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ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने वाली विंग कमांडर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, सेवा मुक्त करने से रोका

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया है कि वे उस महिला अफसर को सेवा से मुक्त न करें जो ‘ऑपरेशन बालाकोट’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे महत्वपूर्ण अभियानों का हिस्सा रह चुकी हैं, लेकिन उन्हें स्थायी कमीशन देने से मना किया गया था।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन बालाकोट’ में सक्रिय भूमिका निभाने वाली महिला अफसर विंग कमांडर निकिता पांडे को बड़ी राहत दी है। स्थायी कमीशन न दिए जाने के कारण सेवा से मुक्त किए जाने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना को निर्देश दिया है कि निकिता पांडे को अगले आदेश तक सेवा से मुक्त न किया जाए। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और वायुसेना से जवाब भी मांगा है और महिला अफसर के स्थायी कमीशन न दिए जाने को भेदभावपूर्ण करार दिया है।

महिला अफसर के साथ स्थायी कमीशन में भेदभाव का आरोप

विंग कमांडर निकिता पांडे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी मुवक्किल ने भारतीय वायुसेना की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IAKCS) में विशेषज्ञ के रूप में काम किया है। वे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन बालाकोट’ जैसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों का हिस्सा थीं। इसके बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया है, जो कि सेवा में महिलाओं के साथ भेदभाव को दर्शाता है।

स्थायी कमीशन न मिलने के कारण निकिता पांडे की सेवा अब खतरे में आ गई थी। ऐसे में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और न्यायालय से मदद मांगी। अदालत ने केंद्र और भारतीय वायुसेना से इस मामले में जवाब तलब किया और सुनवाई 6 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।

सुप्रीम कोर्ट का सेना के प्रति सम्मान और चिंता

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने भारतीय वायुसेना को एक अत्यंत पेशेवर बल बताते हुए कहा कि इस तरह की सेवा में अनिश्चितता सैनिकों के लिए उचित नहीं है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "भारतीय वायुसेना दुनिया के श्रेष्ठ संगठनों में से एक है। इनके अधिकारी देश के लिए एक बड़ी संपत्ति हैं। ये वे लोग हैं जिनकी वजह से हम रात को चैन से सो पाते हैं।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ (SSC) के अधिकारियों के लिए सेवा में अनिश्चितता का माहौल बनाना उचित नहीं है। यह भाव सेना के लिए हानिकारक है और इससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, "यह एक आम आदमी का सुझाव है कि न्यूनतम मानदंडों पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। सेना में सेवा की अनिश्चितता को दूर किया जाना चाहिए।"

केंद्र और वायुसेना की दलीलें

केंद्र सरकार और भारतीय वायुसेना की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत में कहा कि चयन बोर्ड ने विंग कमांडर निकिता पांडे को अयोग्य पाया है। भाटी ने यह भी बताया कि दूसरा चयन बोर्ड उनके मामले पर पुनर्विचार करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता बिना किसी औपचारिक प्रतिवेदन के सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, इसलिए मामले की सुनवाई आवश्यक है।

हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल उनके सेवा मुक्त किए जाने पर रोक लगा दी है, जिससे निकिता पांडे अपनी सेवा जारी रख सकेंगी। विंग कमांडर निकिता पांडे का मामला देश में महिला सैन्य अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन को लेकर लंबे समय से चल रहे विवादों को भी एक बार फिर उभारता है। सेना में महिलाओं को समान अवसर और स्थायी कमीशन देने की मांग काफी पुरानी है। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं को सेना की विभिन्न शाखाओं में स्थायी कमीशन मिलने लगा है, लेकिन अभी भी कई मामलों में भेदभाव की खबरें आती रहती हैं।

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