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Rana Naidu 2 Review: दमदार एक्टिंग और फैमिली ड्रामा का जबरदस्त मेल

Rana Naidu 2 Review: दमदार एक्टिंग और फैमिली ड्रामा का जबरदस्त मेल

राणा नायडू जैसी सीरीज देखकर वाकई यही लगता है कि काश ज़िंदगी में भी कोई ऐसा होता जो हर उलझन, हर मुसीबत का कोई न कोई जुगाड़ निकाल ही देता, वो भी बिना ज़्यादा सवाल-जवाब किए।

  • Movie Review: राणा नायडू 2
  • Director: करण अंशुमान
  • फिल्म: हिंदी क्राइम ड्रामा
  • Starring: वेंकटेश, राणा दग्गुबाती, सुरवीन चावला, अर्जुन रामपाल, गौरव चोपड़ा, कृति खरबंदा
  • Platform: नेटफ्लिक्स
  • रेटिंग: 3 स्टार्स

Rana Naidu 2: नेटफ्लिक्स की बहुचर्चित सीरीज ‘राणा नायडू 2’ आखिरकार स्ट्रीम हो चुकी है और इसके साथ ही दर्शकों के बीच एक बार फिर से राणा दग्गुबाती और वेंकटेश दग्गुबाती की ऑन-स्क्रीन टकराहट देखने को मिली है। इस बार कहानी पहले सीजन से ज्यादा पर्सनल, ज्यादा इमोशनल और कहीं ज्यादा डार्क हो गई है। 

जिन लोगों ने पहला सीजन देखा है, उन्हें यह अगली कड़ी और बेहतर लग सकती है, क्योंकि इसमें कहानी ज्यादा कसावट के साथ आगे बढ़ती है। आइए जानते हैं आखिर क्या खास है ‘राणा नायडू 2’ में।

कहानी: फिक्सर की निजी लड़ाइयों से भरी सी झोली

'राणा नायडू 2' की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पहला सीजन खत्म हुआ था। राणा, जोकि हाई-प्रोफाइल क्लाइंट्स की समस्याएं हल करने वाला फिक्सर है, अब खुद अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी उलझनों से दो-चार है। उसकी पत्नी (कृति खरबंदा) और बच्चे उससे दूर हो गए हैं, रिश्ते बिखर रहे हैं, और राणा अब आखिरी बार एक बड़ा गेम खेलकर अपनी जिंदगी को ‘सेटल’ करना चाहता है।

लेकिन यह इतना आसान नहीं है, क्योंकि उसके रास्ते में उसका अतीत, परिवार, भाई और कुछ पुराने दुश्मन आ खड़े होते हैं। सीरीज आगे बढ़ती है तो एक-एक करके कई परतें खुलती हैं, और हमें राणा की जिंदगी के वो चेहरे दिखते हैं जो शायद पहले नहीं दिखे।

सीरीज कैसी बनी है? – क्राइम, इमोशन और ट्विस्ट का मनोरंजन पैकेज

सीरीज के 8 एपिसोड हैं और हर एपिसोड करीब 45-50 मिनट का है। शुरुआती तीन एपिसोड थोड़ा धीमा लगता है – कहानी सेटअप लेती है, किरदारों के बैकड्रॉप को फिर से उकेरा जाता है। लेकिन चौथे एपिसोड से शुरू होती है असली ‘राणा नायडू’ की स्पीड। ट्विस्ट आते हैं, धोखे मिलते हैं, और फिक्सिंग की दुनिया फिर से अपने रंग में लौटती है।

इस सीजन में प्रोडक्शन वैल्यू शानदार है – लोकेशन्स, बैकग्राउंड स्कोर, कैमरा वर्क, सब कुछ प्रीमियम फील देता है। राणा की मुंबई से लेकर अंडरवर्ल्ड के खतरनाक गलियारों तक की जर्नी को अच्छी तरह पेश किया गया है।

अभिनय: राणा दग्गुबाती और कृति खरबंदा का जलवा

राणा दग्गुबाती इस सीरीज की जान हैं। वह अपने किरदार को पूरी तरह जीते हैं – कभी शांत, कभी उग्र, कभी भावुक और कभी बेरहम। उनकी आंखें और बॉडी लैंग्वेज ही सब कह देती है। वेंकटेश दग्गुबाती, जो उनके ऑन-स्क्रीन पिता हैं, एक बार फिर अतरंगी किरदार में शानदार लगे हैं। उनका किरदार बेशक एक्सट्रीम है, लेकिन जिस सहजता से उन्होंने निभाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है।

कृति खरबंदा इस सीजन की सबसे बड़ी सरप्राइज हैं। एक सिंपल छवि से हटकर उन्होंने जो भावुक और सशक्त पत्नी का किरदार निभाया है, वह दिल जीत लेता है। सुरवीन चावला अपने छोटे लेकिन दमदार रोल में प्रभाव छोड़ती हैं। अर्जुन रामपाल, सुशांत सिंह और अभिषेक बनर्जी अपने-अपने किरदारों में फिट बैठे हैं। खासकर अभिषेक की टाइमिंग और उनका नया अंदाज फिर से उन्हें दर्शकों का फेवरेट बना देता है।

लेखन और निर्देशन: पहले से पॉलिश, ज्यादा शार्प

सीरीज को करण अंशुमन, सुपर्ण वर्मा और अभय चोपड़ा ने निर्देशित किया है, जबकि इसकी राइटिंग टीम में करण अंशुमन के साथ Ryan Soares, Karmanya Ahuja, Ananya Mody, Karan Gour और Vaibhav Vishal शामिल हैं। राइटिंग टीम ने इस बार कहानी को ज्यादा पर्सनल और इमोशनल टोन दिया है। हालांकि शुरुआती एपिसोड थोड़ा ढीले हैं, लेकिन चौथे एपिसोड से स्क्रिप्ट कस जाती है। डायलॉग्स असरदार हैं, और हर कैरेक्टर को पर्याप्त स्पेस दिया गया है।

डायरेक्शन में भी प्रोफेशनलिज्म नजर आता है। एक्शन सीक्वेंस हो या इमोशनल ब्रेकडाउन – हर दृश्य को नाटकीयता से परे, रियलिस्टिक टच के साथ दिखाया गया है।

देखें या नहीं?

अगर आपको क्राइम-ड्रामा, फैमिली इमोशन और पावर गेम्स में रुचि है, और आपने पहला सीजन देखा है, तो ‘राणा नायडू 2’ आपको निराश नहीं करेगी। यह कोई मास्टरपीस नहीं है, लेकिन यह एक बेहतरीन टाइमपास और एंटरटेनिंग सीरीज जरूर है, जिसमें दमदार एक्टिंग, रियल इमोशन्स और ढेर सारा ड्रामा है।

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