प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज में जनसभा करना सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले एक रणनीतिक संदेश भी है।
पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज में शुक्रवार को होने वाला दौरा केवल एक राजनीतिक सभा नहीं, बल्कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दौरा एनडीए की उस कमजोर कड़ी को मज़बूत करने का प्रयास है, जहां पिछले दो चुनावों में गठबंधन को करारी शिकस्त मिली थी। शाहाबाद और मगध क्षेत्र, जहां कुल 55 विधानसभा सीटें हैं, बीजेपी और एनडीए के लिए हमेशा से चुनौती बने रहे हैं।
विक्रमगंज: रणनीतिक रूप से क्यों है अहम?
विक्रमगंज, शाहाबाद और मगध क्षेत्र के केंद्र में स्थित है। यह इलाका राजनीतिक रूप से संवेदनशील और जातीय समीकरणों से प्रभावित रहा है। पीएम मोदी की यह रैली ना सिर्फ एनडीए कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए है, बल्कि सीधे-सीधे उन मतदाताओं को संदेश देने के लिए है, जिन्होंने पिछले चुनावों में गठबंधन से दूरी बनाई थी।
यह प्रधानमंत्री मोदी का 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पहला बिहार दौरा है। ऐसे में यह दौरा सिर्फ राजनीतिक गतिविधि नहीं, बल्कि चुनावी शंखनाद के रूप में देखा जा रहा है।
2019 लोकसभा चुनावों में बड़ा झटका
शाहाबाद और मगध क्षेत्र में एनडीए को 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी नुकसान झेलना पड़ा था। पूरे बिहार में जिन 10 लोकसभा सीटों पर एनडीए को हार मिली, उनमें से 7 सीटें इसी क्षेत्र से थीं। इनमें प्रमुख सीटें थीं —
- बक्सर
- आरा
- सासाराम
- औरंगाबाद
- जहानाबाद
- पाटलिपुत्र
- काराकाट
इनमें केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह, उपेंद्र कुशवाहा और रामकृपाल यादव जैसे प्रभावशाली चेहरे भी पराजित हो गए। इससे साफ जाहिर होता है कि यह इलाका एनडीए के लिए कमजोर पड़ाव रहा है।
2020 विधानसभा चुनाव में भी बुरा हाल
2019 लोकसभा चुनाव की हार से सबक लेने का मौका भी एनडीए को 2020 के विधानसभा चुनाव में नहीं मिला। इस क्षेत्र की 55 विधानसभा सीटों में से एनडीए को केवल 10 सीटों पर जीत मिली। कई लोकसभा क्षेत्रों जैसे कि जहानाबाद, पाटलिपुत्र, बक्सर और काराकाट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर एनडीए का खाता तक नहीं खुला। यह प्रदर्शन महागठबंधन के पक्ष में गया, जिसमें आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों ने बेहतर तालमेल के साथ जीत दर्ज की।
पीएम मोदी की रैली का संदेश
विक्रमगंज में प्रधानमंत्री की रैली से दोहरे उद्देश्य पूरे करने की कोशिश है।
एनडीए कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार
जनता को भरोसा दिलाना कि पिछली हार से सबक लिया गया है और इस बार तैयारी पक्की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में विकास कार्यों, केंद्र सरकार की योजनाओं और बिहार को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता का ज़िक्र प्रमुखता से होगा। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि असली लक्ष्य इस बार क्षेत्रीय समीकरणों को साधना है।
जातीय समीकरणों पर विशेष फोकस
मगध और शाहाबाद क्षेत्र जातीय दृष्टि से अत्यंत जटिल हैं। यहां कुशवाहा, यादव, भूमिहार, पासवान, दलित, मुसलमान और ओबीसी वर्ग की प्रमुख उपस्थिति है। महागठबंधन ने पिछली बार इन्हीं जातीय समीकरणों को सही ढंग से साधकर एनडीए को किनारे कर दिया था। इस बार बीजेपी और एनडीए इस चूक को नहीं दोहराना चाहते।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में भी जातीय संतुलन को ध्यान में रखकर कार्यक्रम तय किए गए हैं, और स्थानीय नेताओं को भी मंच पर प्रमुखता दी जाएगी।
भविष्य की चुनावी ज़मीन तैयार करने की कोशिश
पीएम मोदी की यह सभा महज एक रैली नहीं बल्कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की नींव है। बीजेपी जानती है कि अगर शाहाबाद-मगध क्षेत्र में बढ़त बनानी है तो यहां के जनमानस को अपने पक्ष में करना अनिवार्य है। इस दौरे से एनडीए यह संकेत भी देना चाहता है कि भले ही पिछली बार जनता ने नाराजगी दिखाई हो, लेकिन इस बार सरकार भरोसे के साथ, विकास के एजेंडे पर चुनावी मैदान में उतरेगी।