पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने सोमवार को पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया, जिसमें उन्होंने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के फैसले का जोरदार विरोध किया।
Punjab Assembly Session: पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद एक बार फिर उफान पर है। पंजाब सरकार ने स्पष्ट शब्दों में एलान कर दिया है कि वह हरियाणा को अपने हिस्से से एक बूंद भी पानी नहीं देगी। पंजाब विधानसभा में सोमवार को बुलाए गए विशेष सत्र में जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने के फैसले का पुरजोर विरोध किया गया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में बुलाई गई इस विशेष बैठक में विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया, जिसमें कहा गया कि जल संकट से जूझ रहे पंजाब के अधिकारों का हनन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हरियाणा को दिया गया पानी मानवता के आधार पर: अब और नहीं
जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल ने कहा कि पंजाब ने पहले ही मानवीय आधार पर हरियाणा को 4,000 क्यूसेक पानी दिया है, लेकिन अब जल आपूर्ति की अपनी सीमा पर पहुंच चुका है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, अब पंजाब से एक बूंद अतिरिक्त पानी हरियाणा को नहीं मिलेगा। गोयल ने आरोप लगाया कि बीबीएमबी भाजपा सरकार की कठपुतली बन चुकी है और केंद्र सरकार पंजाब के जल संसाधनों पर सीधा नियंत्रण चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि 1981 की जल बंटवारा संधि अब अप्रासंगिक हो चुकी है और नए हालात के अनुरूप एक ताजा समझौते की आवश्यकता है।
केंद्र और बीबीएमबी पर गंभीर आरोप
गोयल ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह संस्थान अब निष्पक्ष संस्था नहीं रही, बल्कि भाजपा की राजनीतिक मंशाओं के अधीन काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल को बीबीएमबी द्वारा की गई देर रात की बैठक न केवल अवैध थी, बल्कि उसका मकसद पंजाब के जल अधिकारों को कमजोर करना था।
गोयल का बयान, बीबीएमबी की यह बैठक बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलाई गई, न तो पंजाब को समय पर सूचना दी गई और न ही उसके सुझावों को गंभीरता से लिया गया। यह पूरी प्रक्रिया संविधान और संघीय ढांचे का उल्लंघन है।
‘डैम सेफ्टी एक्ट 2021’ को बताया संघीय ढांचे पर हमला
पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा पारित ‘डैम सेफ्टी एक्ट 2021’ को भी आड़े हाथों लिया। इस कानून को पंजाब ने अपने अधिकारों पर हमला करार दिया। प्रस्ताव में कहा गया कि यह कानून राज्यों की नदियों और बांधों पर केंद्र का एकाधिकार स्थापित करता है, जो संघीय संरचना के खिलाफ है। प्रस्ताव में की गई मुख्य मांगें
- हरियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं दिया जाएगा।
- बीबीएमबी की असंवैधानिक बैठकों की निंदा।
- बीबीएमबी का पुनर्गठन किया जाए।
- 1981 की जल-बंटवारा संधि की समीक्षा।
- बीबीएमबी को कानून का पालन करने का निर्देश।
- बीबीएमबी की शक्तियों की सीमाएं तय हों।
- डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को रद्द किया जाए।
किसानों के लिए नहर जल आपूर्ति को लेकर सराहना
प्रस्ताव में पंजाब सरकार की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला गया। जल मंत्री ने बताया कि भगवंत मान सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में नहर प्रणाली को सशक्त बनाया है, जिससे अब राज्य की लगभग 60% कृषि भूमि को नहर जल मिलने लगा है। उन्होंने कहा कि ये सुधार भाजपा को रास नहीं आ रहे हैं, इसलिए वह साजिश रचकर पंजाब के जल संसाधनों को कमजोर करना चाहती है।
बरिंदर गोयल ने कहा कि पंजाब ने ऐतिहासिक रूप से देश को पानी पिलाने के लिए अपनी भूमि और नदियों का बलिदान दिया है, लेकिन आज वही पंजाब अपने हिस्से के पानी के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने बताया कि पंजाब के कुल जल संसाधनों का 80% हिस्सा गैर-तटीय राज्यों को दे दिया गया है, जबकि जब पंजाब में बाढ़ की स्थिति आई, तो इन्हीं राज्यों ने अतिरिक्त पानी लेने से मना कर दिया।
सभी राजनीतिक दलों की एकजुटता
इस प्रस्ताव को सभी दलों का समर्थन प्राप्त हुआ। 2 मई को मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने पंजाब के अधिकारों की रक्षा की बात कही थी। सभी दल इस बात पर एकमत थे कि बीबीएमबी का हालिया निर्णय पंजाब के हितों के खिलाफ है और इसे किसी भी सूरत में लागू नहीं होने दिया जाएगा।
सत्र की शुरुआत पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। इसके बाद पूरे सत्र का केंद्र बिंदु जल विवाद रहा। विधानसभा ने स्पष्ट किया कि पंजाब अपने जल संसाधनों पर किसी भी राज्य या संस्था की दखलंदाजी को स्वीकार नहीं करेगा।