अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की 11वीं वर्षगांठ के मौके पर दुनिया भर में योग के प्रति जागरूकता और स्वास्थ्य के संदेश को एक बार फिर मजबूती से दोहराया गया। इस बार का योग दिवस भी खास रहा, क्योंकि इसकी गूंज चीन जैसे देश में भी गहराई से सुनाई दी।
शंघाई: विश्वभर में योग को लेकर बढ़ती जागरूकता और अपनाए जाने की रफ्तार को एक बार फिर उस समय गहराई मिली, जब चीन के शंघाई शहर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 को खास उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस आयोजन की मेज़बानी भारत के महावाणिज्य दूतावास ने की, जिसमें न केवल चीन में बसे भारतीय समुदाय ने भाग लिया, बल्कि कई देशों के प्रतिनिधि और चीन के नागरिक भी योग की महत्ता को अनुभव करने के लिए उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल का वैश्विक असर
11 साल पहले 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने का प्रस्ताव रखा था, तब शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि आने वाले वर्षों में यह भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का सबसे प्रभावशाली हथियार बन जाएगा। आज यह सपना साकार होता दिख रहा है, और शंघाई में आयोजित कार्यक्रम इसका जीवंत उदाहरण बन गया है।
इस आयोजन में विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर सिद्धार्थ चटर्जी ने योग के प्रति अपनी गहरी निष्ठा और समर्पण को साझा किया। उन्होंने कहा, एक योग साधक के रूप में मैं इसकी शक्ति को गहराई से समझता हूं। यह केवल स्वास्थ्य का माध्यम नहीं, बल्कि शांति और परस्पर संबंधों की नींव भी है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व ने योग को न केवल भारत की सीमा से बाहर पहुंचाया, बल्कि वैश्विक मंच पर इसे सम्मानजनक स्थान दिलाया।
पूर्वी चीन में कई जगहों पर योग कार्यक्रम
शंघाई में हुए इस प्रमुख समारोह के माध्यम से हांग्जो, वुक्सी और सूजो जैसे शहरों में पहले से चल रहे योग कार्यक्रमों की श्रृंखला का समापन हुआ। भारत के महावाणिज्य दूत प्रतीक माथुर ने अपने भाषण में कहा कि यह कार्यक्रम न केवल योग के प्रति सम्मान दिखाने का जरिया है, बल्कि यह भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक सेतु को और मजबूत करता है। उन्होंने कहा, इस आयोजन को भारतीय प्रवासी, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और बौद्ध मठों के सहयोग से संभव बनाया गया है, जो योग की सर्वस्वीकृति का प्रतीक है।
महावाणिज्य दूत माथुर ने हाल ही में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 दुर्घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए योग की मानसिक शांति देने वाली शक्ति को याद किया। उन्होंने कहा, "इस तरह की त्रासदी में योग आंतरिक बल और मानसिक स्थिरता का सबसे बड़ा माध्यम बनता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों और संवाद सत्रों का आयोजन
इस योग समारोह में केवल योग अभ्यास ही नहीं, बल्कि संवाद सत्र और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आयोजन किया गया। इसमें चीन में योग के प्रचार-प्रसार से जुड़े कई संगठनों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। उपस्थित लोगों को यह अनुभव करने का अवसर मिला कि योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक समग्र जीवन शैली है जिसे भारत ने सदियों से संजो कर रखा है।
इस आयोजन को विशेष बनाता है यह तथ्य कि यह भारत-चीन राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुआ। इस संदर्भ में महावाणिज्य दूत ने कहा कि योग एक ऐसा जरिया है जो दोनों देशों के बीच सामंजस्य, स्वास्थ्य और आपसी सहयोग को बढ़ावा दे सकता है।