प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्रोएशिया दौरे के दौरान भारत और क्रोएशिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्रोएशिया दौरे ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को एक नया आयाम दिया है। इस यात्रा के दौरान भारत और क्रोएशिया के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए जिनका असर केवल दोनों देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका संदेश वैश्विक स्तर पर जाएगा। खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को इस साझेदारी से रणनीतिक असहजता महसूस हो सकती है।
रक्षा और तकनीक में हुआ ऐतिहासिक समझौता
मोदी और क्रोएशियाई प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविक की मुलाकात के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण घोषणा हुई, वह रक्षा और तकनीकी सहयोग को लेकर थी। भारत और क्रोएशिया अब मिलकर रक्षा अनुसंधान, साइबर सुरक्षा, समुद्री तकनीक और शिपबिल्डिंग जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे। इससे भारत को यूरोपीय टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी।
व्यापार को मिली नई रफ्तार
भारत और क्रोएशिया ने द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब दुनिया चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही है। भारत ने फार्मास्युटिकल्स, कृषि उत्पादों, सेमीकंडक्टर, डिजिटल टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों में व्यापार विस्तार का रोडमैप प्रस्तुत किया है।
क्रोएशिया की रणनीतिक स्थिति और यूरोपियन यूनियन की सदस्यता भारत को यूरोपीय बाजारों में प्रवेश के लिए एक महत्वपूर्ण द्वार प्रदान कर सकती है। भारत की सॉफ्टवेयर ताकत और क्रोएशिया की हार्डवेयर निर्माण क्षमता मिलकर एक नया इनोवेशन मॉडल खड़ा कर सकते हैं।
आतंकवाद पर एकजुटता
दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता दिखाई। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में हुए हालिया आतंकी हमलों का ज़िक्र करते हुए कहा कि ऐसे समय में क्रोएशिया का समर्थन अत्यंत सराहनीय है। दोनों देशों ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद से लड़ने के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है और इसमें दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए।
चीन-पाकिस्तान को क्यों होगी परेशानी
भारत और क्रोएशिया के इस नए गठजोड़ से चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की चिंता बढ़ना लाजमी है। पहली वजह यह है कि यूरोप के देश भारत के साथ तकनीकी और रक्षा मामलों में खुलकर सहयोग कर रहे हैं, जो चीन की वैश्विक विस्तारवादी नीति के लिए एक चुनौती बन सकता है।
पाकिस्तान की चिंता का कारण यह है कि भारत का अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभाव बढ़ रहा है। आतंकवाद पर भारत को मिल रहे वैश्विक समर्थन से पाकिस्तान की छवि लगातार धूमिल हो रही है। क्रोएशिया जैसे यूरोपीय राष्ट्र का भारत के साथ खड़ा होना पाकिस्तान की कूटनीतिक असफलता को दर्शाता है।
डिप्लोमेसी में मोदी की नई रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा यह दिखाती है कि भारत अब केवल एशिया तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि उसकी नजरें वैश्विक राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने पर हैं। मोदी की विदेश नीति में अब छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों को भी महत्व मिल रहा है। इससे भारत के प्रभाव क्षेत्र का विस्तार हो रहा है।
सांस्कृतिक और शैक्षणिक सहयोग
भारत और क्रोएशिया ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, योग, आयुर्वेद और भारतीय भाषा शिक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की सहमति जताई। साथ ही दोनों देशों की विश्वविद्यालयों के बीच छात्र और शिक्षक एक्सचेंज प्रोग्राम को भी मजबूती देने का निर्णय हुआ।
यूरोप में भारत की नई मौजूदगी
क्रोएशिया के साथ यह साझेदारी भारत को यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ भी जोड़ सकती है। अगर भारत क्रोएशिया में निवेश करता है तो वह यूरोपीय यूनियन के बाजारों तक भी आसान पहुंच बना सकता है। इससे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘ब्रांड इंडिया’ की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ेगी।
कूटनीतिक संदेश: दुनिया को भारत पर भरोसा
यह दौरा केवल कागजों पर हुए समझौतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व समुदाय को एक स्पष्ट संदेश है कि भारत एक भरोसेमंद, स्थिर और दूरदर्शी साझेदार है। आतंकवाद, सप्लाई चेन, ऊर्जा संकट और क्लाइमेट चेंज जैसे वैश्विक मुद्दों पर भारत की भूमिका निर्णायक होती जा रही है।