तीन वर्षों की तेज़ी से बढ़त के बाद, 2024-25 में भारतीय शराब उद्योग को कई आर्थिक और नीतिगत चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
नई दिल्ली: भारत की प्रमुख वाइन निर्माता कंपनी सुला वाइनयार्ड्स ने एक बार फिर इंडस्ट्री में उम्मीद की किरण जगा दी है। कंपनी के सीईओ राजीव सामंत ने साल 2025-26 को ‘बढ़ती मांग और स्थिर माहौल का वर्ष’ करार दिया है। उन्होंने हाल ही में जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि कठिन आर्थिक और चुनावी परिस्थितियों के बावजूद कंपनी ने बीते वित्तीय वर्ष में 619.4 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व दर्ज किया है।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब भारतीय शराब उद्योग ने लगातार तीन साल की तेज़ वृद्धि के बाद 2024-25 में सुस्ती का सामना किया। लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि बाजार की रफ्तार दोबारा पटरी पर लौटने लगी है। इस लेख में जानिए कि भारतीय वाइन उद्योग के लिए आने वाला समय कैसा हो सकता है, और सुला वाइनयार्ड्स इसमें कैसे मुख्य भूमिका निभा रही है।
चुनावी माहौल बना बाधा, फिर भी कायम रहा भरोसा
सुला वाइनयार्ड्स की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 का साल कई तरह की अनिश्चितताओं से भरा रहा। लोकसभा चुनाव, बाजार में मांग की गिरावट और नियामकीय हस्तक्षेप ने उपभोक्ता व्यवहार को प्रभावित किया। खासकर शहरी इलाकों में शराब की खपत में गिरावट देखी गई, क्योंकि प्रमुख ब्रांड्स का उपभोग मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में ही होता है।
राजीव सामंत ने रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि चुनावों के दौरान नीतिगत फैसलों में ठहराव और वितरण में बाधाएं पैदा हुईं। लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने न केवल बाज़ार में अपनी पकड़ बनाए रखी, बल्कि नए अवसरों की तलाश भी जारी रखी।
619 करोड़ की कमाई, नया कीर्तिमान
सुला वाइनयार्ड्स ने 2024-25 में कुल 619.4 करोड़ रुपये का परिचालन राजस्व दर्ज किया, जो कंपनी के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी कमाई है। यह उपलब्धि ऐसे समय में आई जब अधिकांश शराब कंपनियों को मांग में गिरावट का सामना करना पड़ा।
इस सफलता के पीछे कंपनी की मजबूत ब्रांड पहचान, बाजार में विस्तृत उपस्थिति और उपभोक्ता अनुभव को केंद्र में रखकर बनाई गई रणनीति का बड़ा हाथ है। सुला वाइनयार्ड्स न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारतीय वाइन का प्रतिनिधित्व कर रही है।
2025-26 में दिख सकती है नई चमक
राजीव सामंत का मानना है कि अब जब बाजार में स्थिरता लौट रही है, तो 2025-26 में मांग में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता भावनाएं सुधर रही हैं और नए ग्राहक वाइन को एक परिष्कृत पेय के रूप में अपना रहे हैं।
राजीव ने शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा, "हमने अपनी अग्रणी स्थिति को मजबूती से कायम रखा है। देश में वाइन उपभोग के पैटर्न में बदलाव हो रहा है, और सुला इसका नेतृत्व कर रही है।"
वाइन का बदलता सामाजिक दृष्टिकोण
भारत में वाइन के प्रति सामाजिक सोच में भी धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। पहले जहां शराब केवल हार्ड ड्रिंक्स तक सीमित थी, अब वाइन को एक परिष्कृत और स्वास्थ्यप्रद विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। खासकर युवा और महिला उपभोक्ता वर्ग में वाइन की मांग बढ़ रही है।
इसके अलावा, फाइन डाइनिंग और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में भी वाइन की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। त्योहारों, शादियों और कॉर्पोरेट इवेंट्स में वाइन की मांग अब आम हो गई है। यह संकेत करता है कि आने वाले समय में वाइन सेगमेंट में और तेजी आ सकती है।
पर्यटन और वाइन: दोहरा फायदा
सुला वाइनयार्ड्स नासिक में स्थित अपनी वाइनरी को एक पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित कर रही है। वाइन टूरिज्म के बढ़ते चलन से कंपनी को दोहरा फायदा मिल रहा है – एक तरफ वाइन की बिक्री बढ़ रही है और दूसरी ओर पर्यटन से अतिरिक्त आय भी हो रही है।
कंपनी के वाइन फेस्टिवल, ‘सुला फेस्ट’, ने भी अपनी अलग पहचान बना ली है। यह आयोजन हजारों लोगों को आकर्षित करता है और वाइन संस्कृति को लोकप्रिय बनाने में मदद करता है।
सरकार से सहयोग की उम्मीद
वाइन उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए नीति निर्माताओं की भूमिका भी अहम होगी। वाइन पर टैक्स ढांचे को सरल बनाना, राज्यस्तरीय वितरण नियमों में समरूपता लाना और घरेलू वाइन निर्माताओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
राजीव सामंत ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अगर नीति-निर्माता शराब को परंपरागत हार्ड लिकर से अलग मान्यता दें, तो वाइन उद्योग में जबरदस्त विस्तार की संभावना है।
निवेशकों को मिलेगा लाभ
सुला वाइनयार्ड्स की यह रिपोर्ट बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है। अगर वाइन उद्योग में मांग बढ़ती है, तो इससे कंपनी के शेयर मूल्य और निवेशकों के रिटर्न पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कंपनी ने अपने विस्तार योजना की भी झलक दी है, जिसमें उत्पादन क्षमता बढ़ाने, नए उत्पाद लॉन्च करने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश की योजना शामिल है।