कर्नाटक की राजनीति और प्रशासनिक नक्शे में बड़ा बदलाव करते हुए राज्य सरकार ने रामनगर जिले का नाम आधिकारिक रूप से बदल दिया है। अब यह जिला बेंगलुरु दक्षिण के नाम से जाना जाएगा।
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए रामनगर जिले का नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी है। अब इस जिले को नए नाम "बेंगलुरु दक्षिण" के रूप में जाना जाएगा। यह जिला कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार का गृह जनपद है। डी.के. शिवकुमार ने ही जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था, जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी। बेंगलुरु से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह जिला अब मगदी, कनकपुरा, चन्नपटना और हरोहल्ली जैसे प्रमुख तालुकों को समाहित करेगा।
राजनीतिक वजन वाला फैसला
रामनगर जिला, जो अब बेंगलुरु दक्षिण कहलाएगा, राज्य के उपमुख्यमंत्री और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार का गृह जिला है। वे इसी जिले के कनकपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और इस क्षेत्र में उनकी गहरी राजनीतिक पकड़ है। माना जा रहा है कि शिवकुमार ने लंबे समय से इस नाम परिवर्तन की वकालत की थी और यह फैसला उसी प्रयास का परिणाम है।
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के 24 घंटे के भीतर सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी। कर्नाटक भूमि राजस्व अधिनियम, 1964 की धारा 4(4ए) के तहत यह नाम परिवर्तन अधिसूचित किया गया।
बेंगलुरु से नज़दीकी को मिला आधार
रामनगर, जो पहले ही बेंगलुरु से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, अब नए नाम ‘बेंगलुरु दक्षिण’ के तहत आधिकारिक रूप से उस महानगर से अपनी निकटता को दर्शाएगा। इस नामकरण से जिले की शहरी पहचान को बल मिलेगा और भविष्य में इसके विकास को और अधिक गति मिलने की संभावना है।
जिले में अब भी वही चार प्रमुख तालुके शामिल रहेंगे मगदी, कनकपुरा, चन्नपटना और हरोहल्ली। जिला मुख्यालय के तौर पर रामनगर शहर ही बना रहेगा। हालांकि नाम बदलने से स्थानीय प्रशासन, दस्तावेजी प्रक्रियाएं और पहचान में बदलाव जरूर देखने को मिलेगा।
स्थानीय प्रतिक्रियाएं मिली-जुली
जहां डी के शिवकुमार के समर्थकों और कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस कदम का स्वागत किया है, वहीं कुछ स्थानीय नागरिकों और विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश बताया है। कुछ लोगों का मानना है कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़ा हुआ 'रामनगर' नाम ज्यादा उपयुक्त था और बेंगलुरु दक्षिण नामकरण से जिले की मौलिक पहचान को क्षति पहुंच सकती है।
हालांकि, शिवकुमार ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि, यह केवल नाम का बदलाव नहीं है, बल्कि जिले को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे निवेश और शहरी विकास के अधिक अवसर पैदा होंगे।