हाल ही में गोरखपुर के चिड़ियाघर में एक बाघिन की एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) से मौत ने पूरे उत्तर प्रदेश में चिंता की लहर दौड़ा दी है। इसके बाद कई चिड़ियाघर और पोल्ट्री फार्मों को बंद कर दिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विभिन्न शोधों के अनुसार, बर्ड फ्लू के कुछ खतरनाक वैरिएंट्स, खासकर H5N1, इंसानों के लिए भी जानलेवा हो सकते हैं। इस लेख में हम बर्ड फ्लू के शुरुआती लक्षणों, इसके खतरों और बचाव के जरूरी कदमों की जानकारी विस्तार से देंगे।
बर्ड फ्लू क्या है?
बर्ड फ्लू, जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो मुख्यतः पक्षियों को प्रभावित करता है। लेकिन समय-समय पर यह वायरस इंसानों में भी फैल सकता है, खासकर तब जब वे संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आते हैं। बर्ड फ्लू के कई प्रकार होते हैं, लेकिन H5N1 और H7N9 जैसे वैरिएंट्स अधिक खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि इनकी मौत दर अधिक होती है।
बर्ड फ्लू के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
बर्ड फ्लू के लक्षण इंसानों में आमतौर पर संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने के 2 से 8 दिनों के भीतर दिखने लगते हैं। शुरूआती लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे बीमारी को समय पर पहचानना मुश्किल हो सकता है। इसलिए इन लक्षणों को गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है।
- तेज बुखार: बर्ड फ्लू का सबसे पहला और स्पष्ट लक्षण तेज बुखार होता है। यह बुखार अक्सर 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है और अचानक आता है। बुखार के साथ शरीर में कमजोरी और थकावट भी महसूस हो सकती है।
- सूखी खांसी और गले में खराश: यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। संक्रमण के कारण लगातार सूखी खांसी और गले में खराश हो सकती है। ये लक्षण खासकर तब नजर आते हैं जब वायरस फेफड़ों तक फैल चुका हो।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द: शरीर के विभिन्न हिस्सों में मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द होना भी बर्ड फ्लू के लक्षणों में से एक है। यह दर्द शरीर में वायरस के फैलाव का संकेत देता है।
- सिरदर्द और ठंड लगना: सिर में तेज दर्द और बार-बार ठंड लगना, कभी-कभी कंपकंपी भी महसूस होना, संक्रमण के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
- सांस लेने में तकलीफ: कुछ मामलों में, बर्ड फ्लू के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। यह स्थिति गंभीर होती है और तुरंत चिकित्सकीय मदद की आवश्यकता होती है।
- पेट की समस्या: कभी-कभी बर्ड फ्लू के मरीजों को उल्टी, दस्त और पेट दर्द जैसी समस्या भी हो सकती है। हालांकि ये लक्षण कम ही दिखाई देते हैं, लेकिन इसके भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
बर्ड फ्लू कितना खतरनाक है?
बर्ड फ्लू के कुछ वैरिएंट्स जैसे H5N1 इंसानों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं। 2025 में हुए अध्ययन के अनुसार, H5N1 वैरिएंट संक्रमित व्यक्ति की हालत 48 घंटे के भीतर गंभीर रूप से बिगड़ सकती है। यह निमोनिया, मल्टी-ऑर्गन फेल्योर और कई बार मौत का कारण बन सकता है। WHO के आंकड़ों के मुताबिक, 2023 से 2025 के बीच बर्ड फ्लू संक्रमण से मरने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। इस वायरस से संक्रमित 10 में से करीब 6 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस हिसाब से इसकी मृत्यु दर 50% से भी ज्यादा हो सकती है।
बर्ड फ्लू से बचाव कैसे करें?
बर्ड फ्लू से बचाव के लिए कुछ विशेष सावधानी बरतना जरूरी है, खासकर उन लोगों के लिए जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं या पोल्ट्री फार्म में काम करते हैं।
- संक्रमित पक्षियों से दूरी बनाए रखें: अगर आपके आसपास कोई पक्षी बीमार या मृत पड़ा है, तो उससे संपर्क करने से बचें। पोल्ट्री फार्म और चिड़ियाघरों में साफ-सफाई और सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन करें।
- हाथों की सफाई पर ध्यान दें: पक्षियों को छूने के बाद या पोल्ट्री फार्म से आने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन और पानी से धोएं। हाथों को बार-बार साफ करना संक्रमण फैलने से रोकता है।
- मास्क और दस्ताने पहनें: पोल्ट्री फार्म या चिड़ियाघर में काम करते समय मास्क, दस्ताने और पूरी पीपीई किट पहनें ताकि वायरस से बचा जा सके।
- अधपका या कच्चा मांस न खाएं: अगर चिकन या अंडा खा रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वह पूरी तरह से पकाया गया हो। अधपका मांस या अंडा खाने से वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें: अगर किसी को बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो उससे दूरी बनाए रखें और चिकित्सीय सलाह लें।
- समय पर डॉक्टर से संपर्क करें: अगर आपको बुखार, खांसी, गले में खराश या सांस लेने में दिक्कत महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज बीमारी को गंभीर होने से बचा सकता है।
बर्ड फ्लू के इलाज और मेडिकल सहायता
बर्ड फ्लू के इलाज में एंटीवायरल दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही मरीज को पूरी निगरानी में रखा जाता है ताकि संक्रमण का प्रभाव कम किया जा सके। शुरुआती इलाज में देरी से मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है। इसलिए संक्रमण के संकेत दिखते ही चिकित्सक से सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।