हर साल 25 अप्रैल को 'वर्ल्ड मलेरिया डे' मनाया जाता है ताकि इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। मलेरिया (Malaria) एक ऐसी बीमारी है, जो मादा Anopheles मच्छर के काटने से होती है। जब ये मच्छर किसी मलेरिया-पॉजिटिव व्यक्ति को काटता है और फिर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है, तो उसके शरीर में Plasmodium vivax जैसे पैरासाइट्स चला जाता है और व्यक्ति मलेरिया से संक्रमित हो जाता है।
अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और 24 घंटे के भीतर जान भी ले सकती है। हालांकि भारत में पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया के मामलों में गिरावट आई है, लेकिन कुछ राज्य अब भी इससे बुरी तरह प्रभावित हैं।
भारत में मलेरिया के हालात: आंकड़े क्या कहते हैं?
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) की रिपोर्ट बताती है कि भारत में मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 97% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। ये आंकड़े 2000 से 2023 के बीच की तुलना में सामने आए हैं।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत को मलेरिया मुक्त देश बनाया जाए। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कई अभियान चला रही हैं। फिर भी, कुछ खास राज्यों में मलेरिया का प्रकोप थमा नहीं है।
कौन-कौन से राज्य मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं?
1. छत्तीसगढ़ – देश में सबसे ज्यादा मलेरिया के मामले
छत्तीसगढ़ लगातार कई वर्षों से मलेरिया के मामलों में सबसे ऊपर है। यहां के बस्तर, सुकमा, बीजापुर और कांकेर जैसे आदिवासी और जंगलों से घिरे इलाके मलेरिया के हॉटस्पॉट बन चुके हैं। यहां की आबादी का बड़ा हिस्सा गांवों और जंगलों में रहता है, जहां न तो पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं हैं और न ही लोगों में जागरूकता है। गर्मी और बारिश के मौसम में यहां मलेरिया तेजी से फैलता है।
2. ओडिशा – हर साल हजारों मामले सामने आते हैं
ओडिशा का दक्षिणी हिस्सा, खासकर कोरापुट, मलकानगिरी और नवरंगपुर जिले मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है और स्वास्थ्य सेवाएं बेहद सीमित हैं। यही वजह है कि मलेरिया रोकने में अभी भी कई चुनौतियां सामने आती हैं। राज्य सरकार ने "डैमेज कंट्रोल" के लिए DAMaN (Durgama Anchalare Malaria Nirakaran) अभियान चलाया, जिससे कुछ हद तक सुधार आया, लेकिन जमीनी स्तर पर काफी काम बाकी है।
3. झारखंड – आदिवासी क्षेत्रों में बीमारी का खतरा
झारखंड के गढ़वा, पलामू, लोहरदगा जैसे जिले मलेरिया से ज्यादा प्रभावित हैं। यहां का तापमान, हरियाली और जलभराव मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाता है। ऊपर से, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी मलेरिया को बढ़ावा देती है।
4. मध्य प्रदेश – जंगल और नमी से भरे इलाके
मध्य प्रदेश के डिंडोरी, बालाघाट, शहडोल, मंडला जैसे जिलों में हर साल मलेरिया के हजारों केस सामने आते हैं। यहां घने जंगल और आदिवासी जनजातियां हैं, जो अब भी पारंपरिक इलाज या देसी नुस्खों पर निर्भर हैं। समय पर जांच और इलाज की कमी के कारण यह बीमारी फैलती जाती है।
5. गुजरात – ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ता संक्रमण
गुजरात में शहरी क्षेत्रों के मुकाबले दाहोद, पंचमहल और नर्मदा जैसे ग्रामीण जिलों में मलेरिया का प्रकोप ज्यादा है। मानसून के मौसम में पानी भरने और गंदगी के कारण मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है।
मलेरिया क्यों फैलता है? जानिए इसकी बड़ी वजहें
भारत में मलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो हर साल हजारों लोगों को बीमार कर देती है। खासकर बरसात के मौसम में मलेरिया के मामले तेजी से बढ़ जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मलेरिया आखिर फैलता क्यों है? इसकी असली वजहें क्या हैं और कैसे हम इससे बच सकते हैं?
१. भौगोलिक स्थिति और जलवायु – मलेरिया का अनुकूल माहौल
भारत एक बड़ा देश है और यहां का मौसम और भौगोलिक स्थिति हर राज्य में अलग-अलग होती है। कुछ जगहों पर बहुत नमी होती है, कहीं जंगल हैं, और कहीं दलदली इलाके हैं। ये सारी चीजें मच्छरों के लिए बहुत अच्छा माहौल तैयार करती हैं।
कैसे?
- मच्छर गीले और नम वातावरण में तेजी से पनपते हैं।
- दलदली इलाकों और नदियों के किनारे मच्छर बहुत संख्या में होते हैं।
- बारिश के बाद जब जगह-जगह पानी भर जाता है, तब मच्छर अंडे देना शुरू कर देते हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच – इलाज समय पर नहीं मिलता
- देश के कई दूर-दराज के गांवों और आदिवासी इलाकों में आज भी सही इलाज मिलना बहुत मुश्किल है। वहां अस्पतालों की संख्या कम है, डॉक्टरों की कमी है और दवाइयां भी समय पर नहीं मिलतीं।
इसका क्या असर होता है?
- लोग मलेरिया के लक्षण को पहचान नहीं पाते और इलाज में देरी हो जाती है।
- समय पर दवा न मिलने से बीमारी बढ़ जाती है और जानलेवा भी हो सकती है।
- कई बार झोलाछाप डॉक्टर गलत इलाज कर देते हैं जिससे हालात और बिगड़ जाते हैं।
- जागरूकता की कमी – मलेरिया को गंभीरता से नहीं लिया जाता
- भारत के ग्रामीण और गरीब इलाकों में अभी भी बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता कि मलेरिया कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या होते हैं और कैसे इससे बचा जा सकता है।
क्या होता है इसके कारण?
- लोग बुखार को सामान्य समझते हैं और सोचते हैं कि यह दो-चार दिन में ठीक हो जाएगा।
- बिना जांच करवाए खुद से दवा खा लेते हैं या झाड़-फूंक कराते हैं।
- मच्छरदानी का इस्तेमाल नहीं करते और साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते।
मलेरिया के सामान्य लक्षण
- तेज बुखार, जो कभी आता है और कभी चला जाता है
- ठंड लगना और कंपकंपी होना
- सिर दर्द
- शरीर में दर्द
- उल्टी और थकावट
अगर ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से कई बार लोग तब डॉक्टर के पास जाते हैं जब हालत बहुत बिगड़ चुकी होती है।
२. गंदगी और जलभराव – मच्छरों का स्वर्ग
मलेरिया फैलाने वाले मच्छर गंदे और ठहरे हुए पानी में बहुत तेजी से पनपते हैं। भारत में कई जगहों पर जलनिकासी की व्यवस्था बहुत खराब है। बरसात के मौसम में पानी सड़कों, गलियों और घरों के आसपास जमा हो जाता है और मच्छरों को अंडे देने का मौका मिल जाता है।
क्यों होता है ऐसा?
- नालियां जाम रहती हैं और समय पर सफाई नहीं होती।
- प्लास्टिक की थैलियों और कचरे की वजह से पानी इकट्ठा हो जाता है।
- घर के पास पड़े पुराने बर्तन, टायर, टूटे गमले, टंकी या कूलर में जमा पानी मच्छरों के लिए आदर्श जगह होती है।
समाधान क्या है?
- हर हफ्ते कूलर और पानी की टंकियों को साफ करना चाहिए।
- जहां भी पानी जमा हो, वहां मिट्टी या रेत भर दें ताकि मच्छर न पनपे।
- आसपास साफ-सफाई रखें और नालियों की नियमित सफाई होनी चाहिए।
मलेरिया से सबसे ज्यादा कौन लोग प्रभावित होते हैं?
WHO के अनुसार, मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले वर्ग हैं:
- 5 साल से छोटे बच्चे: इनकी इम्यूनिटी कम होती है, जिससे वे जल्दी बीमार पड़ते हैं।
- गर्भवती महिलाएं: इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे मलेरिया गंभीर रूप ले सकता है।
- आदिवासी जनजातियां: जो जंगलों में रहती हैं और स्वास्थ्य सेवाओं से दूर हैं।
- प्रवासी मजदूर: जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित होते हैं।
- दिव्यांग और बुजुर्ग लोग: जिनकी देखभाल और इलाज में अक्सर देरी होती है।
डॉक्टरों की सलाह: कैसे करें मलेरिया से बचाव?
डॉ. सुनील राणा, वरिष्ठ फिजीशियन (एशियन हॉस्पिटल) का कहना है कि: 'भारत ने मलेरिया की रोकथाम में अच्छा काम किया है। लेकिन जंगल और गांवों में जागरूकता और जांच सुविधाएं मजबूत करनी होंगी।' उनके अनुसार मलेरिया से बचने के लिए जरूरी हैं:
- मच्छरदानी का नियमित उपयोग करें
- खुले हिस्सों पर मच्छररोधी क्रीम लगाएं
- गंदे पानी को जमा न होने दें
- बुखार आने पर तुरंत जांच कराएं
- मलेरिया का इलाज केवल डॉक्टर की सलाह से ही लें
दुनिया भर में मलेरिया का प्रभाव
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में 26.3 करोड़ मलेरिया केस और लगभग 5.97 लाख मौतें दर्ज की गईं। इनमें से 95% मौतें अफ्रीका में हुईं। इसका कारण है वहां स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, मच्छरदानी की अनुपलब्धता और दवाओं तक सीमित पहुंच।
भारत जैसे देशों ने हाल के वर्षों में मलेरिया से लड़ने में बड़ी प्रगति की है, लेकिन चुनौती अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
- क्या करें आप? – मलेरिया से बचने के आसान उपाय
- घर के आसपास पानी जमा न होने दें
- मच्छरदानी का नियमित इस्तेमाल करें
- बच्चों और बुजुर्गों को मच्छरों से बचाकर रखें
- हर बुखार को सामान्य न समझें – तुरंत जांच कराएं
- जागरूक बनें और अपने गांव-समुदाय को भी जागरूक करें
- सरकारी टीमें अगर सर्वे करें तो पूरा सहयोग दें
भारत ने मलेरिया से जंग में शानदार प्रगति की है। लेकिन जब तक देश के हर गांव, हर पहाड़ी क्षेत्र और हर आदिवासी इलाके में मलेरिया का नामोनिशान नहीं मिट जाता, तब तक यह लड़ाई अधूरी है। मलेरिया को हराने के लिए सरकार, स्वास्थ्य विभाग और आम नागरिकों – सभी को मिलकर काम करना होगा।