हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास वर्ष का चौथा महीना होता है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। यह माह न केवल वर्षा ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि धार्मिक साधना, दान-पुण्य, और ईश्वर भक्ति के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस वर्ष आषाढ़ मास 22 जून 2025 से आरंभ होकर 21 जुलाई 2025 तक चलेगा। इस महीने को देवताओं के शयन काल (चातुर्मास) की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है
आषाढ़ माह का धार्मिक महत्त्व क्या हैं?
आषाढ़ माह हिंदू पंचांग का चौथा महीना होता है, जिसे धार्मिक रूप से बहुत शुभ माना जाता है। यह माह वर्षा ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है और भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान देवशयनी एकादशी आती है, जब भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस माह में किए गए व्रत, दान, पूजा और जप का फल कई गुना अधिक मिलता है। आषाढ़ मास आध्यात्मिक जागरूकता, पवित्रता और साधना का उत्तम समय माना गया है।
तुलसी पूजन – हरि भक्ति की पहली सीढ़ी
आषाढ़ माह में तुलसी का पूजन विशेष फलदायी होता है।
- प्रतिदिन सुबह और शाम तुलसी के पास दीपक जलाएं।
- तुलसी पर जल अर्पण करें और 'ॐ तुलस्यै नमः' मंत्र का जाप करें।
- तुलसी के पास बैठकर श्रीहरि के नाम का स्मरण करें।
लाभ: इससे घर में पॉजिटिव ऊर्जा आती है, रोग-दोष दूर होते हैं और लक्ष्मी का वास होता है।
केले के वृक्ष की पूजा – विष्णु का प्रतीक
केले के पेड़ को भगवान विष्णु का रूप माना गया है।
- प्रत्येक गुरुवार को केले के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
- हल्दी और चंदन से पेड़ पर तिलक करें और दीपक जलाएं।
- केले के पेड़ की परिक्रमा करें और भगवान से परिवार की सुख-शांति की प्रार्थना करें।
लाभ: यह उपाय आर्थिक समृद्धि और परिवार में सौहार्द्र बढ़ाने में सहायक होता है।
श्रीहरि मंत्र का जाप – आत्मिक शुद्धि और कृपा प्राप्ति
इस पवित्र माह में 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शांत वातावरण में आसन लगाकर जाप करें।
लाभ: इससे मानसिक शांति मिलती है, नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और हरि कृपा सहज प्राप्त होती है।
पीली वस्तुओं का दान – पुण्य और शुभता का संचार
आषाढ़ माह में पीली वस्तुओं का दान बहुत शुभ माना जाता है, जैसे –
- चने की दाल
- पीले वस्त्र
- हल्दी
- केला
- पीली मिठाई आदि
लाभ: इससे राहु-गुरु के दोष शांत होते हैं, बुरी नजर से रक्षा होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
रसोई में रखें हल्दी की गांठ – घर में धन और अन्न की वृद्धि
शास्त्रों के अनुसार,
- रसोई में हल्दी की गांठ रखना शुभ माना गया है।
- यह उपाय विशेषकर आषाढ़ माह में करने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती।
लाभ: यह उपाय रसोई में समृद्धि बनाए रखता है और किचन में नेगेटिविटी को दूर करता है।
एकादशी व्रत रखें – श्रीहरि को समर्पण का प्रतीक
आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी इस वर्ष 6 जुलाई 2025 को पड़ रही है।
- यह व्रत भगवान विष्णु के योगनिद्रा में जाने का दिन माना जाता है।
- इस दिन व्रत रखकर, तुलसी के सामने दीपक जलाकर भगवान विष्णु का पूजन करें।
लाभ: यह व्रत पापों के प्रायश्चित और पुण्य की प्राप्ति का श्रेष्ठ अवसर होता है।
दीपदान और कथा श्रवण – घर में बढ़ेगा सात्त्विक वातावरण
- आषाढ़ महीने में रोजाना शाम को दीपक जलाएं और हरि कथा सुनें या पढ़ें।
- भागवत पुराण, विष्णु सहस्रनाम या गीता का पाठ विशेष फलदायी होता है।
लाभ: इससे मन स्थिर होता है, ध्यान की शक्ति बढ़ती है और ईश्वर की अनुभूति साकार होती है।
क्या न करें इस पवित्र माह में?
- मांस, मदिरा और तामसिक भोजन से दूर रहें।
- अपशब्द, क्रोध और निंदा से बचें।
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- रात्रि में देर तक जागना और दिन में सोना टालें।
आषाढ़ मास भक्ति, साधना और आत्मशुद्धि का उत्तम समय है। भगवान विष्णु की उपासना इस माह में विशेष फलदायी मानी गई है। उपरोक्त बताए गए उपाय न केवल आध्यात्मिक विकास में सहायक हैं, बल्कि यह आपके जीवन को शांति, समृद्धि और सकारात्मकता से भी भर देते हैं।