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टैरिफ नीति पर ट्रंप प्रशासन का बड़ा कदम: अमेरिका चाहता है तेज़ व्यापार वार्ता, जानें पूरा प्लान

टैरिफ नीति पर ट्रंप प्रशासन का बड़ा कदम: अमेरिका चाहता है तेज़ व्यापार वार्ता, जानें पूरा प्लान

ट्रंप प्रशासन ने दूसरे देशों से कहा है कि वे बुधवार तक व्यापार वार्ता में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रस्ताव प्रस्तुत करें। अधिकारियों का मकसद है कि टैरिफ फिर से लागू होने की पांच सप्ताह की समय सीमा से पहले कई व्यापार साझेदारों के साथ वार्ताओं में तेजी लाई जाए।

वाशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने व्यापार नीति को लेकर एक नया अहम कदम उठाया है। प्रशासन ने कई देशों से आग्रह किया है कि वे बुधवार तक अपने सर्वश्रेष्ठ व्यापार प्रस्ताव अमेरिका को सौंपें ताकि समय रहते टैरिफ (आयात शुल्क) के मुद्दे पर बातचीत को अंतिम रूप दिया जा सके। यह कदम अमेरिका की व्यापार रणनीति में बदलाव और वैश्विक बाजार में संतुलन बनाए रखने की कोशिश के तहत उठाया गया है। 

ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य 8 जुलाई तक टैरिफ को लागू करने की तयशुदा समय सीमा से पहले जटिल व्यापार वार्ता को पूरा करना है, ताकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार दोनों को स्थिरता मिल सके।

ट्रंप प्रशासन की योजना और व्यापार वार्ता की पृष्ठभूमि

पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी प्रशासन ने चीन, यूरोपीय संघ, कनाडा, मैक्सिको समेत कई प्रमुख देशों के साथ व्यापार विवाद को लेकर टैरिफ लगाना शुरू किया था। इससे वैश्विक व्यापार तनाव में वृद्धि हुई और शेयर बाजारों में अस्थिरता पैदा हुई। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रंप ने 9 अप्रैल को टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाई थी ताकि वार्ता के जरिए समाधान निकाला जा सके। अब वह चाहते हैं कि व्यापार साझेदार अपने-अपने सर्वोत्तम प्रस्ताव जल्द से जल्द प्रस्तुत करें ताकि इस जटिल मामले को जल्द से जल्द निपटाया जा सके।

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय द्वारा तैयार मसौदा दस्तावेज में यह स्पष्ट किया गया है कि प्रशासन व्यापार वार्ता को समयसीमा के भीतर समाप्त करने का इच्छुक है। इस दस्तावेज में व्यापारिक साझेदारों से अमेरिकी औद्योगिक एवं कृषि उत्पादों की खरीद बढ़ाने के लिए टैरिफ में कटौती और गैर-टैरिफ बाधाओं को खत्म करने के लिए ठोस योजना प्रस्तुत करने को कहा गया है।

टैरिफ लागू होने से पहले वार्ता को गति देने की रणनीति

ट्रंप प्रशासन की रणनीति के मुताबिक, बुधवार तक व्यापार साझेदारों से उनके ‘सर्वश्रेष्ठ और अंतिम’ प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसके पीछे मकसद है कि टैरिफ लागू करने की पांच सप्ताह की समय सीमा से पहले वार्ता में तेजी लाई जाए। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की बातचीत से न केवल अमेरिकी उद्योगों को राहत मिलेगी, बल्कि वैश्विक व्यापार की राह भी आसान होगी।

व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी केविन हैसेट समेत कई आर्थिक सलाहकारों ने यह भरोसा दिया है कि कुछ समझौते जल्दी ही पूर्ण हो जाएंगे। हालांकि, अब तक केवल ब्रिटेन के साथ ही एक बड़ा समझौता हो पाया है। बाकी देशों के साथ बातचीत जटिल बनी हुई है और ट्रंप प्रशासन इसे सुलझाने के लिए मसौदा पत्र भेजकर दबाव बढ़ा रहा है।

मसौदा दस्तावेज के मुख्य बिंदु

मसौदा दस्तावेज में साफ कहा गया है कि अमेरिका व्यापार साझेदारों से निम्नलिखित बिंदुओं पर जवाब चाहता है:

  • अमेरिकी कृषि और औद्योगिक उत्पादों की खरीद में वृद्धि के लिए प्रस्ताव
  • टैरिफ दरों में कटौती और हटाने के लिए स्पष्ट रोडमैप
  • गैर-टैरिफ बाधाओं, जैसे कस्टम क्लियरेंस, तकनीकी मानक, लाइसेंसिंग आदि में सुधार के उपाय
  • व्यापार में पारदर्शिता बढ़ाने और बाजार में बराबरी की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं
  • इन बिंदुओं पर सहमति बनने से अमेरिकी उपभोक्ता, किसान और उद्योग दोनों को लाभ होगा। साथ ही, अमेरिका की निर्यात क्षमताएं बढ़ेंगी।

अदालतों में टैरिफ को लेकर विवाद जारी

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में अमेरिकी अपीलीय अदालत से भी अनुरोध किया है कि वे उन फैसलों को रोकें जो राष्ट्रपति के टैरिफ लगाने के अधिकार को चुनौती देते हैं। कुछ अदालतों ने यह निर्णय दिया था कि राष्ट्रपति ने अपने अधिकार का अतिक्रमण करते हुए अत्यधिक टैरिफ लगाए हैं। प्रशासन का कहना है कि ऐसे फैसले अमेरिका के वैश्विक व्यापार वार्ताओं को गंभीर खतरे में डालते हैं और आर्थिक स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

ट्रंप प्रशासन की इस पहल का प्रभाव न केवल अमेरिका पर, बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर भी पड़ेगा। यदि टैरिफ को लेकर बातचीत सफल होती है तो कई देशों के बीच तनाव कम होगा और आर्थिक सहयोग बढ़ेगा। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं मजबूत होंगी और बाजारों में स्थिरता आएगी।

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