Pune

आपातकाल के 50 साल: पीएम ने इमरजेंसी को बताया भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय, संघर्ष करने वालों को दी श्रद्धांजलि

आपातकाल के 50 साल: पीएम ने इमरजेंसी को बताया भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय, संघर्ष करने वालों को दी श्रद्धांजलि

आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने इसे लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि उस दौर में संविधान की हत्या हुई और हजारों नागरिकों को जेल में डाला गया।

New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर इसे भारतीय लोकतंत्र का "सबसे काला अध्याय" करार दिया। उन्होंने 25 जून 1975 को लागू की गई इमरजेंसी को "संविधान हत्या दिवस" बताया और उस दौर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले लोगों को नमन किया। पीएम मोदी ने कहा कि उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने न सिर्फ संविधान को दरकिनार किया बल्कि पूरे लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।

मूल अधिकार छिने, प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से लिखा कि 25 जून 1975 को जब देश में आपातकाल लगाया गया, तब भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता पर पूर्ण अंकुश लगा दिया गया और हजारों राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और आम नागरिक बिना कारण जेल में डाल दिए गए। उन्होंने कहा कि वह दिन हमारे लोकतंत्र के इतिहास में एक शर्मनाक मोड़ था, जिसे देश संविधान हत्या दिवस के रूप में याद करता है।

'हर विचारधारा से जुड़े लोग आए साथ'

पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ संघर्ष सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी या समूह का आंदोलन नहीं था, बल्कि यह पूरे भारत के लोगों का साझा प्रयास था। इसमें हर क्षेत्र, हर वर्ग और हर विचारधारा से जुड़े लोग एक उद्देश्य के साथ एकजुट हुए थे—देश के लोकतंत्र की रक्षा करना। उन्होंने कहा कि यह उन्हीं लोगों का सामूहिक बलिदान था, जिसके कारण तत्कालीन कांग्रेस सरकार को झुकना पड़ा और लोकतंत्र की बहाली करनी पड़ी।

'लोकतंत्र की रक्षा करना हम सबका दायित्व'

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब हम आपातकाल के 50 साल पूरे कर रहे हैं, तब यह जरूरी है कि हम संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा और लोकतांत्रिक परंपराओं को और मजबूत करने की दिशा में काम करें। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे लोकतंत्र को केवल एक राजनीतिक व्यवस्था के रूप में न देखें, बल्कि इसे एक जीवंत और मूल्य आधारित व्यवस्था के रूप में समझें और उसका संरक्षण करें।

'आपातकाल ने सिखाया लोकतंत्र की अहमियत'

पीएम मोदी ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब आपातकाल लगाया गया, तब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक युवा प्रचारक थे। उस दौर का विरोध और संघर्ष उनके लिए सीखने का एक अहम अवसर था। उन्होंने कहा कि इसने उन्हें लोकतंत्र की गहराई और इसकी रक्षा के महत्व को समझने में मदद की। उन्होंने कहा कि यह अनुभव उनके सार्वजनिक जीवन और विचारधारा को मजबूत बनाने में निर्णायक साबित हुआ।

'द इमरजेंसी डायरीज' किताब का जिक्र

पीएम मोदी ने एक नई पुस्तक ‘The Emergency Diaries – Years That Forged a Leader’ का भी उल्लेख किया। यह किताब ब्लूक्राफ्ट पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित की गई है और इसमें आपातकाल के समय पीएम मोदी और उनके साथियों के अनुभवों को शामिल किया गया है। इस पुस्तक की प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने लिखी है, जो स्वयं उस दौर में लोकतंत्र की बहाली के संघर्ष में शामिल रहे थे।

आज होगा पुस्तक का विमोचन

प्रधानमंत्री ने बताया कि इस पुस्तक का विमोचन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा आज शाम किया जाएगा। यह पुस्तक न केवल इमरजेंसी के राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों को दर्शाती है, बल्कि उस समय के युवा कार्यकर्ताओं के अनुभवों को भी सामने लाती है, जिन्होंने लोकतंत्र को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी।

Leave a comment