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भारत-मंगोलिया का 'खान क्वेस्ट 2025' सैन्य अभ्यास: चीन की टेढ़ी नजर, लेकिन भारत ने दिखाया रणनीतिक संतुलन

भारत-मंगोलिया का 'खान क्वेस्ट 2025' सैन्य अभ्यास: चीन की टेढ़ी नजर, लेकिन भारत ने दिखाया रणनीतिक संतुलन

भारत और मंगोलिया की सेनाओं के बीच हो रहे इस सैन्य अभ्यास को लेकर रणनीतिक रूप से बड़ा संदेश छिपा है। भारतीय सेना की एक टीम बुधवार को मंगोलिया पहुंची है, जहां वह बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेगी।

नई दिल्ली: भारत और मंगोलिया के बीच सैन्य सहयोग को लेकर एक अहम कदम उठाया गया है, जो रणनीतिक लिहाज़ से न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक मंच पर भी खासा महत्व रखता है। भारत की 40 सदस्यीय सैन्य टुकड़ी मंगोलिया की राजधानी उलानबटार पहुंच चुकी है, जहां वह 14 से 28 जून तक चलने वाले बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास ‘खान क्वेस्ट 2025’ में हिस्सा लेगी। 

इस अभ्यास में भारत की भागीदारी चीन को चुभ सकती है, क्योंकि यह अभ्यास न केवल मंगोलिया और अमेरिका की संयुक्त पहल है, बल्कि इसमें लोकतांत्रिक देशों की एकजुटता का भी संदेश छिपा है।

भारत की टीम में कुमाऊं रेजिमेंट के जांबाज़

भारतीय सेना की इस टुकड़ी में मुख्य रूप से कुमाऊं रेजिमेंट की एक बटालियन के जवान शामिल हैं। साथ ही इसमें महिला सैन्यकर्मी भी हिस्सा ले रही हैं, जो भारत की सैन्य शक्ति में लैंगिक संतुलन और सशक्तिकरण का उदाहरण पेश करता है। सेना की यह भागीदारी भारत की संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में बढ़ती सक्रियता और वैश्विक कूटनीतिक भूमिका को और पुख्ता करती है।

‘खान क्वेस्ट’ क्या है?

‘खान क्वेस्ट’ मंगोलिया में आयोजित होने वाला एक बहुपक्षीय शांति सैन्य अभ्यास है, जो संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में भाग लेने वाले देशों की सेनाओं को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। इसकी मेज़बानी मंगोलियाई सशस्त्र बल और अमेरिका की इंडो-पैसिफिक कमांड (USINDOPACOM) द्वारा की जाती है।

इस सैन्य अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2003 में अमेरिका और मंगोलिया के बीच एक द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में हुई थी। वर्ष 2006 से इसे बहुपक्षीय रूप में आयोजित किया जाने लगा। 2025 में इसका 22वां संस्करण आयोजित किया जा रहा है।

अभ्यास के प्रमुख उद्देश्य

  • संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के लिए तैयारी
  • विभिन्न देशों की सेनाओं के बीच संचालनात्मक समन्वय और सहयोग बढ़ाना
  • मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन जैसे अभियानों के लिए सैनिकों को प्रशिक्षित करना
  • अंतरराष्ट्रीय सैन्य मानकों के अनुरूप कार्य-प्रणाली अपनाना
  • इस अभ्यास से सैनिकों को असामान्य और तनावपूर्ण हालात में त्वरित निर्णय लेने, विभिन्न देशों की सेना के साथ सामंजस्य बिठाने और वैश्विक स्तर पर साझा मिशन के लिए तैयार रहने में मदद मिलती है।

चीन की बेचैनी तय

भारत इस अभ्यास में लगातार भाग लेता आ रहा है। वर्ष 2024 में, भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स यूनिट ने इसमें हिस्सा लिया था। इस बार कुमाऊं रेजिमेंट की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत न केवल अपने सैनिकों को विविध अंतरराष्ट्रीय अनुभव देने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि मंगोलिया जैसे सामरिक रूप से संवेदनशील देशों के साथ रक्षा सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में भी सक्रिय है।

चीन को भारत-मंगोलिया की नजदीकी कई बार खटक चुकी है। मंगोलिया भले ही चीन के पड़ोसी और ऐतिहासिक साझेदारों में शामिल हो, लेकिन उसकी भारत और अमेरिका के साथ बढ़ती सैन्य भागीदारी बीजिंग की आंखों में चुभती है। ऐसे में भारत की उपस्थिति न केवल एक रणनीतिक संदेश है, बल्कि चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) और इंडो-पैसिफिक इलाके में दखल को संतुलित करने की एक सूझबूझ भरी रणनीति भी है।

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