2004 में एक व्यापारी की हत्या के प्रयास के मामले में गैंगस्टर छोटा राजन को बरी कर दिया गया है। यह मामला 21 वर्ष पुराना था, और 2015 में राजन के भारत प्रत्यर्पण के बाद उस पर इस मामले में मुकदमा चलाया गया था।
मुंबई: गैंगस्टर छोटा राजन को 2004 में एक व्यापारी की हत्या के प्रयास के मामले में बरी कर दिया गया है। 21 साल बाद, अदालत ने यह फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष राजन की संलिप्तता को साबित करने में विफल रहा। 2015 में भारत प्रत्यर्पण के बाद इस मामले में राजन के खिलाफ मुकदमा चलाया गया था। इस फैसले ने न केवल छोटा राजन की कानूनी लड़ाई को एक अहम मोड़ दिया है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या पुलिस द्वारा की गई जांच और आरोपों में कहीं खामी रही थी।
क्या था मामला?
साल 2004 में मुंबई के अंधेरी इलाके में एक व्यापारी, नंदकुमार हरचंदानी, और उनके कार्यालय में काम कर रहे एक अकाउंटेंट पर हत्या का प्रयास किया गया था। आरोप था कि 6-7 लोग हरचंदानी की फर्म के कार्यालय में घुसे और वहां मौजूद अकाउंटेंट पर गोलियां चला दीं। इस हमले के बाद पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया और गैंगस्टर छोटा राजन को वांछित आरोपी घोषित कर दिया था।
पुलिस का दावा था कि यह हमला राजन के अपराध सिंडिकेट द्वारा किया गया था और राजन ने इस मामले में अपने गुर्गों को हत्या के आदेश दिए थे। हालांकि, अदालत ने इस मामले में राजन को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष इस बात को साबित करने में असफल रहा कि वह इस अपराध में शामिल था।
मकोका के तहत आरोप और अदालत का फैसला
इस मामले में पुलिस ने राजन के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की कठोर धाराएं भी लगाई थीं। मकोका के तहत आरोप यह था कि राजन ने अपनी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हुए हरचंदानी की हत्या के प्रयास का आदेश दिया था। पुलिस ने यह भी दावा किया था कि यह अपराध राजन के अपराध सिंडिकेट के प्रमुख के रूप में अंजाम दिया गया था।
अदालत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मकोका की धारा लगाने के लिए आवश्यक मंजूरी और पूर्वानुमति उचित नहीं थी। अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि राजन का इस मामले से कोई संबंध था।
राजन के खिलाफ अन्य मामले
राजन का नाम भारत में कई आपराधिक मामलों से जुड़ा रहा है। 2015 में उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया था और इसके बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद था। हालांकि, इस दौरान उसे कुछ मामलों में बरी भी किया गया है। वर्तमान में वह जे डे हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। राजन के खिलाफ कई अन्य मामलों की सुनवाई भी चल रही है, और यह देखा जाएगा कि क्या वह इन मामलों में भी बरी हो सकते हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
2004 के इस मामले में नंदकुमार हरचंदानी एक निर्माण परियोजना में शामिल थे, जिसमें अंधेरी में झुग्गी पुनर्वास योजना के तहत एक इमारत का निर्माण हो रहा था। इस परियोजना के दौरान हरचंदानी को जमीन के पुराने मालिकों और ठेकेदार के साथ भुगतान को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद को लेकर हरचंदानी को धमकी भरे फोन आने लगे थे, जिनका आरोप था कि ये कॉल गैंगस्टर छोटा राजन ने की थीं।
अभियोजन पक्ष ने यह भी दावा किया था कि राजन ने बिल्डर की हत्या का काम अपने गुर्गों को सौंपा था। हालांकि, इस मामले में अदालत ने यह साबित नहीं होने दिया कि राजन का इसमें कोई हाथ था।