चीन ने गाओकाओ परीक्षा के दौरान नकल की आशंका को देखते हुए अलीबाबा, टेनसेंट और बाइटडांस जैसे बड़े एआई चैटबॉट्स को अस्थायी रूप से बंद किया।
चीन ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वह शिक्षा और तकनीक के बीच संतुलन को लेकर कितना गंभीर है। देश में 7 जून से शुरू हुई गाओकाओ परीक्षा (Gaokao Exam 2025) के चलते चीन की कई प्रमुख एआई कंपनियों ने अपने चैटबॉट्स और फोटो-पहचान क्षमताओं को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। इस कदम का मकसद परीक्षा के दौरान नकल जैसे अनुचित तरीकों पर रोक लगाना है।
कौन-कौन से एआई टूल हुए बंद?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस बंदी का असर चीन की नामी टेक कंपनियों के प्रमुख एआई टूल्स पर पड़ा है। इनमें शामिल हैं:
- अलीबाबा का चैटबॉट Qwen
- टेनसेंट का Yuanbao
- बाइटडांस का Doubao
- Moonshot AI का Kimi
इन सभी चैटबॉट्स को या तो अस्थायी रूप से ऑफलाइन कर दिया गया है या फिर इनमें से नकल में इस्तेमाल हो सकने वाली क्षमताएं जैसे कि फोटो-पहचान, छात्रों की पूछताछ का उत्तर देना, या लाइव प्रश्न हल करना जैसी सुविधाएं बंद कर दी गई हैं।
क्यों लिया गया ये निर्णय?
गाओकाओ चीन की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षा मानी जाती है, जिसमें 1.34 करोड़ से अधिक छात्र भाग लेते हैं। यह परीक्षा चीन के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाने का एकमात्र रास्ता होती है। इसमें छात्रों को विज्ञान, गणित, इतिहास, भाषा और अन्य विषयों में गहन परीक्षा देनी होती है। यही कारण है कि इस परीक्षा में किसी भी तरह की धांधली रोकना प्रशासन की प्राथमिकता है।
चीनी प्रशासन को आशंका है कि जनरेटिव एआई टूल्स की मदद से छात्र जवाब जनरेट कर सकते हैं, या प्रश्नों की फोटो खींचकर चैटबॉट से हल करवा सकते हैं, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता खतरे में पड़ सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन ने इन टूल्स को अस्थायी रूप से निष्क्रिय करने का आदेश दिया है।
तकनीक बन रही चुनौती
पिछले कुछ वर्षों में चीन ने एआई तकनीक के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। देश की घरेलू कंपनियों ने अपने-अपने जनरेटिव एआई टूल्स लॉन्च किए हैं, जो न केवल टेक्स्ट समझ सकते हैं बल्कि फोटो, वीडियो और वॉयस इनपुट को भी प्रोसेस कर सकते हैं। ऐसे में शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इनका दुरुपयोग एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है।
जनरेटिव एआई टूल्स आज इतनी उन्नत हो चुके हैं कि वे परीक्षा जैसे सवालों का उत्तर भी बेहद सटीकता से दे सकते हैं। अगर कोई छात्र प्रश्नपत्र की फोटो क्लिक करके इन टूल्स पर डालता है, तो उसे तत्काल हल मिल सकता है। यही वजह है कि प्रशासन ने सावधानी बरतते हुए इन टूल्स की पहचान करने और अस्थायी रूप से उन्हें ब्लॉक करने का निर्णय लिया।
सुरक्षा के पुराने उपायों से आगे बढ़ा प्रशासन
- गाओकाओ परीक्षा में नकल रोकने के लिए चीन पहले भी कई सख्त कदम उठा चुका है। जैसे:
- परीक्षा केंद्रों में मोबाइल, स्मार्टवॉच और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर पूर्ण प्रतिबंध
- परीक्षा स्थलों पर निगरानी ड्रोन और सिग्नल जैमर की तैनाती
- फेस रिकग्निशन सिस्टम के जरिए छात्रों की पहचान की पुष्टि
यह अस्थायी रोक कब तक?
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रोक 10 जून तक लागू रहेगी, जब तक गाओकाओ परीक्षा पूरी नहीं हो जाती। इसके बाद संबंधित चैटबॉट्स और उनकी सेवाओं को दोबारा सक्रिय किया जाएगा। हालांकि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि परीक्षा के दौरान किसी भी स्तर पर इन टूल्स का दुरुपयोग न हो।