सोने की कीमतों में लगातार चौथे दिन तेजी देखने को मिली और यह करीब दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
मध्य-पूर्व में एक बार फिर भू-राजनीतिक संकट गहराने लगा है। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर बाजारों को अस्थिर कर दिया है। इस अस्थिरता ने एक बार फिर निवेशकों का रुख सोने की ओर मोड़ दिया है। सोमवार को सोना लगातार चौथे दिन चढ़ता हुआ दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार दोनों में इसकी मांग में तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है।
भू-राजनीतिक तनाव से सोने को मिला समर्थन
विश्व के दो बड़े देशों के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक निवेशकों को असुरक्षा की भावना से भर दिया है। इसी भावना के चलते वे अपने पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए पारंपरिक और सुरक्षित परिसंपत्तियों जैसे सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं। यही कारण है कि सोने की कीमतें हाल के हफ्तों में तेजी से ऊपर गई हैं। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाजिर सोना 0.3 प्रतिशत की बढ़त के साथ 3442.09 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया, जो कि 22 अप्रैल के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।
अमेरिकी वायदा बाजार में भी सोने की कीमतों में मजबूती देखी गई और यह 3461.90 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया। जानकारों का मानना है कि यदि स्थिति और अधिक गंभीर हुई तो सोना 3500 डॉलर के स्तर को पार कर सकता है, जो निवेशकों के बीच लगातार बनी अनिश्चितता को दर्शाता है।
एमसीएक्स पर भी तेजी का रुख
भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स पर भी सोमवार को सोने के दाम में तेजी देखी गई। अगस्त डिलीवरी वाला सोना सुबह 9 बजकर 32 मिनट पर 0.13 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,00,406 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करता दिखा। यह लगातार चौथा दिन था जब सोने के भाव में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ी
सोने को पारंपरिक रूप से एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब भी दुनिया में संकट की स्थिति बनती है, चाहे वह आर्थिक हो या राजनीतिक, निवेशक पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर आकर्षित होते हैं। यही स्थिति इस समय भी देखने को मिल रही है। जानकारों का कहना है कि इस समय वैश्विक जोखिम प्रीमियम बढ़ गया है, जिसका सीधा असर सोने की मांग पर पड़ा है।
अमेरिका की मौद्रिक नीति का असर
फिलहाल निवेशक अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की आगामी मौद्रिक नीति की बैठक पर भी नजर बनाए हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि फेड इस बार अपनी प्रमुख ब्याज दर को 4.25 से 4.50 प्रतिशत के बीच बरकरार रखेगा। निवेशक यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि सितंबर तक ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो सोने की कीमतों को और समर्थन मिलेगा।
सोने की कीमतें क्यों बढ़ती हैं
सोने की कीमतों में तेजी के पीछे कई कारण होते हैं। पहला बड़ा कारण है भू-राजनीतिक अस्थिरता। जब किसी क्षेत्र में युद्ध या तनाव की स्थिति बनती है तो लोग जोखिम से बचने के लिए सोने में निवेश करते हैं। दूसरा कारण है आर्थिक अनिश्चितता। जब मंदी की आशंका होती है या महंगाई बढ़ती है तो सोना एक बेहतर विकल्प बन जाता है।
इसके अलावा ब्याज दरों और डॉलर की मजबूती या कमजोरी का भी असर पड़ता है। जब डॉलर कमजोर होता है तो सोना महंगा होता है, जबकि मजबूत डॉलर सोने की कीमतों को सीमित करता है। सोना एक उपज-रहित संपत्ति है, इसलिए जब ब्याज दरें कम होती हैं तो सोने की मांग बढ़ती है।
घरेलू निवेशकों के लिए संकेत
भारत में भी निवेशक अब तेजी से सोने की ओर रुख कर रहे हैं। निवेश के लिए सोना पारंपरिक रूप से भारतीयों की पहली पसंद रहा है, लेकिन अब इसके वित्तीय रूप जैसे गोल्ड ईटीएफ, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और डिजिटल गोल्ड में भी रुचि बढ़ रही है। मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति और वैश्विक बाजार के रुझान को देखते हुए यह समय सुरक्षित निवेश के लिहाज से महत्वपूर्ण बन गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिन निवेशकों को अल्पावधि में जोखिम से बचना है, उनके लिए सोना एक मजबूत विकल्प हो सकता है। हालांकि, दीर्घकालिक निवेश के लिए पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखना जरूरी है।