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'भार्गवास्त्र': भारत की कम लागत वाली अत्याधुनिक ड्रोन-रोधी प्रणाली का सफल विकास

भारत की रक्षा तकनीक में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। देश ने हाल ही में एक स्वदेशी और कम लागत वाली ड्रोन-रोधी प्रणाली — जिसका नाम 'भार्गवास्त्र' रखा गया है — का सफल परीक्षण किया है। इस नई तकनीक से भारत दुश्मनों के ड्रोन हमलों को चंद सेकंड में नष्ट कर सकेगा।

क्या है 'भार्गवास्त्र'?

'भार्गवास्त्र' एक ड्रोन किलिंग सिस्टम है जो माइक्रो रॉकेट्स के माध्यम से एक साथ उड़ रहे ड्रोन झुंडों (drone swarms) को निशाना बनाता है। इस प्रणाली की खास बात है इसका कम लागत में अधिक प्रभावी प्रदर्शन। इसका निर्माण भारत की निजी रक्षा स्टार्टअप कंपनियों के साथ मिलकर किया गया है।

कहाँ और कैसे हुआ परीक्षण?

इस अत्याधुनिक प्रणाली का परीक्षण ओडिशा के गोपालपुर सीवार्ड फायरिंग रेंज में किया गया। परीक्षण के दौरान सामने आया कि 'भार्गवास्त्र' ने कई ड्रोन टारगेट्स को सिर्फ सेकंडों में नष्ट कर दिया। इस मौके पर भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित थे।

कैसे काम करता है यह सिस्टम?

  • यह प्रणाली रडार और AI-बेस्ड विज़न सिस्टम की मदद से दुश्मन ड्रोन को पहचानती है।
  • टारगेट लॉक होने के बाद इसमें लगे माइक्रो रॉकेट्स स्वचालित रूप से ड्रोन पर हमला करते हैं।
  • इसकी सबसे बड़ी खूबी है — स्मार्ट लॉजिक, जो यह तय करता है कि किस ड्रोन को कब और कैसे मार गिराना है।

रणनीतिक दृष्टि से क्यों है अहम?

आज के युग में ड्रोन हमले एक बड़ा खतरा बन चुके हैं, खासकर सीमावर्ती इलाकों में। पाकिस्तान और चीन से सटे क्षेत्रों में ड्रोन से जासूसी और हथियारों की तस्करी की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में 'भार्गवास्त्र' भारत की डिफेंस पॉलिसी में गेमचेंजर साबित हो सकता है।

रक्षा मंत्रालय की प्रतिक्रिया

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि को भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा, इस तरह की तकनीकें आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर हैं।

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