सस्ते एफएमसीजी उत्पादों के जरिए बढ़ेगी ग्रामीण भारत में पकड़, 2027 तक राष्ट्रीय विस्तार की रणनीति
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज अब एफएमसीजी (FMCG) सेक्टर में बड़ा दांव खेलने जा रही है। कंपनी का लक्ष्य है कि गांव-गांव तक अपनी पहुंच बनाकर सस्ते और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद देश के आम नागरिकों तक पहुंचाए जाएं। इस रणनीति के तहत रिलायंस ने देश के करीब 60 करोड़ मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं को अपना टारगेट बनाया है।
ग्रामीण भारत पर फोकस
रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (RCPL) के डायरेक्टर टी. कृष्णकुमार ने कहा कि भारत की 1.4 अरब की आबादी में से एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो अभी भी एफएमसीजी बाजार में नजरअंदाज किया जाता रहा है। उन्होंने बताया, “करीब 60 करोड़ उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके लिए अच्छी क्वालिटी के किफायती उत्पाद बनाए जा सकते हैं, और हम इसी पर फोकस कर रहे हैं।”
महंगे उत्पादों को चुनौती
जहां अन्य बड़ी कंपनियां जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, डाबर और नेस्ले प्रीमियम सेगमेंट पर ध्यान दे रही हैं, वहीं रिलायंस आम लोगों को सस्ते उत्पाद उपलब्ध कराना चाहती है। कंपनी की रणनीति है कि लोकल किराना दुकानों के साथ साझेदारी करके मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार किया जाए और दुकानदारों को अच्छा मार्जिन देकर उन्हें जोड़ा जाए।
अब तक खरीदे 15 से अधिक ब्रांड
रिलायंस ने 2022 में एफएमसीजी सेक्टर में कदम रखते हुए अब तक 15 से ज्यादा ब्रांड का अधिग्रहण किया है। इनमें कैंपा कोल्ड ड्रिंक, लोटस चॉकलेट, टॉफमैन, रावलगांव, Sil जैम, एलन बगल्स स्नैक्स, वेलवेट शैम्पू और इंडिपेंडेंस स्टेपल्स शामिल हैं। कंपनी की योजना है कि मार्च 2027 तक इन सभी ब्रांड्स की राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति दर्ज कराई जाए।
FY25 में शानदार प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2025 में RCPL ने 11,500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, जिसमें से 60% बिक्री जनरल ट्रेड से आई। कंपनी का दावा है कि कैंपा और इंडिपेंडेंस ब्रांड की बिक्री 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रही और इनका नेटवर्क 10 लाख दुकानों तक पहुंच चुका है।
बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य निर्धारण
रिलायंस ने अपने सभी प्रमुख उत्पादों की कीमत को बाजार की बड़ी कंपनियों से 20-40% तक कम रखा है। सॉफ्ट ड्रिंक्स, चॉकलेट और डिटर्जेंट जैसी कैटेगरी में कंपनी ने कोका-कोला, मोंडेलेज और HUL जैसी कंपनियों को सीधे टक्कर दी है।
आगे की रणनीति
कंपनी का उद्देश्य है कि मार्च 2026 तक वह पेय पदार्थों और स्टेपल्स में 60-70% बाजार हिस्सेदारी प्राप्त करे। कृष्णकुमार के अनुसार, “हम ऑर्गेनिक ग्रोथ और अधिग्रहण दोनों तरीकों से आगे बढ़ेंगे, लेकिन किसी भी ब्रांड के लिए अधिक कीमत नहीं चुकाई जाएगी।”
रिलायंस की यह रणनीति भारत के एफएमसीजी बाजार में बड़ा बदलाव ला सकती है। कंपनी जहां एक ओर ग्रामीण भारत को सस्ते और भरोसेमंद विकल्प दे रही है, वहीं दूसरी ओर देश की बड़ी एफएमसीजी कंपनियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है।