अगर आप एक टैक्सपेयर हैं और आपकी सालाना टैक्स देनदारी ₹10,000 या उससे अधिक बनती है, तो 15 जून की तारीख आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली: अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले हैं और आपकी अनुमानित टैक्स देनदारी 10 हजार रुपये या उससे अधिक है, तो 15 जून की तारीख आपके लिए बेहद खास है। इस दिन एडवांस टैक्स की पहली किस्त भरने की आखिरी तारीख है। अगर आप इस तारीख को नजरअंदाज करते हैं, तो इसका खामियाजा आपको जुर्माने और ब्याज के रूप में भुगतना पड़ सकता है।
क्या होता है एडवांस टैक्स
एडवांस टैक्स का मतलब है, साल की पूरी आय पर लगने वाला आयकर किस्तों में पहले ही जमा कर देना। यह भुगतान उन व्यक्तियों या संस्थाओं को करना होता है जिनकी एक वित्तीय वर्ष में कर देनदारी ₹10,000 या उससे अधिक होती है। आयकर विभाग ने इसे चार किस्तों में जमा करने की समय-सीमा तय की है, ताकि सरकार को सालभर राजस्व मिलता रहे और करदाता पर साल के अंत में एकमुश्त बोझ न पड़े।
किन्हें देना होता है एडवांस टैक्स
एडवांस टैक्स सिर्फ व्यवसायियों के लिए ही नहीं है। फ्रीलांसर, प्रोफेशनल्स, शेयर बाजार से कमाई करने वाले निवेशक, किराया कमाने वाले मकान मालिक और वेतनभोगी कर्मचारी भी अगर टैक्स छूट के बाद ₹10,000 या उससे अधिक टैक्स देनदारी रखते हैं, तो उन्हें एडवांस टैक्स देना होता है।
हालांकि, वरिष्ठ नागरिकों को राहत दी गई है। अगर कोई 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र का नागरिक है और उसकी आय व्यवसाय से नहीं है, तो उसे एडवांस टैक्स देने की आवश्यकता नहीं होती।
एडवांस टैक्स की भुगतान तिथियां
एडवांस टैक्स का भुगतान आयकर विभाग द्वारा निर्धारित निम्नलिखित चार किश्तों में किया जाता है:
- 15 जून: अनुमानित टैक्स का कम से कम 15%
- 15 सितंबर: कुल का 45%
- 15 दिसंबर: कुल का 75%
- 15 मार्च: पूरा 100% टैक्स
इन तारीखों का पालन करना अनिवार्य है। इनमें से किसी एक भी किश्त को समय पर जमा न करने पर आयकर अधिनियम की धारा 234B और 234C के तहत जुर्माना और ब्याज लगता है।
एडवांस टैक्स न चुकाने पर लग सकता है ब्याज
यदि आप समय पर एडवांस टैक्स नहीं भरते हैं, तो आपको अतिरिक्त टैक्स के रूप में 1% मासिक ब्याज देना होगा। यह ब्याज धारा 234B और 234C के अंतर्गत लगाया जाता है।
धारा 234B के तहत, अगर कोई करदाता वित्त वर्ष के अंत तक कम से कम 90% टैक्स का भुगतान नहीं करता है (चाहे एडवांस टैक्स के रूप में या टीडीएस के माध्यम से), तो उस पर शेष राशि पर 1% मासिक ब्याज लगेगा।
वहीं धारा 234C तब लागू होती है जब आप किसी निर्धारित तिथि तक अपेक्षित टैक्स की राशि नहीं भरते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपने 15 जून तक 15% टैक्स नहीं भरा, तो इसपर आपको हर महीने 1% ब्याज देना होगा।
कैसे किया जाता है एडवांस टैक्स का भुगतान
एडवांस टैक्स का भुगतान करना आज के समय में बेहद आसान है। आयकर विभाग की वेबसाइट या नेट बैंकिंग के माध्यम से फॉर्म 280 भरकर आप ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं। कई बैंक इस प्रक्रिया को मोबाइल ऐप्स के माध्यम से भी आसान बना चुके हैं।
ऑनलाइन भुगतान के लिए PAN नंबर, पता, मूल्यांकन वर्ष, और भुगतान की राशि भरनी होती है। एक बार भुगतान हो जाने के बाद चालान जनरेट होता है, जिसे भविष्य में रिकॉर्ड के रूप में रखा जा सकता है।
आय का अनुमान कैसे लगाएं
एडवांस टैक्स की गणना के लिए सबसे पहले यह आकलन करना जरूरी है कि साल भर में आपकी कुल आय क्या हो सकती है। इसमें आपकी नौकरी से मिली सैलरी, किराया, फ्रीलांस इनकम, शेयर बाजार से हुई कमाई या किसी अन्य स्रोत से अर्जित रकम शामिल होती है।
इस कुल अनुमानित आय पर उपलब्ध टैक्स छूट और कटौतियों को घटाने के बाद बची हुई टैक्स योग्य आय पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स बनता है। इस टैक्स का 15% 15 जून तक, 45% 15 सितंबर तक, 75% 15 दिसंबर तक और 100% 15 मार्च तक चुकाना होता है।
कंपनियों और प्रोफेशनल्स के लिए अहम
प्राइवेट कंपनियों, पार्टनरशिप फर्म्स और फ्रीलांस प्रोफेशनल्स के लिए एडवांस टैक्स विशेष रूप से जरूरी है, क्योंकि उनकी आय नियमित नहीं होती। ऐसे मामलों में उन्हें अनुमान के आधार पर टैक्स की गणना करनी होती है।
अगर साल के बीच में लगता है कि आय पहले के अनुमान से ज्यादा हो रही है, तो करदाता अगली किस्त में अतिरिक्त राशि जोड़ सकते हैं ताकि ब्याज से बचा जा सके।
सरकार के लिए क्यों जरूरी है एडवांस टैक्स
सरकार के लिए एडवांस टैक्स एक स्थिर आय का स्रोत होता है। इससे वित्त वर्ष के दौरान राजस्व की प्राप्ति होती रहती है और सरकार को अपने खर्च और योजनाओं की फंडिंग करने में मदद मिलती है।
इसके अलावा, करदाताओं पर एकमुश्त टैक्स का बोझ नहीं पड़ता, जिससे वे नियमित रूप से टैक्स देने की आदत विकसित कर पाते हैं।
एडवांस टैक्स से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- एडवांस टैक्स उन निवेशकों पर भी लागू होता है जो म्युचुअल फंड या शेयर बाजार से शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कमाते हैं।
- रेंटल इनकम, बैंक इंटरेस्ट, लॉटरी या अन्य किसी अप्रत्याशित आय पर भी एडवांस टैक्स लागू होता है।
- यदि आपने टीडीएस से ज्यादा टैक्स की देनदारी होने का अंदेशा है, तो समय पर एडवांस टैक्स भरना समझदारी होगी।