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बकरीद पर बुजुर्ग ने दी खुद की कुर्बानी: सुसाइड नोट में लिखा, 'बकरा भी जीव है...'

बकरीद पर बुजुर्ग ने दी खुद की कुर्बानी: सुसाइड नोट में लिखा, 'बकरा भी जीव है...'

देवरिया जिले के गौरीबाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव में बकरीद के मौके पर जो घटना घटी, उसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। यहां एक वृद्ध व्यक्ति ने बकरीद की नमाज अदा करने के बाद खुद की कुर्बानी दे दी।

देवरिया: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के गौरीबाजार थानाक्षेत्र के उधोपुर गांव में बकरीद के दिन एक चौंकाने वाली और भावनात्मक घटना सामने आई है। एक 60 वर्षीय बुज़ुर्ग ने बकरीद के मौके पर, जब लोग बकरों की कुर्बानी कर रहे थे, खुद की जान देकर 'खुद की कुर्बानी' देने का प्रयास किया। इस दुर्लभ और दिल को झकझोर देने वाली घटना ने न केवल ग्रामीणों को हैरान कर दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया।

ग्राम उधोपुर निवासी ईश मोहम्मद पुत्र स्व. मोहम्मद बरसाती अंसारी, जो हमेशा से धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति माने जाते थे, हर साल बकरीद से पहले आंबेडकरनगर के किछौछा शरीफ स्थित प्रसिद्ध दरगाह सुल्तान सैयद मकदूम अशरफ शाह मजार पर जाया करते थे। इस वर्ष भी वह दरगाह से शुक्रवार की दोपहर लौटे थे और अगले दिन, शनिवार को बकरीद के दिन उन्होंने सुबह की नमाज अदा की। लेकिन उसके बाद जो हुआ, उसने सभी को स्तब्ध कर दिया।

एकांत में दी खुद की 'कुर्बानी'

नमाज पढ़ने के बाद ईश मोहम्मद अपने घर लौटे और रोज़ाना की तरह अपनी झोपड़ी में आराम करने चले गए। करीब एक घंटे बाद उनकी झोपड़ी से कराहने की आवाज़ें आने लगीं। जब उनकी पत्नी हजरा खातून अंदर गईं, तो उन्होंने देखा कि ईश मोहम्मद गले से खून बहता हुआ तड़प रहे थे। उनके हाथ में वह चाकू था जिससे बकरी हलाल किए जाते हैं। इस मंजर को देखकर पत्नी बेहोश हो गईं और चीख पुकार मच गई।

ग्रामीण तत्काल मौके पर पहुंचे और पुलिस व एंबुलेंस को सूचना दी। गंभीर हालत में ईश मोहम्मद को पहले देवरिया मेडिकल कॉलेज और फिर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

चौंकाने वाला सुसाइड नोट

इस दुखद घटना की असल वजह तब सामने आई जब पुलिस को ईश मोहम्मद द्वारा लिखा गया एक पत्र मिला। पत्र में उन्होंने लिखा: इंसान बकरे को अपने बच्चे की तरह पाल-पोसकर बड़ा करता है, और फिर कुर्बानी के लिए हलाल करता है। वह भी एक जीव है। कुर्बानी करना चाहिए लेकिन मैं आज खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। मेरी मिट्टी सकून से देना, घबराना मत। कोई मुझे कत्ल नहीं कर रहा है।

इस पत्र से स्पष्ट हो गया कि ईश मोहम्मद यह कदम धार्मिक आस्था और एक गहरे व्यक्तिगत विश्वास के चलते उठा रहे थे। पुलिस ने इसे एक धार्मिक अंधविश्वास से प्रेरित आत्महत्या करार दिया है, लेकिन ग्रामीण इसे उनकी "अत्यधिक भक्ति भावना" का चरम रूप मान रहे हैं।

परिवार में मातम

ईश मोहम्मद अपने पीछे पत्नी हजरा खातून के अलावा तीन बेटे अहमद अंसारी, मोहम्मद फैज़ और ताज मोहम्मद तथा बहुएं छोड़ गए हैं। उनके परिवार ने बताया कि वे शांत स्वभाव के और बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। वे अक्सर एकांत में इबादत करते और किसी भी जानवर को नुकसान पहुंचाने से बचते थे। यही भावना शायद उन्हें इस फैसले तक ले गई।

गौरीबाजार थानाध्यक्ष नंदा प्रसाद ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है। प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि ईश मोहम्मद ने पूर्व नियोजित तरीके से यह कदम उठाया। उन्होंने अपने परिवार को पहले ही पत्र लिखकर सूचित कर दिया था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

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