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गूगल का बायआउट ऑफर: कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने पर मिलेगा मोटा पैकेज

गूगल का बायआउट ऑफर: कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने पर मिलेगा मोटा पैकेज

गूगल ने अपने कई विभागों में काम कर रहे कर्मचारियों को Buyout का ऑफर दिया है। इसके तहत, कंपनी ने कर्मचारियों से कहा है कि यदि वे स्वेच्छा से नौकरी छोड़ते हैं तो उन्हें अच्छा-खासा मुआवजा दिया जाएगा।

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार गूगल ने एक बार फिर अपने कर्मचारियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इस बार मामला छंटनी का नहीं, बल्कि एक वॉलंटरी बायआउट ऑफर यानी स्वैच्छिक रूप से नौकरी छोड़ने के बदले आर्थिक लाभ देने का है। कंपनी ने अपने अमेरिका स्थित कुछ खास डिपार्टमेंट्स के कर्मचारियों से कहा है कि यदि वे कंपनी छोड़ने का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें एकमुश्त बड़ी रकम दी जाएगी।

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब गूगल एआई, इंफ्रास्ट्रक्चर और नई टेक्नोलॉजी में निवेश बढ़ा रही है, लेकिन साथ ही अपनी आंतरिक लागतों को कम करने की दिशा में भी तेजी से बढ़ रही है।

कौन से डिपार्टमेंट्स को मिला बायआउट ऑफर?

गूगल ने जिन यूनिट्स को यह बायआउट ऑफर दिया है, उनमें शामिल हैं:

  • नॉलेज एंड इंफॉर्मेशन (K&I)
  • सेंट्रल इंजीनियरिंग
  • मार्केटिंग
  • रिसर्च
  • कम्युनिकेशन

इन डिपार्टमेंट्स में से खासकर नॉलेज एंड इंफॉर्मेशन यूनिट की बात करें तो इसमें लगभग 20,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। अक्टूबर 2024 में इस यूनिट का पुनर्गठन किया गया था और निक फॉक्स को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। फॉक्स ने अपने हालिया इंटरनल मेमो में स्पष्ट किया कि इस यूनिट में अब सिर्फ वही लोग रह सकते हैं जो कंपनी की रणनीति और दिशा के साथ चलने को तैयार हैं।

क्या होता है बायआउट ऑफर?

बायआउट ऑफर एक तरह का स्वैच्छिक नौकरी से इस्तीफा देने का प्रस्ताव होता है, जिसमें कर्मचारी को कंपनी की ओर से आर्थिक पैकेज दिया जाता है। यह उस स्थिति में होता है जब कंपनी छंटनी करना नहीं चाहती लेकिन कर्मचारियों की संख्या घटाना चाहती है।

इसमें कर्मचारी अगर नौकरी छोड़ने का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें:

  • एकमुश्त नकद राशि
  • नोटिस पीरियड की सैलरी
  • कुछ मामलों में बोनस
  • हेल्थ इंश्योरेंस की अवधि बढ़ाने जैसे लाभ दिए जा सकते हैं।

क्यों उठाया गूगल ने यह कदम?

गूगल की इस रणनीति के पीछे मुख्य कारण कॉस्ट कटिंग और कार्यक्षमता बढ़ाना है। कंपनी अब उन कर्मचारियों को प्राथमिकता दे रही है जो तेज़, उत्साही और इनोवेशन के लिए तैयार हैं। वहीं, जो कर्मचारी अपनी भूमिका में बेहतर परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं या जो कंपनी की दिशा से मेल नहीं खाते, उनके लिए "वॉलंटरी एग्जिट" का रास्ता खोला जा रहा है।

गूगल के नये चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर Anat Ashkenazi ने अक्टूबर 2024 में ही संकेत दे दिए थे कि 2025 में कंपनी का एक बड़ा फोकस कॉस्ट कंट्रोल रहेगा।

2023 से शुरू हुआ कर्मचारियों की संख्या घटाने का सिलसिला

गूगल ने जनवरी 2023 में 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की थी। यह कंपनी के इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी थी। इसके बाद से कंपनी लगातार अपनी टीमों का आकार घटा रही है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल अब अपने संसाधनों को एआई, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और खोज एल्गोरिद्म जैसे कोर एरिया में केंद्रित कर रही है। इसके चलते पुराने या गैर-महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट्स में काम कर रहे कर्मचारियों को हटाया जा रहा है।

किन कर्मचारियों पर है कंपनी की निगाह?

निक फॉक्स द्वारा जारी किए गए मेमो में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि "कंपनी उन कर्मचारियों को प्राथमिकता दे रही है जो इनोवेशन के लिए प्रतिबद्ध हैं, नई तकनीक सीखना चाहते हैं और तेजी से बदलते टेक माहौल में ढल सकते हैं।"

जो कर्मचारी कंपनी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं, उनके लिए अब विकल्प हैं:

  • या तो नौकरी छोड़ें और बायआउट ऑफर स्वीकार करें
  • या फिर अपनी परफॉर्मेंस सुधारें और कंपनी की दिशा के अनुसार ढलें

रिमोट वर्कर्स पर भी कसा शिकंजा

गूगल ने यह भी कहा है कि जो रिमोट कर्मचारी ऑफिस से 50 मील के दायरे में रहते हैं, उन्हें अब नियमित रूप से ऑफिस आना होगा। इसका मतलब है कि "वर्क फ्रॉम होम" की सुविधा भी अब सीमित कर दी गई है।

यह निर्णय इस बात की ओर इशारा करता है कि कंपनी अब टीम को एकजुट करना चाहती है ताकि कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी हो और कर्मचारियों के बीच समन्वय बेहतर बने।

कितने कर्मचारी होंगे प्रभावित?

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम के तहत कितने कर्मचारियों को बाहर किया जाएगा। लेकिन अगर कंपनी के पिछले रिकॉर्ड और रणनीतियों को देखा जाए, तो यह आंकड़ा सैकड़ों या हजारों में हो सकता है।

गूगल की यह योजना फिलहाल केवल अमेरिका आधारित कर्मचारियों के लिए है। एशिया, यूरोप या भारत में काम कर रहे कर्मचारियों को इस योजना से बाहर रखा गया है।

गूगल की एआई और क्लाउड पर बढ़ती निर्भरता

इस पूरी कवायद का एक और महत्वपूर्ण पहलू है  एआई और क्लाउड टेक्नोलॉजी में निवेश। गूगल 2025 में अपने अधिकांश संसाधन और पूंजी एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर पर केंद्रित कर रही है। इसके लिए कंपनी को पुराने कार्यों और विभागों से लोगों को हटाना पड़ रहा है ताकि नए टैलेंट और टेक्नोलॉजी में निवेश किया जा सके।

कर्मचारियों की प्रतिक्रिया

गूगल के इस फैसले पर कर्मचारियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ कर्मचारी बायआउट ऑफर को एक बेहतर विकल्प मान रहे हैं, क्योंकि उन्हें सम्मानजनक ढंग से कंपनी छोड़ने का मौका मिल रहा है। वहीं कुछ इसे दबाव में लिया गया फैसला मानते हैं, जहां खराब प्रदर्शन का हवाला देकर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।

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