछे नहीं हटतीं।

Chitrangada Singh: बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा चित्रांगदा सिंह ने हाल ही में एक बेहद संवेदनशील और समकालीन मुद्दे पर खुलकर बात की है। जहां एक तरफ अभिनेत्री अपनी नई फिल्म ‘हाउसफुल 5’ को लेकर सुर्खियों में हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने कॉस्मेटिक सर्जरी को लेकर समाज में व्याप्त दोहरे रवैये और ट्रोलिंग की प्रवृत्ति पर करारा प्रहार किया है।

उनकी यह बेबाक राय न केवल ट्रोलर्स को आईना दिखा रही है, बल्कि इंडस्ट्री में चल रही ‘लुक्स शेमिंग’ जैसी मानसिकता पर भी गहरी चोट करती है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि अभिनेत्री ने इस मुद्दे पर क्या कुछ कहा।

'हर इंसान को अपने शरीर पर अधिकार है' - चित्रांगदा की बेबाकी

चित्रांगदा सिंह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा, लोग कॉस्मेटिक सर्जरी पर इतने जजमेंटल क्यों हो जाते हैं? अगर कोई अपने लुक्स को बेहतर करना चाहता है, तो उसमें गलत क्या है? उन्होंने यह भी कहा कि सर्जरी एक निजी फैसला है, जिसे किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा न तो सवालों के घेरे में लाना चाहिए और न ही उसकी सार्वजनिक समीक्षा होनी चाहिए।

उन्होंने यह साफ किया कि एक्टर भी इंसान होते हैं, और अगर कोई इंसान अपनी बाहरी सुंदरता को लेकर सहज नहीं है, तो वह बदलाव का विकल्प चुन सकता है। इससे किसी और को क्या दिक्कत होनी चाहिए?

ट्रोलिंग से बनता है अनचाहा दबाव

चित्रांगदा का कहना है कि सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स एक्ट्रेसेज़ को उनके लुक्स के लिए लगातार निशाना बनाते हैं — चाहे वो बढ़ती उम्र हो, स्किन टोन हो या फिर प्लास्टिक सर्जरी। उन्होंने इस रवैये की निंदा करते हुए कहा, ट्रोलिंग से मानसिक दबाव बढ़ता है। इससे आत्मविश्वास में गिरावट आती है और कई बार लोग खुद को शक की नजर से देखने लगते हैं। ये खतरनाक स्थिति है।

उनका मानना है कि भारत में सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटीज़ को इंसान नहीं, बल्कि टारगेट समझा जाता है। लोग भूल जाते हैं कि हर स्टार के पीछे एक संवेदनशील, निजी व्यक्ति होता है जिसकी भी भावनाएं होती हैं।

‘एक्टिंग देखिए, चेहरे नहीं’ – काम पर हो फोकस

चित्रांगदा ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, मैं चाहती हूं कि लोग हमारे लुक्स की जगह हमारी कला पर ध्यान दें। हम जो परफॉर्म करते हैं, जो कहानियां दर्शकों तक पहुंचाते हैं – वो असली चीज़ है। सर्जरी या मेकओवर उससे बड़ा नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि दर्शकों का ध्यान स्टोरी, स्क्रिप्ट और एक्टिंग स्किल्स पर होना चाहिए, न कि किसी के फेसलिफ्ट या बोटॉक्स पर।

चित्रांगदा ने इस मुद्दे पर एक अहम सामाजिक तुलना भी की। उन्होंने कहा कि हॉलीवुड में कॉस्मेटिक सर्जरी को बेहद सामान्य रूप में लिया जाता है। वहां लोग इसे पर्सनल डिसीजन मानते हैं। उन्होंने कहा, हमारे यहां लोग इसे बड़ा मुद्दा बना देते हैं, जैसे किसी ने कोई अपराध कर दिया हो। जब दुनिया में सर्जरी को आधुनिक तकनीक और आत्म-संवर्धन का हिस्सा माना जा रहा है, तब भारत में यह आज भी टीका-टिप्पणी का विषय बना हुआ है।

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