4 जून 2025, बुधवार को महेश नवमी का शुभ पर्व मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा के लिए जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से महेश्वरी समाज के लोग व्रत रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आने वाला यह पर्व आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार महेश नवमी पर वज्र योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इसे और भी विशेष बना रहे हैं।
इस लेख में हम जानेंगे 4 जून 2025 का विस्तृत हिन्दी पंचांग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, ग्रहों की स्थिति, और महेश नवमी पर क्या करें और क्या न करें से जुड़ी अहम जानकारी।
4 जून 2025 का पंचांग (Hindi Panchang 4 June 2025)
तिथि: नवमी (आरंभ: 3 जून रात 9:56 बजे से समाप्त: 4 जून रात 11:54 बजे तक)
- वार: बुधवार
- नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
- योग: वज्र, रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग
- चंद्रमा की स्थिति: सिंह राशि में
- सूर्योदय: प्रातः 5:24 बजे
- सूर्यास्त: सायं 7:14 बजे
- चंद्रोदय: दोपहर 1:16 बजे
- चंद्रास्त: 5 जून प्रातः 1:33 बजे
- शुभ योग और मुहूर्त (Shubh Yog & Muhurat)
- वज्र योग: दिन भर रहेगा
- रवि योग: पूरे दिन
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 4 जून को पूर्ण दिन
- अमृत काल: सुबह 6:04 से 7:45 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:21 से 3:28 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: सायं 6:24 से 7:23 बजे तक
इन मुहूर्तों में विवाह, नया व्यापार शुरू करना, वाहन, संपत्ति खरीदना या गृह प्रवेश जैसे कार्य अत्यंत शुभ फलदायी माने जाते हैं।
अशुभ समय (Ashubh Samay)
- राहुकाल: दोपहर 12:20 से 2:04 बजे तक
- यमगण्ड काल: सुबह 7:06 से 8:51 बजे तक
- गुलिक काल: सुबह 10:35 से दोपहर 12:20 बजे तक
- विडाल योग: 4 जून रात्रि 3:35 बजे से 5 जून सुबह 5:23 बजे तक
- आडल योग: सुबह 5:23 से 5 जून सुबह 3:35 तक
इन समयों में किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए।
ग्रहों की स्थिति (Graha Gochar 4 June 2025)
- सूर्य: वृषभ
- चंद्रमा: सिंह
- मंगल: कर्क
- बुध: वृषभ
- गुरु (बृहस्पति): मिथुन
- शुक्र: मीन
- शनि: मीन
- राहु: कुंभ
- केतु: सिंह
चंद्रमा का सिंह राशि में होना आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को बल देता है। वहीं वृषभ राशि में सूर्य और बुध का योग शुभ विचारों और स्थिरता को जन्म देता है।
महेश नवमी का धार्मिक महत्व (Mahesh Navami 2025 Significance)
महेश नवमी को भगवान शिव ने 72 क्षत्रियों को हिंसा के पथ से मोक्ष दिलाकर धर्म के मार्ग पर लाया था। मान्यता है कि इसी दिन महेश्वरी समाज का उद्भव हुआ था। इसलिए इस दिन को महेश्वरी समाज की उत्पत्ति तिथि भी माना जाता है। शिव-पार्वती के पूजन, व्रत, कथा पाठ और रुद्राभिषेक करने से पापों से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन का विशेष योग व्यापारियों और गृहस्थों के लिए भी उत्तम माना गया है।
क्या करें (Kya Kare)
- रुद्राभिषेक करें: जल, दूध, बेलपत्र आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- मंत्र जाप करें: ॐ रुद्राय नमः मंत्र का जाप 108 बार करें।
- दान-पुण्य करें: अन्न, वस्त्र, जल पात्र, पुस्तकें और दवाइयों का दान करें।
- व्रत और कथा सुनें: महेश नवमी की व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
- वृक्षारोपण करें: पीपल, बेल और नीम का पौधा लगाना शुभ रहेगा।
क्या न करें (Kya Nahi Kare)
- काले वस्त्र न पहनें: यह रंग नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
- पार्थिव शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद न खाएं: इसे केवल भगवान को समर्पित करें।
- हिंसा और कटु वचन से बचें: इस दिन संयम और मधुर व्यवहार जरूरी है।
- शिवलिंग पर तुलसी पत्र न चढ़ाएं: यह शिव पूजा में वर्जित है।
4 जून 2025 का दिन शिव उपासना, ध्यान, व्रत, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ है। वज्र, रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग इसे अत्यंत विशेष बना देते हैं। यदि आप जीवन में शांति, सफलता और रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं, तो इस दिन भगवान शिव की आराधना अवश्य करें।