भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक, एचडीएफसी बैंक ने हाल ही में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में यह बैंक अब रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है, और इसने आईटी दिग्गज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को पीछे छोड़ दिया है।
15 लाख करोड़ रुपये के क्लब में एंट्री
एचडीएफसी बैंक लिमिटेड ने 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बाजार पूंजीकरण पार कर लिया है। यह उपलब्धि इसे देश की शीर्ष कंपनियों की सूची में और मजबूत बनाती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज अभी भी 17.5 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ पहले स्थान पर है।
एचडीएफसी बैंक की नींव और विकास यात्रा
एचडीएफसी बैंक की स्थापना 1994 में की गई थी, जब भारत आर्थिक उदारीकरण के दौर से गुजर रहा था। इस बैंक की नींव हाउसिंग फाइनेंस की दिग्गज कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड ने रखी। उस दौर में आरबीआई निजी बैंकों को लाइसेंस देने पर विचार कर रहा था, और एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने इस अवसर को पहचाना। उन्होंने सिटीबैंक के तत्कालीन सीईओ आदित्य पुरी को एचडीएफसी बैंक की कमान संभालने के लिए राजी किया और एक बेहतरीन नेतृत्व टीम बनाई।
एचडीएफसी-एचडीएफसी बैंक का ऐतिहासिक मर्जर
1 जुलाई 2023 को एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक का विलय हुआ। यह एक ऑल-स्टॉक डील थी, जिसके तहत एचडीएफसी लिमिटेड की सभी सहयोगी और सहायक कंपनियां एचडीएफसी बैंक का हिस्सा बन गईं। इस मर्जर ने बैंक को एक नया आकार दिया और इसे एक फुल-सर्विस फाइनेंशियल दिग्गज के रूप में स्थापित किया।
मर्जर के उद्देश्य और परिणाम
मर्जर का मुख्य उद्देश्य दोनों संस्थाओं की ताकतों को एकजुट करना और शेयरधारकों के लिए अधिक मूल्य निर्माण करना था। मर्जर के बाद एचडीएफसी बैंक के पोर्टफोलियो में:
- एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस (50.32%)
- एचडीएफसी एएमसी (52.48%)
- एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस (50.48%)
- एचडीएफसी सिक्योरिटीज (94.63%)
- एचबीडी फाइनेंशियल सर्विसेज (94.54%)
जैसी कंपनियां शामिल हो गईं।
चुनौतियों का सामना और रणनीतिक समाधान
मर्जर के बाद बैंक को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। जैसे:
- लोन-टू-डिपॉजिट रेशियो बढ़कर 110% हो गया।
- उच्च लागत वाली उधारी का बोझ बढ़ा, जिससे कुल देनदारियों में उधारी का हिस्सा 21% तक पहुंच गया।
हालांकि, बैंक के CFO श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने स्पष्ट किया कि यह उधारी लंबी अवधि की है और समय के साथ इसे कम लागत वाले रिटेल डिपॉजिट से रिप्लेस किया जाएगा।
प्रबंधन की सोच और भविष्य की रणनीति
एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन ने इसे संक्रमण काल बताया और भरोसा जताया कि बैंक अपने बॉटम-लाइन ग्रोथ ट्रैक रिकॉर्ड को बनाए रखेगा। उनके अनुसार, मर्जर के बाद कुछ मीट्रिक जैसे लोन ग्रोथ थोड़े समय के लिए प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन बैंक दीर्घकाल में अपनी मजबूती सिद्ध करेगा।
रियल एस्टेट फाइनेंस में नए अवसर
विलय के बाद बैंक को रियल एस्टेट फाइनेंस सेगमेंट में नए अवसर मिले हैं। डिप्टी एमडी कैजाद भरूचा ने कहा कि अब बैंक इस सेगमेंट को बैंकेबल बना सकता है, जिससे इस क्षेत्र में तरलता और वृद्धि दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
निवेशकों की हिस्सेदारी
एचडीएफसी बैंक में प्रमोटर की कोई हिस्सेदारी नहीं है। मौजूदा शेयरधारिता इस प्रकार है:
- विदेशी संस्थागत निवेशक (FII): 42.59%
- घरेलू संस्थागत निवेशक (DII): 29.92%
- पब्लिक: 10.93%
- अन्य: 16.57%
मार्केट कैप के मामले में टॉप कंपनियां
टीसीएस को पछाड़ने के बाद एचडीएफसी बैंक अब भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है। हालांकि, 1 जनवरी से 29 फरवरी के बीच इसके शेयरों में 17.5% की गिरावट आई थी, लेकिन बाद में रिकवरी करते हुए बैंक ने मजबूती से वापसी की। इसकी प्रमुख वजह है मजबूत लीडरशिप, संतुलित पोर्टफोलियो और सतत लाभप्रदता।
एचडीएफसी बैंक की यह यात्रा एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे सटीक रणनीति, मजबूत नेतृत्व और समयबद्ध फैसलों से कोई संस्था न केवल चुनौतियों से पार पा सकती है, बल्कि बाजार में अग्रणी स्थान भी प्राप्त कर सकती है। TCS जैसी दिग्गज कंपनी को पीछे छोड़ना बैंक की रणनीतिक दृष्टिकोण और निष्पादन क्षमता का प्रमाण है।