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श्रीकृष्ण पुत्र साम्बा की कथा: जिससे जुड़ा यदुवंश के अंत का रहस्य

श्रीकृष्ण पुत्र साम्बा की कथा: जिससे जुड़ा यदुवंश के अंत का रहस्य
अंतिम अपडेट: 17-05-2025

भारत के पौराणिक इतिहास में श्रीकृष्ण के पुत्र साम्बा (Samba) का नाम एक ऐसी विभाजित छवि के रूप में सामने आता है, जिनका जीवन बल, सौंदर्य और विद्रोह से भरा था, लेकिन जिनकी एक गलती ने यदुवंश के विनाश की नींव रख दी। पुराणों और महाभारत के विवरणों में साम्बा का उल्लेख एक अराजक, मगर सामर्थ्यवान राजकुमार के रूप में मिलता है, जो अंततः एक ऋषि के श्राप का कारण बना और यदुवंश के अंत का माध्यम बना।

जन्म और शिव का आशीर्वाद

साम्बा का जन्म श्रीकृष्ण और उनकी रानी जाम्बवती के पुत्र के रूप में हुआ था। जाम्बवती, रामायण काल के प्रसिद्ध पात्र जाम्बवान की पुत्री थीं। संतान न होने से चिंतित जाम्बवती की इच्छा पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण ने भगवान शिव की तपस्या की, जिसके फलस्वरूप साम्बा का जन्म हुआ। शिव के आशीर्वाद से उत्पन्न होने के कारण ही उनका नाम 'सांब' रखा गया।

साम्बा का स्वभाव और विवाद

साम्बा न केवल सुंदर और बलशाली थे, बल्कि उनमें एक चंचल और उद्दंड स्वभाव भी था। यही स्वभाव एक दिन उनके पतन का कारण बना। वह कई बार ऋषियों और दरबारियों से मजाक करते थे। एक बार उन्होंने कुछ यादव युवकों के साथ मिलकर ऋषि दुर्वासा से मजाक किया, जिसमें उन्होंने साम्बा को एक स्त्री के वेश में ऋषि के सामने प्रस्तुत किया और पूछा कि यह स्त्री कब पुत्र को जन्म देगी।

श्राप बना यदुवंश के विनाश का कारण

ऋषि दुर्वासा ने इस अपमानजनक मजाक से क्रोधित होकर श्राप दे दिया कि यह बालक एक लोहे की गदा को जन्म देगा, जो उसके ही कुल के विनाश का कारण बनेगी। श्राप के अनुसार साम्बा के पेट से एक गदा उत्पन्न हुई, जिसे यादवों ने समुद्र में फिंकवा दिया, लेकिन इसके रजकण समुद्र तट की घास में बदल गए।

समय के साथ, यही घास प्रभास तीर्थ में यादव कुल के आपसी संघर्ष के दौरान अस्त्र बन गई, और उसी से यदुवंश का पूर्ण विनाश हुआ। श्रीकृष्ण के पुत्र, भाई और वंशज आपसी झगड़े में मारे गए। साम्बा भी इस गृहयुद्ध में मारे गए।

सूर्य भक्ति और कोणार्क मंदिर से संबंध

साम्बा की कथा में एक और महत्वपूर्ण अध्याय है, उनका सूर्यभक्त बनना। एक बार उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था, जिससे मुक्ति के लिए उन्होंने सूर्य देव की कठोर तपस्या की। मान्यता है कि ओडिशा के कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर की स्थापना साम्बा ने ही की थी। यह मंदिर उनकी श्रद्धा और तपस्या का प्रतीक माना जाता है और आज भी कोणार्क सूर्य मंदिर भारत की अद्भुत स्थापत्य धरोहरों में गिना जाता है।

साम्बा की विरासत

साम्बा की कहानी हमें यह सिखाती है कि अहंकार, अपमान और मजाक कभी-कभी कितने घातक परिणाम ला सकते हैं। साम्बा का जीवन, एक ओर जहां सूर्यभक्ति और तप का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर उनके द्वारा किया गया एक अपरिपक्व कृत्य पूरे यदुवंश के अंत का कारण बन गया।

महत्वपूर्ण बिंदु (Key Points)

  • साम्बा श्रीकृष्ण और जाम्बवती के पुत्र थे।
  • भगवान शिव के आशीर्वाद से उनका जन्म हुआ था।
  • उन्होंने ऋषि दुर्वासा से मजाक किया, जिसके कारण उन्हें श्राप मिला।
  • उसी श्राप के चलते यदुवंश का विनाश हुआ।
  • साम्बा सूर्य देव के उपासक थे और कोणार्क सूर्य मंदिर की स्थापना का श्रेय उन्हें जाता है।
  • उनकी मृत्यु प्रभास तीर्थ के गृहयुद्ध में हुई थी।

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