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महाराष्ट्र की हाउसिंग सोसाइटी नियमों में बड़ा बदलाव, रीडेवलपमेंट को बढ़ावा

महाराष्ट्र की हाउसिंग सोसाइटी नियमों में बड़ा बदलाव, रीडेवलपमेंट को बढ़ावा

मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र के को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले लाखों निवासियों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। 

मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र की को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज में रहने वाले लाखों लोगों के लिए राहतभरी खबर है। राज्य सरकार अब इन सोसाइटीज के संचालन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। यह बदलाव न सिर्फ नियमों को सरल बनाएगा बल्कि ब्याज दरों से लेकर पुनर्विकास की प्रक्रिया तक में बड़ा सुधार लाएगा। इस पहल से मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर) में स्थित लगभग 70 प्रतिशत सोसाइटीज को सीधा फायदा मिलेगा।

क्यों जरूरी हैं नए नियम?

महाराष्ट्र में करीब 1.25 लाख को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटीज हैं, जिनमें लगभग 2 करोड़ लोग रहते हैं। अकेले मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में ही 70 प्रतिशत सोसाइटीज मौजूद हैं। इन सोसाइटीज की कार्यप्रणाली में कई सालों से जटिलता, ब्याज दरों का बोझ, पुनर्विकास में अड़चन और सरकारी दखलंदाजी की शिकायतें रही हैं। ऐसे में सरकार अब नियमों को यथासंभव पारदर्शी, सरल और डिजिटल बनाने की दिशा में काम कर रही है।

ब्याज दर में कटौती से बड़ी राहत

अब तक अगर कोई सदस्य समय पर अपने बकाया भुगतान नहीं करता था, तो उस पर 21 प्रतिशत तक की ब्याज दर लगाई जाती थी। यह दर बहुत अधिक मानी जाती रही है और इसे लेकर समय-समय पर विवाद भी होते रहे हैं। सरकार ने इस दर को घटाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे हजारों फ्लैट मालिकों को आर्थिक राहत मिलेगी।

रीडेवलपमेंट के लिए कर्ज की सीमा बढ़ेगी

अक्सर हाउसिंग सोसाइटीज के पुनर्विकास में सबसे बड़ी बाधा होती है पर्याप्त फंडिंग। नए प्रस्ताव के अनुसार, अब सोसाइटीज भूमि मूल्य के 10 गुना तक का कर्ज ले सकेंगी। इससे उन सोसाइटीज को बड़ा सहारा मिलेगा जो पुरानी इमारतों को पुनर्निर्मित करना चाहती हैं लेकिन फंड की कमी के चलते अटकी पड़ी हैं।

AGM और बैठकों को मिलेगा डिजिटल स्वरूप

नए नियमों के तहत वार्षिक आम सभा (AGM) में अब वर्चुअल माध्यम से भी भागीदारी की जा सकेगी। इससे बाहर रहने वाले सदस्य भी अब अपनी भागीदारी दर्ज करा सकेंगे। हालांकि, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कम से कम दो-तिहाई या न्यूनतम 20 सदस्यों की उपस्थिति जरूरी होगी। निर्णय तभी मान्य माने जाएंगे जब 51 प्रतिशत सदस्य उनका समर्थन करेंगे, जिनमें ऑनलाइन भाग लेने वाले भी शामिल होंगे।

रीडेवलपमेंट मीटिंग में वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य

कोई भी रीडेवलपमेंट संबंधित बैठक अब बिना वीडियो रिकॉर्डिंग के नहीं हो सकेगी। इसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और बाद में होने वाले विवादों से बचाव करना है। इससे सदस्यों के अधिकारों की रक्षा होगी और डेवलपर के साथ किसी प्रकार की मिलीभगत की संभावना कम हो जाएगी।

वाणिज्यिक इकाइयों को भी मिलेगा अधिकार

नए मसौदा नियमों में वाणिज्यिक इकाइयों और दुकानों को भी सोसाइटी का हिस्सा माना जाएगा। इससे वे पुनर्विकास में हिस्सा पा सकेंगे और उन्हें भी समान सुविधा मिल सकेगी। यह निर्णय उन सोसाइटीज के लिए खास है, जहां आवासीय और वाणिज्यिक इकाइयों का मिश्रित स्वरूप है।

अनंतिम सदस्य और उत्तराधिकार नियम

जब किसी सदस्य का निधन हो जाता है, तो उसकी संपत्ति का उत्तराधिकारी तुरंत सदस्य नहीं बन सकता था। अब नए नियमों के तहत 'अनंतिम सदस्य' की श्रेणी बनाई गई है, जो नामांकित व्यक्ति को अस्थायी रूप से सदस्यता और वोटिंग अधिकार प्रदान करेगी। हालांकि, उसे संपत्ति का मालिक नहीं माना जाएगा जब तक कि वैधानिक उत्तराधिकार की प्रक्रिया पूरी न हो।

सेवा और मेंटेनेंस चार्ज में पारदर्शिता

अब सभी फ्लैटों के लिए सामान्य सेवा शुल्क और जल शुल्क फ्लैट में नलों की संख्या के आधार पर समान रूप से वितरित किए जाएंगे। इससे छोटे और बड़े फ्लैट के मालिकों के बीच शुल्क विवाद कम होंगे। फ्लैट मालिकों को यह भी स्पष्ट जानकारी होगी कि वे किस मद में कितना पैसा दे रहे हैं।

सिंकिंग फंड और मरम्मत निधि के नए मानक

मसौदे के अनुसार, सिंकिंग फंड के लिए अब निर्माण लागत का न्यूनतम 0.25 प्रतिशत और मरम्मत व रखरखाव के लिए 0.75 प्रतिशत निधि सालाना एकत्र की जाएगी। इससे सोसाइटीज को भविष्य में मरम्मत कार्यों के लिए बार-बार विशेष शुल्क नहीं वसूलना पड़ेगा।

सरकारी हस्तक्षेप में कमी

नए नियमों के तहत सरकार ने यह भी प्रयास किया है कि हाउसिंग सोसाइटी के कामकाज में अनावश्यक सरकारी दखल न हो। अधिकांश निर्णय अब सदस्यता और बहुमत पर आधारित होंगे, जिससे सोसाइटी में स्वायत्तता और जवाबदेही दोनों बढ़ेगी।

क्या है आगे की प्रक्रिया?

राज्य सरकार ने मसौदा नियमों को सार्वजनिक कर दिया है और हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। यह प्रक्रिया जुलाई 2025 के अंत तक पूरी की जाएगी। उसके बाद नियमों को अंतिम रूप देकर अधिसूचना जारी की जाएगी। यह संभावना जताई जा रही है कि इन नियमों को 2025 के अंत तक लागू कर दिया जाएगा।

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