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Kepang La Day: 1962 के युद्ध नायकों को श्रद्धांजलि, भारतीय सेना ने मनाया केपांग ला दिवस

केपांग ला भारत और तिब्बत की सीमा पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है। 1962 के भारत-चीन युद्ध में सियांग घाटी के ग्रामीणों ने भारतीय सेना की मदद की, जिससे यह स्थान सैनिकों और ग्रामीणों के बलिदान का प्रतीक बन गया।

Kepang La Day: भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के गेलिंग में केपांग दिवस मनाया, जिसमें सेना की स्पीयर कोर ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

ग्रामीणों के योगदान को याद किया याद

इस विशेष दिन पर, सेना ने उन ग्रामीणों की वीरता और संघर्ष को याद किया जिन्होंने भारतीय सेना के साथ मिलकर चीन के खिलाफ युद्ध लड़ा था। यह दिन भारतीय सैनिकों और ग्रामीणों के बलिदान का प्रतीक बन चुका है।

गेलिंग मठ में श्रद्धांजलि और प्रार्थना

कार्यक्रम में शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की गई और गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके अलावा, ऐतिहासिक गेलिंग मठ में प्रार्थना भी आयोजित की गई, जहां भारतीय सेना और स्थानीय ग्रामीणों ने एकजुट होकर श्रद्धांजलि दी।

सियांग घाटी की शौर्य गाथा

सियांग घाटी में केपांग ला दर्रा भारतीय शौर्य का प्रतीक है, जिसे भारतीय सेना के बहादुरों और स्थानीय लोगों के साहस और एकता का साझा प्रतीक माना जाता है।

केपांग ला का रणनीतिक महत्व

केपांग ला दर्रा भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो यारलुंग त्सांगपो के मार्ग के पास है। इस क्षेत्र में भारतीय सेना के बहादुर सैनिकों की वीरता और बलिदान की गवाही देने वाली कई घटनाएं हुई हैं।

1962 के युद्ध में भारतीय सैनिकों का साहस

1962 में, गेलिंग के ग्रामीणों ने चीनी सेना के पैरों के निशान देखे और भारतीय सेना को सतर्क किया। इसके बाद, भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच झड़पें हुईं, जिसमें आठ भारतीय सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

 

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