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थोक महंगाई 2.13% पर, उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर

आम जनता के लिए महंगाई के मोर्चे पर राहत भरी खबर सामने आई है। देश की थोक महंगाई दर घटकर बीते 14 महीनों के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

देश की अर्थव्यवस्था के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। मई 2025 में भारत की थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (WPI) में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो 14 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी और निर्माण क्षेत्र में लागत में गिरावट रहा है। इससे आम उपभोक्ता को दैनिक आवश्यकताओं की चीजों में राहत मिलने की उम्मीद है।

मई में थोक महंगाई दर घटी

भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, मई महीने में थोक महंगाई दर घटकर 2.13 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 2.85 प्रतिशत थी। यह गिरावट पिछले 14 महीनों में सबसे निचला स्तर है। इसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिल सकता है, क्योंकि थोक महंगाई खुदरा महंगाई को प्रभावित करती है।

खास बात यह है कि खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई दर में भी गिरावट आई है। मई में यह दर 1.72 प्रतिशत रही, जबकि अप्रैल में यह 2.55 प्रतिशत थी। इसका अर्थ यह है कि किसानों और वितरकों से लेकर खुदरा बाजार तक की आपूर्ति श्रृंखला में वस्तुओं की लागत कम हो रही है।

मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में नरमी

थोक महंगाई दर में गिरावट का एक बड़ा कारण मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में लागत में आई कमी है। मई में मैन्युफैक्चरिंग आधारित WPI घटकर 2.04 प्रतिशत रह गया, जो अप्रैल में 2.62 प्रतिशत था। यह संकेत करता है कि फैक्ट्रियों और विनिर्माण इकाइयों को अपने इनपुट्स पर कम लागत आ रही है, जिससे उनके उत्पादन खर्च में कमी आई है।

यह बदलाव न केवल उपभोक्ता वस्तुओं पर असर डालेगा, बल्कि निवेश के माहौल को भी बेहतर बनाएगा, क्योंकि कम लागत पर अधिक उत्पादन संभव हो पाएगा।

सब्जियों और आलू की कीमतों में तेज गिरावट

आंकड़ों के अनुसार, आलू की थोक महंगाई दर में जबरदस्त गिरावट देखी गई है। अप्रैल में यह -24.30 प्रतिशत थी, जो मई में और गिरकर -29.42 प्रतिशत पर आ गई। इसका सीधा असर खुदरा बाजार में आलू के दामों पर पड़ेगा और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

इसी तरह प्याज की थोक महंगाई दर भी 0.20 प्रतिशत से घटकर -14.41 प्रतिशत पर आ गई है। सब्जियों की कुल महंगाई दर -18.26 प्रतिशत से घटकर -21.62 प्रतिशत हो गई है। मांस, मछली और अंडे जैसे प्रोटीन आधारित खाद्य पदार्थों की महंगाई दर भी -0.29 प्रतिशत से घटकर -1.01 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

ईंधन और ऊर्जा कीमतों में स्थिरता

मई में ईंधन और बिजली क्षेत्र की थोक महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल में यह -2.18 प्रतिशत थी, जो मई में हल्की गिरावट के साथ -2.27 प्रतिशत रही। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और घरेलू ईंधन नीति में संतुलन के कारण इस क्षेत्र में विशेष राहत देखी जा रही है।

खुदरा महंगाई दर में भी नरमी

थोक महंगाई दर के साथ-साथ देश में खुदरा महंगाई दर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है। 12 जून को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार मई 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 2.82 प्रतिशत पर आ गई है, जो अप्रैल में 3.16 प्रतिशत और मार्च में 3.34 प्रतिशत थी। यह पिछले 67 महीनों यानी लगभग छह वर्षों में सबसे कम स्तर है। साल 2019 में आखिरी बार खुदरा महंगाई 2.86 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

खुदरा महंगाई दर में गिरावट का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई नरमी है। फल, सब्जी, अनाज और दूध जैसी आवश्यक वस्तुएं सस्ती होने से आम आदमी के बजट पर सीधा असर पड़ रहा है।

जीडीपी ग्रोथ दर बनी मजबूत

महंगाई में नरमी के बीच देश की अर्थव्यवस्था में भी स्थायित्व देखने को मिल रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ दर 7.4 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो अनुमानित 6.5 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है। हालांकि पिछले दो वर्षों के औसतन 8.4 प्रतिशत की तुलना में यह थोड़ी कम है, फिर भी वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में यह प्रदर्शन सराहनीय है।

वित्त वर्ष 2026 के लिए भी 6.2 प्रतिशत की दर से जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो बताता है कि भारत की आर्थिक नींव मजबूत बनी हुई है और यह विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है।

उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत

थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर महंगाई में गिरावट से उपभोक्ताओं को सीधा लाभ होगा। घरेलू बजट को संतुलित करने में मदद मिलेगी और लोगों की क्रय शक्ति में वृद्धि हो सकती है। विशेष रूप से मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लिए यह स्थिति राहत भरी है, जो रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों से प्रभावित होते हैं।

इसके अलावा, ब्याज दरों पर भी इसका असर पड़ सकता है। यदि महंगाई दर नियंत्रण में रहती है, तो रिजर्व बैंक भविष्य में ब्याज दरों में कटौती करने की दिशा में सोच सकता है, जिससे लोन सस्ते हो सकते हैं और निवेश को बढ़ावा मिल सकता है।

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