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एयर इंडिया हादसा: GE एयरोस्पेस इंजन की जांच शुरू, कंपनी देगी सहयोग

एयर इंडिया हादसा: GE एयरोस्पेस इंजन की जांच शुरू, कंपनी देगी सहयोग

इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना में अब तक कुल 297 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इनमें विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की जान चली गई, जबकि हॉस्टल में मौजूद 56 छात्र भी इस हादसे की चपेट में आ गए और उनकी भी मौत हो गई।

अहमदाबाद: अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 टेकऑफ के कुछ ही मिनटों में एक भयावह हादसे का शिकार हो गई। बोइंग के 787-8 ड्रीमलाइनर मॉडल के इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से 241 की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके अतिरिक्त, विमान के मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से टकराने के कारण वहां मौजूद 56 लोगों की भी जान चली गई। यह हादसा भारत के इतिहास में अब तक के सबसे गंभीर विमान हादसों में गिना जा रहा है।

इस हादसे के बाद विमान से जुड़ी कंपनियों पर भी नजरें टिक गई हैं, खासकर उस इंजन निर्माता कंपनी पर जिसने इस विमान को अपनी तकनीक मुहैया कराई थी।

किस इंजन से लैस था यह विमान

एयर इंडिया के इस ड्रीमलाइनर विमान में GE (जनरल इलेक्ट्रिक) एयरोस्पेस का GEnx इंजन लगा हुआ था। GE एयरोस्पेस अमेरिका की जानी-मानी एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कंपनी है, जो जेट और टर्बोप्रॉप इंजन बनाती है और दुनिया भर की प्रमुख विमान कंपनियों को अपनी सेवाएं देती है।

बोइंग के 787-8 ड्रीमलाइनर विमानों में दो प्रकार के इंजन लगाए जा सकते हैं रॉल्स-रॉयस का Trent 1000 और GE एयरोस्पेस का GEnx। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 में GE का GEnx इंजन था, जिसकी परफॉर्मेंस को अब जांच के दायरे में लिया जा रहा है।

GE एयरोस्पेस का आधिकारिक बयान

विमान हादसे के कुछ घंटों बाद ही GE एयरोस्पेस की तरफ से एक आधिकारिक बयान सामने आया। कंपनी ने हादसे पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि वे इस दुर्घटना की जांच में एयर इंडिया और भारतीय प्रशासनिक एजेंसियों का पूर्ण सहयोग करेंगे।

GE के प्रवक्ता ने कहा, हमने अपनी इमरजेंसी रिस्पांस टीम को सक्रिय कर दिया है और हम एयर इंडिया और जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं। यह हादसा बेहद दुखद है और हम इसमें मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हैं।

कैसे हुआ हादसा

टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान ने नियंत्रण खो दिया और सीधे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की इमारत से टकरा गया। टक्कर के बाद जोरदार विस्फोट हुआ, जिससे न केवल विमान में बैठे लोगों की मौत हुई बल्कि हॉस्टल में रह रहे कई छात्र भी हादसे का शिकार हो गए। यह हादसा दोपहर 3 बजकर 31 मिनट पर हुआ और स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ एनडीआरएफ की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं।

जांच एजेंसियों की सक्रियता

DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) के अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं और ब्लैक बॉक्स, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, वॉयस रिकॉर्डर जैसे साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। GE एयरोस्पेस और बोइंग के प्रतिनिधि भी भारत पहुंच चुके हैं या पहुंचने की प्रक्रिया में हैं।

बताया जा रहा है कि जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इंजन में कोई तकनीकी खराबी थी या हादसे के पीछे अन्य कोई वजह जिम्मेदार है, जैसे तकनीकी फेल्योर, पायलट की गलती या मौसम संबंधी चुनौती।

टाटा ग्रुप ने की मुआवजे की घोषणा

एयर इंडिया की मालिक कंपनी टाटा ग्रुप ने मृतकों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि घायल यात्रियों और स्थानीय नागरिकों के इलाज का पूरा खर्च कंपनी वहन करेगी।

इस फ्लाइट में कुल 12 क्रू मेंबर के अलावा 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई यात्री सवार थे। टाटा ग्रुप के इस कदम की प्रशंसा की जा रही है, लेकिन पीड़ित परिवारों के लिए यह नुकसान कभी पूरा नहीं हो सकता।

क्या GE एयरोस्पेस की साख पर पड़ेगा असर

GE एयरोस्पेस दुनिया की उन चंद कंपनियों में शामिल है जो व्यावसायिक और सैन्य दोनों प्रकार के विमानों के लिए इंजन बनाती है। एयर इंडिया की इस दुर्घटना के बाद कंपनी की छवि और भविष्य के कॉन्ट्रैक्ट्स पर भी असर पड़ सकता है। अगर जांच में यह साबित होता है कि हादसे की वजह इंजन में कोई खामी थी, तो GE को वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि, अब तक कंपनी के इंजन पर बड़े पैमाने पर कोई तकनीकी संदेह नहीं जताया गया है, लेकिन इस हादसे ने सुरक्षा मानकों की समीक्षा की आवश्यकता को फिर से उजागर कर दिया है। 

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