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रूस-यूक्रेन संघर्ष: इस्तांबुल में दूसरे दौर की बातचीत खत्म, पुतिन की वापसी पर सवाल

रूस-यूक्रेन संघर्ष: इस्तांबुल में दूसरे दौर की बातचीत खत्म, पुतिन की वापसी पर सवाल

रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच सोमवार को तुर्की में नए दौर की प्रत्यक्ष शांति वार्ता समाप्त हो गई। यह बैठक लगभग एक घंटे से कुछ अधिक समय तक चली, जिसके बारे में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और रूसी सरकारी मीडिया ने जानकारी साझा की।

इस्तांबुल: तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता का दूसरा दौर समाप्त हो गया है। इस दौर की वार्ता का मुख्य एजेंडा युद्धबंदियों की अदला-बदली और जबरन निर्वासित बच्चों की वापसी था। दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडल शहर के सिरागन पैलेस में एकत्रित हुए, जहां तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने वार्ता की अध्यक्षता की। वार्ता का मकसद संघर्षविराम की शर्तों पर सहमति बनाना था, लेकिन यह दौर भी कई अहम मुद्दों पर कोई ठोस समाधान नहीं दे पाया।

यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव कर रहे थे, जबकि रूस की तरफ से व्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी व्लादिमीर मेदेंस्की वार्ता में शामिल हुए। हालांकि इस बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच भारी मतभेद बने रहे। संघर्षविराम को लेकर सहमति नहीं बन सकी, जो युद्ध को लेकर अनिश्चितताओं को और बढ़ा रही है।

युद्ध की ज्वलंत स्थिति बनी हुई

तुर्की में बातचीत के दौरान भी यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी रही। लगभग 1,000 किलोमीटर के मोर्चे पर दोनों ओर से आक्रामक कार्रवाई हुई। यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी शहर खारकीव पर दो बैलिस्टिक मिसाइलें गिराईं गईं, जिनमें से एक मिसाइल एक स्कूल के पास गिरी। इससे नागरिकों में भारी दहशत फैल गई है। यूक्रेन के स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि यह हमला निर्दोष लोगों को निशाना बनाने की कोशिश है।

यूक्रेन की सुरक्षा सेवा ने दावा किया कि रविवार को एक ड्रोन हमले में रूस के करीब 40 से अधिक विमान नष्ट कर दिए गए। रूस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए यूक्रेन के 162 ड्रोन मार गिराने का दावा किया। दोनों पक्षों के बीच यह ड्रोन युद्ध रणनीति का अहम हिस्सा बन गया है, जो लड़ाई को और तीव्र बना रहा है।

पुतिन के लिए खतरे के संकेत

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की स्थिति इस युद्ध में धीरे-धीरे कमजोर होती नजर आ रही है। यूक्रेन द्वारा रूस के अंदर स्थित सैन्य ठिकानों पर किए जा रहे लगातार ड्रोन हमले पुतिन के लिए चिंता का सबब बने हुए हैं। जो स्थान पहले बेहद सुरक्षित माने जाते थे, वे अब यूक्रेनी हमलों की चपेट में आ गए हैं। यह संकेत देता है कि युद्ध जितना ज्यादा लंबा चलेगा, रूस को उतना ज्यादा नुकसान होगा।

पुतिन के करीबी सहयोगी और वार्ता प्रतिनिधि मेदेंस्की के लिए भी यह वक्त चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वे सरकार की रणनीति को मजबूती से लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अंदरूनी खामियां और बढ़ते नुकसान उनके लिए मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

अमेरिका की विफल कूटनीतिक कोशिशें

अमेरिका ने कई प्रयास किए हैं कि रूस और यूक्रेन संघर्षविराम स्वीकार करें और युद्ध खत्म हो, लेकिन अब तक कोई भी पहल सफल नहीं हो पाई। अमेरिका की कोशिशें इस युद्ध को राजनीतिक तरीके से सुलझाने में नाकाम रही हैं। वहीं, रूस और यूक्रेन दोनों अपनी-अपनी सैन्य और रणनीतिक ताकत को बढ़ाते हुए, संघर्ष को लंबे समय तक जारी रखने की कोशिश में लगे हैं।

इस्तांबुल वार्ता से साफ हो गया है कि शांति का रास्ता अभी बहुत दूर है। युद्धबंदी को लेकर दोनों पक्षों के बीच गहरी अनबन है। रूस अपनी सैन्य कार्रवाई जारी रखे हुए है, तो यूक्रेन भी अंतरराष्ट्रीय समर्थन के साथ अपनी लड़ाई में जमी हुई है। पुतिन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं और वह अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।

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