हरियाणा के ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने अंबाला में शायरी सुनाते हुए कहा कि अगर मौत काम करते हुए आए तो वह सौभाग्य होगा। उन्होंने जनसेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया और स्वास्थ्य के प्रति चिंता जताने वालों को धन्यवाद दिया।
Haryana News: हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन और श्रम मंत्री अनिल विज शुक्रवार को अंबाला छावनी में एक अनोखे और शायराना अंदाज में नजर आए। विज ने मौके पर मौजूद लोगों को एक शायरी सुनाई, जिसने सभी का ध्यान खींचा और उनके व्यक्तित्व के एक संवेदनशील और कर्तव्यनिष्ठ पहलू को सामने रखा।
वीरेश शांडिल्य ने की मुलाकात
इस मौके पर एंटी टेररिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य उनसे मिलने पहुंचे थे। उन्होंने ऊर्जा मंत्री को याद दिलाया कि हाल ही में उन्होंने झुलसा देने वाली गर्मी में अंबाला छावनी में पांच घंटे तक लगातार बाढ़ बचाव तैयारियों का निरीक्षण किया। शांडिल्य ने विज को उनकी सेवाभावना के लिए सराहा, लेकिन साथ ही उन्हें सेहत का भी ख्याल रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अनिल विज के अंगूठे में चोट लगी है, ऐसे में उन्हें कुछ आराम करना चाहिए।
कर्तव्य के प्रति समर्पण: विज की शायरी ने छू लिया दिल
वीरेश शांडिल्य की बात सुनकर अनिल विज ने मुस्कुराते हुए एक शायरी सुनाई: "ए अजर, आखिर तुझको आना है एक दिन, मेरे काम करते हुए आएगी तो तेरा एहसान होगा।"
यह पंक्तियां सुनकर वहां मौजूद सभी लोग उनके जज्बे को देखकर भावुक हो गए। विज ने कहा कि मृत्यु तो एक दिन सबको आनी है, लेकिन अगर वह काम करते समय आए तो वह उनके लिए सौभाग्य होगा। यह बयान महज एक शायरी नहीं था, बल्कि एक राजनेता के उस भाव को दर्शाता है जो जनसेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
साफगोई और जमीनी जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं विज
अनिल विज की छवि एक स्पष्टवादी और निडर नेता की रही है। वह प्रशासनिक कामकाज से लेकर जनसरोकार के मुद्दों तक हर विषय पर बिना किसी लाग-लपेट के बोलने के लिए जाने जाते हैं। अंबाला की जनता के बीच उनका यह शायराना अंदाज नई चर्चा का विषय बन गया है।
शायरी में भी झलका जनसेवा का जज्बा
इस मौके पर विज ने एक और शायरी सुनाकर सभी को भाव-विभोर कर दिया:
"आपकी दुआओं से ही मैं जिंदा हूं,
वरना धरती का मैं छोटा सा परिंदा हूं,
कभी ऊंचा उड़ने की ख्वाहिश नहीं की मैंने,
काम अधूरे छोड़कर चला जाता, यही सोचकर शर्मिंदा हूं।"
तूफानों से खेलने वाला नेता
विज ने आगे कहा:
"तूफानों से खेलता हूं मैं, मैं खुद भी एक तूफान हूं,
मुझसे टकराने वालों के अंत का पैगाम हूं,
राजनीति ने गालिब हमको निकम्मा कर दिया,
वरना आदमी तो थे हम बहुत काम के।"
जनता से जुड़ाव बना रहा है मजबूत रिश्ता
अनिल विज की बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि उनका जनता से जुड़ाव महज औपचारिकता नहीं, बल्कि वास्तविक संवेदनशीलता का परिणाम है। वे अंबाला की गलियों और समस्याओं से भलीभांति परिचित हैं और नियमित तौर पर निरीक्षण करते रहते हैं।