भारतीय हॉकी के अनुभवी फारवर्ड ललित उपाध्याय ने अपने शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर को आखिरकार अलविदा कह दिया है। ललित भारतीय हॉकी टीम का वो नाम हैं, जो पिछले दो दशकों से भारतीय हॉकी की ताकत और भरोसे का प्रतीक रहे हैं।
स्पोर्ट्स न्यूज़: भारतीय हॉकी टीम के दिग्गज खिलाड़ी ललित कुमार उपाध्याय ने अचानक अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। 31 वर्षीय फॉरवर्ड ने न केवल अपनी प्रतिभा से करोड़ों भारतीयों को गौरवान्वित किया, बल्कि कठिन परिस्थितियों से निकलकर खेल जगत में एक अमिट छाप भी छोड़ी। उनका करियर महज आंकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि एक संघर्षशील खिलाड़ी की असाधारण यात्रा है — जो उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर ओलंपिक पोडियम तक पहुंचा।
अचानक किया संन्यास का ऐलान
ललित उपाध्याय ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) के जरिए अपने संन्यास की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, यह सफर एक छोटे से गांव से शुरू हुआ, जहां संसाधन सीमित थे, लेकिन सपने असीमित। स्टिंग ऑपरेशन का सामना करने से लेकर दो बार ओलंपिक पोडियम पर चढ़ने तक, यह यात्रा चुनौतियों, विकास और गौरव से भरी रही। उनकी यह भावुक पोस्ट हॉकी प्रेमियों की आंखें नम कर गई।
दो ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट
ललित उपाध्याय टोक्यो ओलंपिक 2020 और पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत की हॉकी टीम के सदस्य रहे। दोनों मौकों पर भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीता और ललित इन दोनों अभियानों में मुख्य भूमिका में थे। यह उपलब्धि भारतीय हॉकी के पुनर्जागरण की कहानी का हिस्सा बन चुकी है। 2014 में विश्व कप के जरिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण करने वाले ललित उपाध्याय ने भारत के लिए 183 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले और 67 गोल दागे। वे एक चतुर स्ट्राइकर के रूप में पहचाने जाते थे जो मौके बनाना और उन्हें भुनाना बखूबी जानते थे। उनका आखिरी मैच 15 जून 2025 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रहा।
ओलंपिक के अलावा भी कई पदक
ललित की उपलब्धियां ओलंपिक तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने भारत के लिए कई अहम टूर्नामेंट्स में पदक जीतने में योगदान दिया:
- 2022 एशियाई खेलों – स्वर्ण पदक
- 2021-22 एफआईएच प्रो लीग – तीसरा स्थान
- 2018 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी – स्वर्ण
- 2018 एशियन गेम्स – कांस्य
- 2018 चैंपियंस ट्रॉफी – रजत
- 2017 हॉकी वर्ल्ड लीग फाइनल – कांस्य
- 2017 एशिया कप – स्वर्ण
- 2016 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी – स्वर्ण
अर्जुन पुरस्कार से नवाजे गए
2021 में, ललित उपाध्याय को उनके शानदार योगदान के लिए भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान उनके उस समर्पण और मेहनत का प्रमाण है, जिससे उन्होंने भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। ललित उपाध्याय उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के एक छोटे से गांव से आते हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने कभी अपने सपनों को मरने नहीं दिया।
शुरुआती दिनों में उन्हें राष्ट्रीय टीम में शामिल होने से पहले कई कठिनाइयों और विवादों का सामना करना पड़ा — जिनमें एक स्टिंग ऑपरेशन का जिक्र उन्होंने खुद किया। 26 वर्षों के अंतराल के बाद, वह अपने जिले से ओलंपिक में खेलने वाले पहले खिलाड़ी बने। यह न केवल उनके लिए बल्कि उनके पूरे समुदाय के लिए गर्व की बात थी।