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अब्बास अंसारी की विधायकी पर लगा विराम: मऊ सीट हुई रिक्त, जल्द होंगे उपचुनाव

अब्बास अंसारी की विधायकी पर लगा विराम: मऊ सीट हुई रिक्त, जल्द होंगे उपचुनाव

यूपी के मऊ से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी की हेट स्पीच मामले में सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायकी खत्म हो गई है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने रविवार को विशेष रूप से सचिवालय खोलकर उनकी सीट को रिक्त घोषित कर दिया है और चुनाव आयोग को इसकी सूचना भेज दी गई है।

Abbas Ansari Assembly Membership Cancelled: उत्तर प्रदेश की सियासत में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। मऊ से सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता आधिकारिक रूप से रद्द कर दी गई है। यह फैसला उनके खिलाफ दर्ज हेट स्पीच मामले में अदालत द्वारा दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद लिया गया। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस पर संज्ञान लेते हुए अब्बास अंसारी की सीट को रिक्त घोषित कर दिया है।

इस पूरे घटनाक्रम में एक और बात जो चर्चा में है, वह यह कि विधानसभा सचिवालय को विशेष रूप से रविवार के दिन खोला गया ताकि औपचारिक प्रक्रिया पूरी की जा सके और चुनाव आयोग को सीट रिक्त होने की सूचना तत्काल भेजी जा सके। अब मऊ विधानसभा क्षेत्र में संभावित उपचुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

क्या है मामला?

अब्बास अंसारी पर यह मामला वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए एक विवादित भाषण को लेकर दर्ज हुआ था। अभियोजन के अनुसार, 3 मार्च 2022 को मऊ जिले के पहाड़पुर मैदान में आयोजित जनसभा में अब्बास अंसारी ने खुले मंच से मऊ प्रशासन को 'सबक सिखाने' और 'चुनाव बाद हिसाब-किताब करने' की धमकी दी थी।

इस बयान को न केवल नफरत फैलाने वाला भाषण माना गया, बल्कि इसे चुनाव आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन भी बताया गया। मामले में शहर कोतवाली के एसआई गंगाराम बिंद की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें अब्बास के अलावा उनके सहयोगी मंसूर अंसारी को भी आरोपी बनाया गया।

कोर्ट का फैसला: सजा और जुर्माना

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) डॉ. केपी सिंह की अदालत में लंबी सुनवाई के बाद 31 मई को अंतिम निर्णय आया। अदालत ने अब्बास अंसारी को दोषी मानते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनाई। इसके अलावा विभिन्न धाराओं के तहत कुल 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। वहीं, उनके सहयोगी मंसूर अंसारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत छह महीने की सजा और एक हजार रुपये का जुर्माना दिया गया है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के तहत, यदि किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी विधायकी स्वतः समाप्त हो जाती है। इसी कानूनी प्रावधान के तहत अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता समाप्त की गई है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया, हमने विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए अब्बास अंसारी की सदस्यता को समाप्त कर दिया है और सीट को रिक्त घोषित किया है। चुनाव आयोग को इसकी विधिवत जानकारी भेज दी गई है।

राजनीतिक असर: किसकी होगी अगली दावेदारी?

अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्त होने से मऊ सीट पर उपचुनाव की संभावनाएं बन गई हैं। मऊ पूर्वांचल की एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है, जहां से अंसारी परिवार का राजनीतिक प्रभाव लंबे समय से रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुभासपा इस सीट पर किसे प्रत्याशी बनाकर उतारती है, या फिर सपा, बसपा और भाजपा जैसी अन्य पार्टियां इस मौके को भुनाने के लिए क्या रणनीति बनाती हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस उपचुनाव के नतीजे, पूर्वांचल की राजनीति की दिशा तय कर सकते हैं। अंसारी परिवार की छवि को इस मामले से नुकसान तो हुआ है, लेकिन स्थानीय प्रभाव को कम आंकना भी जल्दबाज़ी होगी।

कानूनी जानकारों के मुताबिक, अगर अब्बास अंसारी की सजा पर कोई ऊपरी अदालत से स्थगन (stay) नहीं मिलता है, तो वे आगामी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा मिलने पर व्यक्ति छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता है।

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