ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की जवाबदेही और निगरानी की मांग बढ़ गई है। ये लोग भ्रामक जानकारी फैलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।
Haryana: हाल ही में हरियाणा के हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान के लिए भारत की जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उनके लाखों फॉलोअर्स हैं और उनके वीडियोज़ लाखों बार देखे जाते हैं। इस मामले ने सोशल मीडिया की दुनिया में खलबली मचा दी है और यूट्यूबर्स व इंफ्लुएंसर्स की जवाबदेही व निगरानी की मांग तेज हो गई है।
सोशल मीडिया पर बढ़ती जिम्मेदारी
डिजिटल युग में यूट्यूबर्स और इंफ्लुएंसर्स करोड़ों लोगों को प्रभावित करते हैं। वे अपनी बातों और कंटेंट के जरिये दर्शकों को जोड़ते हैं, लेकिन कई बार कुछ कंटेंट गलत जानकारी या देश विरोधी विचारों को बढ़ावा देता है। ज्योति मल्होत्रा का मामला साफ करता है कि सोशल मीडिया के इस प्रभावशाली वर्ग पर कड़ी निगरानी की जरूरत है।
ज्योति मल्होत्रा केस और सोशल मीडिया पर हलचल
ज्योति मल्होत्रा पर पाकिस्तान के लिए जासूसी के गंभीर आरोप लगे हैं। उनके वीडियो में अक्सर पाकिस्तान, तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों का जिक्र होता था। गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ चर्चा तेज हो गई और लोगों में चिंता बढ़ी। यह मामला दर्शाता है कि डिजिटल प्लेटफार्म किस तरह देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
विवादित यूट्यूबर्स के उदाहरण
यह पहला मामला नहीं है, पहले भी कई यूट्यूबर्स विवादों में रहे हैं। रणवीर इलाहाबादिया, एल्विश यादव, संदीप माहेश्वरी, कैरी मिनाटी और गौरव तनेजा जैसे कई नाम ऐसे हैं, जिनके विवादों ने सोशल मीडिया की छवि को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे मामलों ने डिजिटल कंटेंट के नकारात्मक प्रभाव को उजागर किया है।
विशेषज्ञों का मत: जवाबदेही जरूरी
चांदनी चौक से भाजपा सांसद और कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल कहते हैं कि डिजिटल मंच गलत प्रचार, झूठी खबरें और राजनीतिक एजेंडा फैलाने का जरिया बन गए हैं। वे सवाल उठाते हैं कि क्या यह अभिव्यक्ति की आज़ादी है या देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़? उनका मानना है कि आज़ादी का मतलब कुछ भी बोलना नहीं, बल्कि सच बोलना और देशहित की रक्षा करना है।
वीएचपी और अन्य संगठनों की कड़ी मांग
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल भी कड़ी कार्रवाई के पक्ष में हैं। वे कहते हैं कि ऐसे लोग जो समाज को बांटते हैं या देश के हितों से समझौता करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। उन्होंने ओटीटी प्लेटफार्म पर विषैले कंटेंट के खिलाफ विहिप द्वारा चलाए गए अभियान का उदाहरण दिया और केंद्र सरकार से कड़ी निगरानी की मांग की।
डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए नियामक ढांचा बनाना जरूरी
खंडेलवाल बताते हैं कि अब डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए सख्त नियमों का सेट बनाना समय की मांग है। इसमें ब्रांड प्रमोशन, पेड कंटेंट और राजनीतिक संबंधों का खुलासा जरूरी होना चाहिए। झूठी खबरों और उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत निवारण प्रणाली होनी चाहिए और प्लेटफार्म को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। साथ ही राष्ट्रविरोधी और समाज-विरोधी गतिविधियों पर सख्त रोक लगानी होगी।
सोशल मीडिया की जिम्मेदारी
आज सोशल मीडिया मनमानी का अड्डा बनता जा रहा है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल करना हम सभी की जिम्मेदारी है। कंटेंट क्रिएटर्स के साथ-साथ आम उपयोगकर्ताओं को भी फेक न्यूज फैलाने से बचना चाहिए और गलत जानकारी को रिपोर्ट करना चाहिए। सरकार से भी मांग करनी चाहिए कि सोशल मीडिया की बेहतर निगरानी और कड़े नियम लागू किए जाएं।