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पेटीएम फर्स्ट गेम्स को सुप्रीम कोर्ट से राहत, 5,712 करोड़ के GST नोटिस पर लगाई रोक, जानिए पूरा मामला

पेटीएम फर्स्ट गेम्स को सुप्रीम कोर्ट से राहत, 5,712 करोड़ के GST नोटिस पर लगाई रोक, जानिए पूरा मामला
अंतिम अपडेट: 25-05-2025

पेटीएम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उसकी पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (OCL) को रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म पर भेजे गए ₹5,712 करोड़ के जीएसटी नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रोक लगा दी है।

Paytm GST Notice: ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को लेकर टैक्स विभाग की सख्ती के बीच पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (OCL) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कंपनी की गेमिंग शाखा पेटीएम फर्स्ट गेम्स को भेजे गए 5,712 करोड़ रुपये के जीएसटी नोटिस पर अदालत ने स्थगन आदेश (स्टे) जारी किया है। यह फैसला 24 मई 2025 को आया और इससे कंपनी को फिलहाल एक बड़ी कानूनी उलझन से बाहर निकलने का मौका मिल गया है।

क्या है मामला?

देशभर में ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ टैक्स चोरी के आरोपों की जांच जोरों पर है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने अब तक 71 शो-कॉज नोटिस जारी किए हैं, जिनके तहत करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का अंदेशा जताया गया है। इन्हीं में से एक नोटिस पेटीएम की गेमिंग यूनिट को भी भेजा गया था।

यह नोटिस CGST अधिनियम, UPGST अधिनियम और IGST अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत अप्रैल 2025 में जारी किया गया था। इसमें DGGI ने दावा किया कि फर्स्ट गेम्स ने ऑनलाइन गेमिंग से प्राप्त कुल एंट्री फीस (एंट्री अमाउंट) पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी देयता को नहीं माना है और यह एक गंभीर कर चोरी का मामला है।

कंपनी का जवाब: इंडस्ट्री से जुड़ा मामला है, केवल पेटीएम पर केंद्रित नहीं

वन97 कम्युनिकेशंस ने अपने स्पष्टीकरण में बताया कि यह टैक्स विवाद सिर्फ फर्स्ट गेम्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़ा मसला है। कंपनी का कहना है कि जीएसटी की गणना के आधार पर व्याख्या में मतभेद है – क्या टैक्स गेमिंग प्लेटफॉर्म के मार्जिन पर लगाया जाना चाहिए या फिर कुल एंट्री फीस पर।

कंपनी ने कहा, यह मामला अब सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और कोर्ट ने हमारे पक्ष में स्थगन आदेश पारित किया है। इसका मतलब यह है कि जब तक मुख्य मुद्दे पर कोर्ट अंतिम फैसला नहीं सुना देती, तब तक DGGI द्वारा भेजे गए इस नोटिस पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

क्या कहता है कानून?

DGGI का तर्क है कि ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग एक "सेवा" (Service) है, जिस पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू होता है। लेकिन इंडस्ट्री का मत है कि कर की गणना नेट रेवेन्यू (यानी मार्जिन) पर की जानी चाहिए, न कि यूजर द्वारा जमा की गई कुल रकम पर। यह अंतर लाखों-करोड़ों की कर राशि में बड़ा फर्क पैदा करता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई यूजर 1,000 रुपये की एंट्री फीस देता है और कंपनी को उसमें से 100 रुपये का मार्जिन मिलता है, तो कंपनी चाहती है कि टैक्स केवल 100 रुपये पर लगे, न कि पूरे 1,000 पर।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: मुख्य याचिका पर सुनवाई तक कार्रवाई पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जब तक मुख्य याचिका पर अंतिम सुनवाई और निर्णय नहीं हो जाता, तब तक फर्स्ट गेम्स के खिलाफ जीएसटी नोटिस की कोई भी कार्यवाही रुकी रहेगी। यह आदेश केवल पेटीएम के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे इंडस्ट्री के लिए राहत देने वाला हो सकता है, क्योंकि यह मामला एक मिसाल (precedent) बन सकता है।

क्या है आगे की राह?

  • सुप्रीम कोर्ट अब ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर लागू जीएसटी नियमों की व्याख्या करेगा, जिससे तय होगा कि टैक्स किस आधार पर लगेगा।
  • यदि कोर्ट ने DGGI के पक्ष में फैसला दिया, तो पेटीएम समेत तमाम गेमिंग कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये का टैक्स भरना पड़ सकता है।
  • वहीं अगर इंडस्ट्री के तर्क को माना गया, तो यह फैसला पूरे डिजिटल गेमिंग सेक्टर को राहत पहुंचा सकता है और सरकार को नियमों में स्पष्टता लानी होगी।

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