सुप्रीम कोर्ट ने CJI के प्रोटोकॉल उल्लंघन की जांच की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने वकील पर ₹7,000 जुर्माना लगाया और कहा कि यह याचिका सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए थी।
SC: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई के महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल उल्लंघन से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील पर 7,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। चीफ जस्टिस ने खुद इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामूली मुद्दे को इतना तूल देने की जरूरत नहीं है।
प्रोटोकॉल उल्लंघन की याचिका खारिज
CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि यह याचिका केवल पब्लिसिटी पाने और अखबारों में नाम छपवाने के लिए दायर की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने पहले बयान जारी कर इस मामूली मामले को बढ़ावा न देने की सलाह दी थी।
CJI ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के छोटे-छोटे मुद्दों को बढ़ाकर "राई का पहाड़ बनाने" वाली परंपरा को पूरी तरह नकारना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे एक व्यक्ति के तौर पर अपने साथ हुए व्यवहार को लेकर नहीं, बल्कि CJI पद की गरिमा और लोकतंत्र के मुख्य अंग के सम्मान की बात कर रहे थे।
प्रोटोकॉल उल्लंघन का मामला क्या था?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब CJI बीआर गवई ने महाराष्ट्र के दौरे के दौरान यह महसूस किया कि उनके स्वागत के लिए महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस कमिश्नर जैसे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद नहीं थे। इस बात पर CJI ने सार्वजनिक रूप से चिंता जताई थी कि इस तरह के प्रोटोकॉल का उल्लंघन न्यायपालिका की गरिमा के लिए ठीक नहीं है।
हालांकि, इस मामले को लेकर बाद में कई लोग और संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और जांच की मांग करने लगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इस मामूली मुद्दे को सार्वजनिक विवाद का विषय नहीं बनाना चाहिए।
जुर्माना क्यों लगाया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील पर 7,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि वकील 7 साल से प्रैक्टिस कर रहा है, लिहाजा उसे पता होना चाहिए था कि बिना वजह की ऐसी याचिका दायर करना उचित नहीं है।
यह जुर्माना इस बात का संदेश भी है कि कोर्ट की गरिमा और अनुशासन को बनाए रखना कितना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामूली विवादों को बढ़ावा देने की बजाय उन्हें शांति से निपटाना चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा – क्यों जरूरी है CJI की गरिमा?
CJI ने इस मामले में यह भी बताया कि वह व्यक्तिगत तौर पर किसी के व्यवहार से परेशान नहीं थे। उनकी चिंता न्यायपालिका के सर्वोच्च पद की गरिमा और सम्मान को लेकर थी।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए, ऐसे मुद्दों को बिना वजह हवा देने से बचना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जब खुद CJI ने इस मामले को बढ़ावा न देने की बात कही है, तो इसका कोई फायदा नहीं कि इसे आगे खींचा जाए।
मीडिया और पब्लिसिटी के प्रति चेतावनी
CJI ने इस मामले में वकीलों और मीडिया को भी संदेश दिया कि वे बिना जांच-पड़ताल के छोटे-छोटे मामलों को बड़ा बनाने से बचें। उन्होंने कहा कि कोर्ट की गरिमा और न्यायिक व्यवस्था को बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है।