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सुजलॉन एनर्जी को मिला 170.1 मेगावाट का विंड प्रोजेक्ट, शेयरों में आई तेजी

रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में अग्रणी कंपनी सुजलॉन एनर्जी को एएमपिन एनर्जी ट्रांजिशन (AMPIN Energy Transition) से 170.1 मेगावाट का बड़ा विंड पावर प्रोजेक्ट मिलने की घोषणा के बाद बाजार में इसका सकारात्मक असर देखा गया। 

Suzlon Energy Share: रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की अग्रणी कंपनी सुजलॉन एनर्जी एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कंपनी को मिला है एक और बड़ा प्रोजेक्ट, जो उसे भारत के हरित ऊर्जा अभियान में आगे बढ़ने की दिशा में और मजबूती देगा। आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में 170.1 मेगावाट की विंड पावर परियोजना का नया ऑर्डर मिलने के बाद न केवल कंपनी की प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ है, बल्कि इसका सकारात्मक असर शेयर बाजार में भी देखने को मिला है।

नए प्रोजेक्ट ने शेयर बाजार को दी मजबूती

बीते शुक्रवार, यानी 21 जून 2025 को, जब अधिकांश निवेशक सप्ताहांत की सुस्ती की उम्मीद कर रहे थे, तब सुजलॉन के शेयरों में जोरदार उछाल देखने को मिला। कंपनी के शेयरों ने लगभग तीन प्रतिशत की बढ़त दर्ज की और 64.26 रुपये के स्तर पर पहुंच गए। बीते तीन कारोबारी दिनों से शेयरों में गिरावट का रुख बना हुआ था, लेकिन इस नए प्रोजेक्ट की घोषणा ने बाजार में उत्साह लौटा दिया।

AMPIN से तीसरा बड़ा अनुबंध

इस बार कंपनी को जो अनुबंध मिला है, वह AMPIN Energy Transition की ओर से है। यह दोनों कंपनियों के बीच तीसरा प्रोजेक्ट है, जो दर्शाता है कि AMPIN को सुजलॉन की तकनीकी दक्षता और प्रदर्शन पर पूरा भरोसा है। इस परियोजना के तहत कंपनी को 54 आधुनिक S144 विंड टरबाइन जनरेटर की आपूर्ति करनी होगी, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 3.15 मेगावाट होगी। इस प्रकार कुल मिलाकर यह परियोजना 170.1 मेगावाट की होगी।

इस अनुबंध के तहत सुजलॉन केवल टरबाइन की आपूर्ति ही नहीं करेगी, बल्कि इंस्टॉलेशन, कमीशनिंग, संचालन और दीर्घकालिक रखरखाव की जिम्मेदारी भी निभाएगी। इसका अर्थ यह है कि सुजलॉन इस प्रोजेक्ट के लिए एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करेगी, जिससे कंपनी की इंजीनियरिंग और परियोजना प्रबंधन क्षमता एक बार फिर साबित होगी।

वित्तीय प्रदर्शन में ऐतिहासिक उछाल

सिर्फ प्रोजेक्ट्स ही नहीं, कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन भी तेजी से मजबूत हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सुजलॉन ने 573 मेगावाट की डिलीवरी पूरी की, जो कि किसी एक तिमाही में अब तक की सबसे बड़ी डिलीवरी है। इसके साथ ही पूरे वित्तीय वर्ष में कंपनी ने कुल 1.55 गीगावाट की डिलीवरी पूरी की। इतना ही नहीं, कंपनी का कुल ऑर्डर बुक अब 5.6 गीगावाट तक पहुंच चुका है, जो अब तक का सर्वाधिक है।

S144 पवन टरबाइन जनरेटर की मांग भी तेजी से बढ़ी है। कंपनी इस मॉडल की सप्लाई में 5 गीगावाट का आंकड़ा पार कर चुकी है, जिससे यह साफ है कि यह उत्पाद बाजार में लोकप्रिय हो चुका है और इसकी तकनीक को व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है।

विस्तारित उत्पादन क्षमता और निवेश

कंपनी सिर्फ प्रोजेक्ट हासिल करने में ही नहीं, बल्कि अपने उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला क्षमता को भी लगातार मजबूत करने में जुटी है। सुजलॉन ने S144–3.X मेगावाट सीरीज के निर्माण के लिए 10 नई निर्माण इकाइयां स्थापित की हैं। इसके अलावा दमन और पांडिचेरी स्थित यूनिट्स में नैसेल उत्पादन क्षमता का विस्तार किया गया है। यह सभी प्रयास भारत में पवन ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को समर्थन देने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं।

शेयर बाजार में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न

निवेशकों के लिए यह समय काफी फायदेमंद रहा है। सुजलॉन एनर्जी के शेयरों ने बीते एक साल में लगभग 25 प्रतिशत और पिछले दो वर्षों में करीब 340 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। इसी के चलते रिटेल निवेशकों की संख्या भी बढ़कर 56 लाख से अधिक हो गई है।

9 मई से 30 मई के बीच कंपनी के शेयरों में उल्लेखनीय तेजी देखी गई, जब इनकी कीमत 52.60 रुपये से बढ़कर 71.50 रुपये पर पहुंच गई। सिर्फ 16 कारोबारी सत्रों में यह 36 प्रतिशत का रिटर्न दे चुका है। यह प्रदर्शन न केवल निवेशकों के लिए लाभदायक रहा है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि रिन्यूएबल सेक्टर में सुजलॉन का भविष्य उज्जवल है।

मुनाफे में भी रिकॉर्ड स्तर

वित्त वर्ष 2025 में सुजलॉन एनर्जी ने जबरदस्त मुनाफा दर्ज किया है। कंपनी का शुद्ध लाभ पिछले वर्ष के 660 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,072 करोड़ रुपये हो गया है। यह उछाल दर्शाता है कि कंपनी का राजस्व, प्रबंधन और कार्यक्षमता सभी क्षेत्रों में सुधार हुआ है। लागत नियंत्रण, परियोजना समय पर पूरी करना और बढ़ती मांग का सही अनुमान कंपनी को लाभ की दिशा में ले जा रहा है।

भारत के ऊर्जा भविष्य में भूमिका

भारत सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता का लक्ष्य रखा है, जिसमें पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी महत्वपूर्ण है। सुजलॉन जैसी कंपनियां इस लक्ष्य की प्राप्ति में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। कंपनी ने समय के साथ अपनी तकनीकी क्षमता को मजबूत किया है, जिससे वह न केवल देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रही है, बल्कि ‘ग्रीन इंडिया’ की दिशा में अहम योगदान भी दे रही है।

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