असम से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए एक बड़ी और सकारात्मक खबर सामने आई है। यहां से एनडीए के दो उम्मीदवार राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं, जिससे पार्टी की राज्यसभा में स्थिति और मजबूत हो गई है।
गुवाहाटी: असम से राज्यसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को बड़ी कामयाबी मिली है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कणाद पुरकायस्थ और असम गण परिषद (AGP) के वरिष्ठ नेता बीरेंद्र प्रसाद बैश्य निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं। यह उपलब्धि तब मिली है जब विपक्षी दलों ने चुनाव में कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया।
यह राजनीतिक घटनाक्रम राज्य में एनडीए के प्रभाव और एकजुटता को उजागर करता है, साथ ही यह भी दर्शाता है कि मौजूदा समय में असम की राजनीति में भाजपा गठबंधन का वर्चस्व कितना मजबूत है।
निर्विरोध जीत: विपक्ष की निष्क्रियता से आसान हुई राह
असम विधानसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि नामांकन की अंतिम तारीख 12 जून (गुरुवार) थी। लेकिन किसी भी विपक्षी दल ने उम्मीदवार खड़ा नहीं किया, जिससे भाजपा और AGP के उम्मीदवार निर्विरोध जीत गए। यह स्थिति उस समय आती है जब किसी भी अन्य पार्टी को अपनी जीत की संभावना नहीं दिखती।
कणाद पुरकायस्थ पहली बार राज्यसभा पहुंचे हैं, लेकिन राजनीति उनके खून में है। वे भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कबींद्र पुरकायस्थ के पुत्र हैं। सिलचर निवासी कणाद वर्तमान में भाजपा की असम इकाई के सचिव हैं और संगठनात्मक स्तर पर उन्हें एक रणनीतिक और कुशल नेता माना जाता है। राज्यसभा में उनकी मौजूदगी भाजपा को युवा नेतृत्व के रूप में एक नई आवाज देगी।
दूसरे निर्वाचित उम्मीदवार बीरेंद्र प्रसाद बैश्य, असम गण परिषद के वरिष्ठ नेता हैं। यह उनका राज्यसभा में तीसरा कार्यकाल होगा। वे पूर्व में केंद्रीय मंत्री और लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। बैश्य की गिनती असम की राजनीति में अनुभवी और संतुलित चेहरों में होती है। एनडीए को राज्यसभा में उनकी उपस्थिति से पूर्वोत्तर भारत की आवाज और मजबूती मिलेगी।
असम में राज्यसभा की स्थिति
असम से राज्यसभा की कुल सात सीटें हैं। इनमें से फिलहाल:
- 4 भाजपा के पास
- 1 AGP के पास
- 1 यूपीपीएल के पास
- और 1 निर्दलीय सांसद द्वारा प्रतिनिधित्व की जा रही है।
बैश्य और भाजपा नेता रंजन दास का कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो रहा था, जिनकी जगह अब नए सदस्यों का चयन हो चुका है। आगामी 19 जून को इन दो सीटों पर चुनाव होने थे, लेकिन निर्विरोध चयन के बाद अब मतदान की जरूरत नहीं रही।