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Iran-Israel Conflcit: ईरान में उतरे चीन के रहस्यमयी कार्गो प्लेन, बढ़ा पश्चिमी देशों का तनाव

Iran-Israel Conflcit: ईरान में उतरे चीन के रहस्यमयी कार्गो प्लेन, बढ़ा पश्चिमी देशों का तनाव

ईरान-इज़राइल तनाव के बीच चीन के 3 रहस्यमयी कार्गो प्लेन बिना ट्रैकिंग ईरान पहुंचे। आशंका है कि चीन ने हथियार या डिफेंस तकनीक भेजी है। अमेरिका और इज़राइल की चिंता बढ़ गई है।

Iran-Israel Conflcit: इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन की गतिविधियों ने वैश्विक रणनीतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी है। बीते दिनों चीन के तीन कार्गो विमान अचानक मिड-एयर ट्रांसपोंडर बंद कर ईरान पहुंचे। यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया जब ईरान की एयरस्पेस युद्ध के चलते सामान्य विमानों के लिए बंद थी। यह संदेह अब गहराता जा रहा है कि क्या चीन ने चुपचाप इस युद्ध में किसी रूप में एंट्री ले ली है।

फ्लाइट डेटा से उठे सवाल

FlightRadar24 जैसी वेबसाइट्स के डेटा के अनुसार, 14 जून 2025 के बाद से चीन के उत्तरी हिस्सों से उड़ान भरने वाले कम से कम पांच बोइंग 747 विमान ईरान की ओर बढ़े। इन विमानों की फ्लाइट रूटिंग लग्जमबर्ग के लिए थी, लेकिन वे कभी यूरोपीय एयरस्पेस में दाखिल नहीं हुए। मध्य एशिया के देशों जैसे कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को पार करने के बाद ये विमान ईरान की सीमा पर रडार से अचानक गायब हो गए। इन विमानों के ट्रांसपोंडर मिड-एयर बंद कर दिए गए थे, जो कि आमतौर पर सैन्य या खुफिया मिशन का संकेत होता है।

क्या चीन ने भेजे ईरान को हथियार?

चीन की इस गतिविधि को लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं कि इन विमानों के जरिए ईरान को हथियार, एयर डिफेंस सिस्टम या कोई सामरिक उपकरण भेजा गया हो सकता है। चीन और ईरान के बीच रणनीतिक साझेदारी पहले से मौजूद है और इन घटनाओं से लगता है कि चीन इस टकराव में परोक्ष रूप से सक्रिय भूमिका निभा सकता है।

रूस और चीन का समर्थन

ईरान और इज़राइल के बीच संभावित युद्ध को लेकर अमेरिका और उसके सहयोगियों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। वहीं, रूस और चीन खुलकर ईरान के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अमेरिका इस संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होता है तो रूस और चीन ईरान का समर्थन करेंगे।

चीन-ईरान के बीच 25 साल की साझेदारी

चीन और ईरान के बीच साल 2021 में 25 वर्षों का एक व्यापक रणनीतिक सहयोग समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत चीन ने ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया था। इसके बदले में चीन को ईरान से छूट पर तेल और गैस आपूर्ति सुनिश्चित हुई। इस साझेदारी में साइबर सुरक्षा, खुफिया जानकारी साझा करने, सैन्य तकनीक ट्रांसफर और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण जैसे मुद्दे शामिल हैं।

जंग की आहट और वैश्विक टकराव की आशंका

ईरान और इज़राइल के बीच तनाव पहले से ही खतरनाक स्तर पर है। पिछले दिनों हुए मिसाइल हमलों और ड्रोन हमलों के बाद दोनों देशों की सेनाएं पूरी तरह से अलर्ट पर हैं। अमेरिका ने पहले ही मध्य पूर्व में अपने सैन्य अड्डों को हाई अलर्ट पर रखा है। वहीं चीन और रूस की भूमिका इस संघर्ष को और जटिल बना सकती है। अगर चीन वाकई ईरान को हथियार या सैन्य सहायता भेज रहा है तो यह वैश्विक राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत हो सकता है।

हेरिटेज फाउंडेशन की रिपोर्ट क्या कहती है?

हेरिटेज फाउंडेशन के नेशनल डिफेंस सेंटर के डायरेक्टर रॉबर्ट ग्रीनवे के अनुसार चीन लंबे समय से ईरान से सस्ते दर पर प्रतिबंधित तेल खरीद रहा है। इसके बदले में वह ईरान को रणनीतिक, तकनीकी और सैन्य सहायता देता है। रॉबर्ट का यह भी कहना है कि चीन अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर बेहद सतर्क है और ईरान उसके लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बन गया है।

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