भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुंभाशु शुक्ला () अब एक ऐतिहासिक मिशन पर अंतरिक्ष की ओर रवाना हो चुके हैं। उनका मिशन उन्हें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक ले जाएगा, जहाँ पहुंचने में उन्हें करीब 28 घंटे लगेंगे।
Shubhanshu Shukla: भारत के पहले अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल होने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज न केवल देश का, बल्कि हर भारतीय का गर्व हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की ओर उनका मिशन ऐतिहासिक है, लेकिन इस मिशन से भी ज्यादा चर्चा का विषय बन गया है उनका पत्नी कामना शुभा मिश्रा के लिए लिखा भावुक संदेश। यही वह भावनात्मक जुड़ाव है, जिसने इस मिशन को सिर्फ अंतरिक्ष अभियान नहीं, बल्कि एक मानवीय कहानी बना दिया है।
स्कूली दोस्ती से शादी तक का सफर
कामना शुभा मिश्रा, शुभांशु शुक्ला की पत्नी, सिर्फ एक डेंटिस्ट नहीं, बल्कि उनके जीवन की वो स्तंभ हैं जिन पर वे हमेशा टिके रहे। दोनों की मुलाकात तीसरी क्लास में हुई थी। पढ़ाई के दौरान ही दोनों की दोस्ती ने गहराई पकड़ी और समय के साथ यह दोस्ती प्यार में बदल गई। कामना एक इंटरव्यू में बताती हैं, हमने क्लास 3 से साथ पढ़ाई की। शुभांशु बहुत शांत और शर्मीले थे। धीरे-धीरे हम एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त बन गए। और फिर... सब कुछ बहुत नैचुरली हुआ।
कामना बताती हैं कि शुभांशु का पहला प्यार हमेशा से आसमान रहा है। वे बचपन से ही प्लेन्स और अंतरिक्ष में उड़ने का सपना देखा करते थे। उनकी आंखों में हमेशा एक चमक होती थी जब वे उड़ानों और अंतरिक्ष की बात करते।
कौन हैं कामना शुभा मिश्रा?
कामना पेशे से एक डेंटिस्ट हैं। उन्होंने मेडिकल क्षेत्र में अपना करियर चुना, लेकिन शादी के बाद उन्होंने खुद को परिवार की प्राथमिकताओं के साथ बखूबी संतुलित किया। शुभांशु के करियर की मांगों को समझते हुए उन्होंने अपने जीवन में कई बार संयम, समझ और समर्पण का उदाहरण पेश किया। यही वजह है कि शुभांशु ने अंतरिक्ष पर रवाना होते हुए भी अपने संदेश में उन्हें खासतौर पर धन्यवाद दिया।
कभी-कभी आपके करीबी लोग ऐसे त्याग करते हैं जिन्हें आप पूरी तरह से समझ भी नहीं पाते हैं… एक अद्भुत साथी होने के लिए कामना शुभा शुक्ला का खास शुक्रिया। आपके बिना यह सब संभव नहीं था।
वायुसेना से अंतरिक्ष तक का सफर
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे 2006 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे और फाइटर विंग का हिस्सा बने। उनके पास 2000 घंटे से अधिक का फ्लाइट अनुभव है। वे सुखोई-30, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक जैसे कई युद्धक विमानों को उड़ा चुके हैं। उनका चयन इसरो के गगनयान मिशन के लिए हुआ, जिसमें उन्हें डेढ़ साल की कठोर ट्रेनिंग के बाद शामिल किया गया।
शुभांशु ने जब 25 जून की सुबह स्पेस मिशन के लिए धरती छोड़ी, तो उन्होंने जो संदेश दिया वह देशवासियों के दिल को छू गया। इसमें उन्होंने कामना के त्याग, समर्थन और साथ के लिए उन्हें विशेष रूप से धन्यवाद कहा। यह संदेश एक सैन्य अधिकारी के रूप में उनके कर्तव्य और एक जीवनसाथी के रूप में उनके दिल की भावनाओं का बेहतरीन संगम था। यह दिखाता है कि बड़े मिशनों के पीछे अक्सर छोटी-छोटी भावनाओं की ताकत होती है।
शुभांशु और कामना की कहानी सिर्फ प्यार की नहीं, विश्वास, समझ और साथ की भी है। यह दिखाता है कि सपनों को पूरा करने के लिए जीवनसाथी का समर्थन कितना जरूरी होता है। जहां शुभांशु ने अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन करने की जिम्मेदारी उठाई है, वहीं कामना ने ज़मीन पर अपने परिवार और पति के सपनों की नींव को संभालने का बीड़ा उठाया है।